विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने विकसित भारत गारंटी रोजगार एवं आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक यानी वीबी जी राम जी की विधेयक की आलोचना करते हुए इसे गांव विरोधी बताया है। राहुल ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ने का ऐलान किया है।
विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने संसद द्वारा पारित विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड अजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, जिसे 'जी राम जी' या 'वीबी-जी राम जी' विधेयक कहा जा रहा है, की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इसे "एंटी-स्टेट" और "एंटी-विलेज" करार देते हुए कहा कि मोदी सरकार ने एक ही दिन में मनरेगा के 20 वर्षों के योगदान को नष्ट कर दिया। उन्होंने इस संबंध में एक्स पर बड़ा ट्वीट किया है। राहुल ने कहा कि वो इस मुद्दे पर राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ेंगे। राहुल गांधी इस समय जर्मनी की चार दिनों की यात्रा पर हैं। इस बीच संसद के दोनों सदनों में शीतकालीन सत्र का शुक्रवार को समापन हो गया। सत्ता पक्ष ने विपक्षी दलों के नेताओं को चाय पर बुलाया। इस चाय पार्टी में पीएम मोदी और प्रियंका गांधी वाड्रा भी दिखाई दीं।
यह विधेयक मनरेगा (महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट) का अपडेटेड संस्करण है, जो इसकी जगह लेगा। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह लागू हो जाएगा। विधेयक में ग्रामीण परिवारों को 100 दिनों के बजाय 125 दिनों की गारंटीड मजदूरी रोजगार का प्रावधान है, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि यह अधिकार-आधारित और मांग-आधारित गारंटी को कमजोर कर दिल्ली से नियंत्रित राशन जैसी योजना बना देगा।
राहुल गांधी ने कहा, "यह विधेयक संसद में बिना उचित जांच के जबरन पास कराया गया। विपक्ष की मांग थी कि इसे स्टैंडिंग कमिटी को भेजा जाए, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया। ग्रामीण सामाजिक अनुबंध को बदलने वाला कानून करोड़ों मजदूरों को प्रभावित करता है, इसे बिना कमिटी जांच, विशेषज्ञ परामर्श और सार्वजनिक सुनवाई के पास नहीं किया जाना चाहिए।"
कांग्रेस नेता ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, "कल रात मोदी सरकार ने एक दिन में मनरेगा के 20 साल नष्ट कर दिए। वीबी-जी राम जी मनरेगा का 'रिवैंप' नहीं है। यह अधिकार-आधारित, मांग-आधारित गारंटी को खत्म कर दिल्ली से नियंत्रित राशन जैसी योजना बना देता है। यह डिजाइन में एंटी-स्टेट और एंटी-विलेज है।"
गांधी ने आगे आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी के लक्ष्य स्पष्ट हैं: मजदूरों को कमजोर करना, ग्रामीण भारत की सौदेबाजी की ताकत को तोड़ना, खासकर दलितों, ओबीसी और आदिवासियों की, सत्ता को केंद्रित करना और फिर नारे को 'रिफॉर्म' बताकर बेचना।
उन्होंने मनरेगा की तारीफ करते हुए कहा कि यह ग्रामीण मजदूरों को ताकत देता था। इसके कारण शोषण और उनका संकट कम हुआ, मजदूरी बढ़ी, काम की स्थितियां सुधरीं और ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास हुआ। लेकिन यह नया विधेयक काम को सीमित कर और इनकार के तरीके बढ़ाकर ग्रामीण गरीबों के पास मौजूद एकमात्र हथियार को कमजोर करता है।
कोविड काल का जिक्र करते हुए राहुल ने कहा कि मनरेगा ने करोड़ों लोगों को भुखमरी और कर्ज से बचाया। रोजगार कार्यक्रम को राशन करने से सबसे पहले महिलाएं, दलित, आदिवासी, भूमिहीन मजदूर और गरीब ओबीसी समुदाय प्रभावित होंगे।
नेता विपक्ष राहुल गांधी ने सरकार को चुनौती देते हुए कहा, "मनरेगा दुनिया के सबसे सफल गरीबी उन्मूलन और सशक्तिकरण कार्यक्रमों में से एक है। हम इस सरकार को ग्रामीण गरीबों की आखिरी डिफेंस लाइन नष्ट नहीं करने देंगे। हम मजदूरों, पंचायतों और राज्यों के साथ खड़े होकर इस कदम को हराएंगे और राष्ट्रव्यापी मोर्चा बनाकर इस कानून को वापस करवाएंगे।"
विधेयक लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के भारी हंगामे के बीच पास हुआ। विपक्ष ने महात्मा गांधी का नाम हटाने और राज्यों पर वित्तीय बोझ डालने का भी आरोप लगाया है। सरकार का दावा है कि यह विकसित भारत 2047 के विजन से जुड़ा सुधार है, जो ग्रामीण रोजगार को इंफ्रास्ट्रक्चर और आजीविका से जोड़ेगा।