Jagdeep DhanKhar Resigns उपराष्ट्रपति धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद पीएम मोदी ने अपनी पहली प्रतिक्रिया दे दी है। दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने अपनी उस बहुचर्चित प्रकरण पर दी है जिसमें उन्होंने गलत बयानी की थी
प्रधानमंत्री मोदी ने आखिरकार लगभग 12 घंटे बाद जगदीप धनखड़ के बतौर उपराष्ट्रपति इस्तीफा देने पर पहली प्रतिक्रिया दी है। मोदी ने एक्स पर लिखा-"श्री जगदीप धनखड़ जी को भारत के उपराष्ट्रपति सहित विभिन्न क्षमताओं में हमारे देश की सेवा करने के कई अवसर मिले हैं। उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं।"
उपराष्ट्रपति पद से धनखड़ ने सोमवार रात करीब 8.00 बजे इस्तीफा दिया था। करीब 9.30 बजे यह खबर सार्वजनिक हुई। लेकिन न तो पीएम मोदी, न नंबर 2 अमित शाह और न बतौर राजनीतिक दल बीजेपी ने इस पर प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस के तमाम नेता पूरी रात प्रतिक्रिया देते रहे।
मोदी की प्रतिक्रिया का सीधा सा अर्थ है कि अब जगदीप धनखड़ को मनाने वगैरह की कोई कोशिश नहीं होगी। इसका एक मतलब है कि धनखड़ से इस्तीफा लिया गया और इसकी गतिविधियां कई दिनों से चल रही थीं। धनखड़ का रुख सोमवार को राज्यसभा में लचीला भी था। इसी वजह से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सरकार की ट्रंप सीजफायर विवाद पर जमकर धुलाई कर पाए।
जेपी नड्डा ने दी सफाई
केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा सोमवार शाम को बुलाई गई बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (बीएसी) की बैठक में उनकी और संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू की अनुपस्थिति के बारे में उपराष्ट्रपति कार्यालय को पहले ही सूचित कर दिया गया था। यह बयान कांग्रेस नेता जयराम रमेश द्वारा नड्डा और रिजिजू की बैठक में अनुपस्थिति पर सवाल उठाए जाने के बाद आया है। यह बैठक उपराष्ट्रपति धनखड़ के इस्तीफे से कुछ समय पहले हुई थी।
राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (बीएसी) सरकारी विधायी और अन्य कार्यों के लिए समय आवंटन की सिफारिश करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सोमवार को पहली बैठक दोपहर 12:30 बजे हुई थी, जिसमें नड्डा और रिजिजू सहित अधिकांश सदस्य मौजूद थे। चर्चा के बाद, समिति ने शाम 4:30 बजे फिर से बैठक करने का फैसला किया। हालांकि, दूसरी बैठक में नड्डा और रिजिजू शामिल नहीं हुए। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दावा किया कि उपराष्ट्रपति धनखड़ को व्यक्तिगत रूप से उनकी अनुपस्थिति की सूचना नहीं दी गई थी, जिससे वे नाराज हुए और उन्होंने बैठक को मंगलवार दोपहर 1 बजे के लिए स्थगित कर दिया।
नड्डा ने इस आरोप का खंडन करते हुए कहा, "उपराष्ट्रपति कार्यालय को हमारी अनुपस्थिति की सूचना दी गई थी।" उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्यसभा में उनकी टिप्पणी, "केवल वही रिकॉर्ड में जाएगा जो मैं कहूंगा," विपक्षी सांसदों के हंगामे के जवाब में थी, न कि सभापति के प्रति अपमान के रूप में। नड्डा ने यह बयान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा वरिष्ठ मंत्रियों, जिसमें अमित शाह, एस जयशंकर, शिवराज सिंह चौहान और अर्जुन राम मेघवाल शामिल थे, के साथ बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए दिया।
कांग्रेस का आरोप: इस्तीफे के पीछे गहरे कारण
कांग्रेस ने धनखड़ के इस्तीफे को "अप्रत्याशित" और "संदिग्ध" करार देते हुए दावा किया कि इसके पीछे स्वास्थ्य कारणों से ज्यादा गहरे राजनैतिक कारण हैं। जयराम रमेश ने X पर लिखा, "दोपहर 1 बजे से शाम 4:30 बजे के बीच कुछ बहुत गंभीर हुआ, जिसके कारण नड्डा और रिजिजू ने जानबूझकर बीएसी बैठक में हिस्सा नहीं लिया।" उन्होंने यह भी कहा कि धनखड़ ने सोमवार को उनके साथ दिन में मुलाकात की थी और शाम 7:30 बजे तक फोन पर बात हुई थी, लेकिन इस्तीफे का कोई संकेत नहीं था।
कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने धनखड़ के इस्तीफे को बिहार विधानसभा चुनाव से जोड़ा और दावा किया कि नड्डा की टिप्पणी, "मेरे शब्द रिकॉर्ड में दर्ज होंगे," सभापति का अपमान था। उन्होंने इसे इस्तीफे की "पटकथा" का हिस्सा बताया।
सोमवार शाम को, संसद के मानसून सत्र के पहले दिन, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे पत्र में तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देने की घोषणा की। यह कदम राजनैतिक हलकों में आश्चर्य और चर्चा का विषय बन गया, क्योंकि धनखड़ ने उसी दिन राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता की थी और जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर चर्चा में शामिल थे।
धनखड़ के इस्तीफे के बाद, राज्यसभा के उपसभापति अब दैनिक कार्यवाहियों का प्रबंधन कर रहे हैं। संविधान के अनुच्छेद 67 के तहत, उपराष्ट्रपति का पद छह महीने के भीतर भरा जाना होगा। इस बीच, विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार से संसद में स्पष्टीकरण मांगा। लेकिन सदन में हंगामे की वजह से चर्चा ही नहीं हो पा रही है। धनखड़ के इस्तीफे और बीएसी बैठक विवाद ने राजनैतिक माहौल को और गर्म कर दिया है, और यह आने वाले दिनों में चर्चा का केंद्र बना रहेगा।