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धार्मिक उन्माद आजमाया हुआ चुनावी हथियार है।

वीएचपी अब क्यों निकालने जा रही है यात्रा, यही समय क्यों चुना

विश्व हिन्दू परिषद का मंगलवार 12 सितंबर को एक ट्वीट नजर आया। उसमें कहा गया है कि मीडिया के एक वर्ग में यह खबर कि वीएचपी बजरंग दल की आगामी शौर्य यात्राओं के दौरान धर्म योद्धाओं को तैयार करेगी, पूरी तरह से गलत है। वीएचपी की धर्म योद्धाओं को नामांकित करने की कोई योजना नहीं है। शौर्य यात्राएँ हिंदू समाज को जागृत करने, शहीदों को श्रद्धांजलि देने और जीवन और परिवार में हिंदू मूल्यों को मजबूत करने के लिए निकाली जाती हैं। यह यात्रा किसी के खिलाफ या चुनौती देने के लिए नहीं है। लेकिन मीडिया में खबर क्या है, जिसकी वीएचपी ने सफाई दी है। मीडिया में वीएचपी नेता के हवाले से खबर दी गई है कि धर्म परिवर्तन और लव जिहाद के मुद्दे पर वीएचपी और बजरंग दल 30 सितंबर से 14 नवंबर तक शौर्य जागरण यात्रा निकालेंगे।

खबर यह नहीं है कि वीएचपी ने मीडिया की खबर पर सफाई दी। खबर यह है कि हर दूसरे महीने धार्मिक यात्रा निकालने वाली वीएचपी एक और यात्रा निकालने जा रही है, जिसका सीधा संबंध न सिर्फ सनातन के मुद्दे को जिन्दा रखना है, बल्कि जनवरी 2024 में राम मंदिर के उद्घाटन से भी है। 2024 का इंतजार देश को है लेकिन आरएसएस के राजनीतिक मुखौटे भाजपा के लिए माहौल बनाने का काम शुरू हो चुका है। तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने जिस तरह सनातन धर्म का मुद्दा उठाया, आरएसएस के अनुषांगिक संगठनों के लिए वो एक गिफ्ट के रूप में आया। आप लोग देख रहे होंगे कि सनातन का मुद्दा भाजपा और आरएसएस के नेता प्रेस कॉन्फ्रेंसों और बयानों के जरिए जिन्दा रखे हुए हैं। इस नेरेटिव को जिन्दा रखने का काम वीएचपी और बजरंग दल को सौंपा गया है।  
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इंडिया गठबंधन ने सनातन मुद्दे से पहले देश में महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी को मुख्य मुद्दा बना दिया था। अडानी मुद्दे पर सरकार घिरती नजर आई थी। अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने दस्तावेजों के हवाले से अडानी के कारोबार को लेकर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की। लेकिन सनातन के मुद्दे ने एक झटके में सब बदल दिया। भाजपा-आरएसएस चाहते हैं कि राम मंदिर का उद्घाटन प्रधानमंत्री के हाथों होने तक यह मुद्दा जिन्दा रहे। वीएचपी और बजरंग दल की यात्राएं इसमें ईंधन का काम करेंगी। 
हाल ही में वीएचपी और बजंरग दल नूंह में धार्मिक यात्रा के दौरान हुई हिंसा की वजह से चर्चा में आए थे। धार्मिक यात्रा इन्हीं दोनों संगठनों ने निकाली थी। हिंसा होने के बाद दोबारा भी यात्रा निकाली गई। इस यात्रा के दौरान हथियारों का प्रदर्शन हुआ। जिन पर भाजपा के अंदर से भी सवाल हुए। लेकिन नूंह हिंसा का आरोप समुदाय विशेष पर राज्य पुलिस ने लगाया और उनके 300 लोग गिरफ्तार कर लिए। समुदाय विशेष के धार्मिक स्थल गुड़गांव में जला दिए गए। एक धर्मगुरु की हत्या कर दी गई। फरीदाबाद, पलवल में धार्मिक स्थलों में व्यापक तोड़फोड़ की गई। इस तरह नूंह की यह घटना विवादास्पद हो गई और सोशल मीडिया पर वीएचपी और बजरंग दल सुर्खियों में रहे।
अब फिर से शौर्य जागरण यात्रा का ऐलान हुआ है। शौर्य का अर्थ है वीरता, ताकत का प्रदर्शन। वीएचपी के ट्वीट की इस लाइन को फिर से गौर से पढ़िए- ''शौर्य यात्राएँ हिंदू समाज को जागृत करने, शहीदों को श्रद्धांजलि देने और जीवन और परिवार में हिंदू मूल्यों को मजबूत करने के लिए निकाली जाती हैं। यह यात्रा किसी के खिलाफ या चुनौती देने के लिए नहीं हैं।'' लेकिन वीएचपी नेता विनोद बंसल का मीडिया में जो बयान आया है, उसमें कहा गया है कि धर्म परिवर्तन और लव जिहाद के खिलाफ ये यात्रा निकाली जा रही है। यह बहुत स्पष्ट है कि वीएचपी का दो शब्दों - धर्म परिवर्तन और लव जिहाद - से किस समुदाय से आशय है। लव जिहाद को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय का देश की संसद में जवाब यह है कि लव जिहाद का कोई केस देश में कहीं भी नहीं मिला है। धर्म परिवर्तन के खिलाफ पहले से ही कड़ा कानून लागू है। 
मीडिया में विनोद बंसल का बयान कह रहा है- “हम न सिर्फ लोगों को जागरूक करेंगे बल्कि इस तरह की कार्रवाई में शामिल तत्वों से निपटने के लिए युवाओं के समूह भी तैयार करेंगे। यात्रा के दौरान सार्वजनिक बैठकों में सनातन धर्म के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। बंसल ने कहा कि यात्रा का मकसद हिंदू समाज को हिंदू धर्म का विरोध करने वालों के "नापाक इरादों" के बारे में चेतावनी देना, "उन्हें ऐसी ताकतों से लड़ने के लिए तैयार करना" और अन्य धर्मों के लोगों को हिंदू धर्म में वापस लाना है।
विनोद बंसल ने कहा कि वीएचपी ने अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति स्थापना से पहले देश भर के हर घर से पांच मिट्टी के दीपक (दीया) जमा करने की योजना बनाई है। वीएचपी के कार्यक्रम में संतों की पदयात्रा शामिल होगी, जो देश भर में घर-घर जाएंगे और मंदिरों में धार्मिक भाषण देंगे। संत लोगों को जागरूक करेंगे कि लोगों को अपनी आस्था के लिए कैसे खड़ा होना चाहिए और धर्म-विरोधी लोगों के मंसूबों के प्रति कैसे सचेत रहना चाहिए। 

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कहा जा रहा है कि इस यात्रा का कार्यक्रम पहले नवंबर के अंतिम सप्ताह से शुरू होना था लेकिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इसे अब तय समय से पहले ही किया जा रहा है। क्योंकि जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन होने के बाद माहौल बदल जाएगा, तब वीएचपी और बजरंग दल अपने नए कार्यक्रम के साथ सामने आएंगे। बहरहाल, देश का माहौल चार्ज किया जा रहा है। निजी बातचीत में लोग तमाम तरह की आशंकाओं की बातें करते हैं। महत्वपूर्ण यह है कि यह सब उत्तरी भारत की चर्चा के केंद्र में हैं। दक्षिण भारत और नॉर्थ ईस्ट राज्यों में यह सब मुद्दा नहीं है। देश में 14 राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं है। 
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क़मर वहीद नक़वी
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