कांग्रेस ने 10 अगस्त को “Vote Chori” को लेकर एक विशेष वेब पोर्टल लॉन्च किया, जहां जनता "vote chori proof" डाउनलोड कर सकती हैं, चुनाव आयोग (ECI) से जवाबदेही की मांग कर सकते हैं। खुद भी "vote chori" की रिपोर्ट दे सकते हैं। पोर्टल पर राहुल गांधी का एक वीडियो भी शामिल है, जिसमें वे “बड़े पैमाने पर चुनावी घोटाला” (huge criminal fraud) की बात करते हैं, और दावा करते हैं कि भाजपा और ECI मिलकर लोकतंत्र से खिलवाड़ कर रहे हैं। लोगों को इस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने पर एक प्रमाण पत्र (certificate) मिलता है जिसमें लिखा होता है: “I support Rahul Gandhi's demand of digital voter rolls from the EC.” इस पर कांग्रेस अध्यक्ष और अन्य वरिष्ठ नेताओं के हस्ताक्षर हैं।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी एक्स पर वोट चोरी पोर्टल की घोषणा की। राहुल ने रविवार को लिखा- वोट चोरी ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ के बुनियादी लोकतांत्रिक सिद्धांत पर हमला है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए साफ़-सुथरी मतदाता सूची अनिवार्य है। चुनाव आयोग से हमारी मांग साफ़ है - पारदर्शिता दिखाएं और डिजिटल मतदाता सूची सार्वजनिक करें, ताकि जनता और राजनीतिक दल उसका खुद ऑडिट कर सकें। आप भी हमारे साथ जुड़ कर इस मांग का समर्थन करें - votechori.in/ecdemand पर जाएं या 9650003420 पर मिस्ड कॉल दें। ये लड़ाई लोकतंत्र की रक्षा की है।
राहुल गांधी ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में 'वोट चोरी' वेबसाइट के लॉन्च की घोषणा की थी। इस वेबसाइट को कांग्रेस की रिसर्च टीम द्वारा छह महीने की गहन जांच के बाद तैयार किया गया है। वेबसाइट पर कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र (बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा) में पाए गए 1,00,250 फर्जी मतदाताओं के सबूत पेश किए गए हैं। इनमें डुप्लिकेट मतदाता, फर्जी पते, अवैध फोटो, और Form 6 के दुरुपयोग जैसे मामले शामिल हैं। राहुल गांधी का कहना है कि यह सिर्फ एक उदाहरण है, और ऐसी धांधली पूरे देश में हो रही है।
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के इन आरोपों को बेतुका करार देते हुए कहा कि या तो वे इस संबंध में शपथ-पत्र (oath/declaration) जमा करें या देश से माफी माँगे। लेकिन चुनाव आयोग ने कई राज्यों में मतदाता पोर्टल को बंद करके उनमें डिजिटल कॉपी निकालने को मुश्किल कर दिया। चुनाव आयोग की मतदाता लिंक वाली राज्यों की वेबसाइटें खुल रही हैं लेकिन वहां से डिजिटल वोटर लिस्ट नहीं निकाली जा सकती। ऐसे में उनके फोटो का सत्यापन मुश्किल है। 

चुनाव आयोग सवालों के घेरे में 

ECI सार्वजनिक डेटा रोक रहा है। चाहे वो डिजिटल voter-rolls हों या CCTV फुटेज। उससे जब इसकी मांग की गई तो उसने नियम ही बदल दिया। न्यायपालिका ने इस मामले में कोई मदद नहीं की। भारत में लोकतंत्र की आधारशिला “वोट करने का अधिकार” इससे खंडित होता दिख रहा है। चुनाव आयोग Rule 20 के तहत शपथ-पत्र की मांग गलत तरीके से कर रहा है। क्योंकि वह नियम केवल ड्राफ्ट रोल्स पर लागू होता है, न कि चुनाव के बाद के मामले पर। 

इसी से पता चलता है कि आयोग राजनीतिक दबाव के आगे झुक रहा है। अब लोकतंत्र की रक्षा जनता के हाथ में है। क्योंकि चुनाव आयोग लोकतंत्र की बुनियाद को हिला रहा है। मीडिया और न्यायपालिका की बड़ी जिम्मेदारी है लेकिन दोनों अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं। मीडिया का एक बड़ा हिस्सा सरकार का भोंपू बन गया है, जबकि न्यायपालिका इस मुद्दे पर स्पष्ट फैसले नहीं ले पा रही है।

राहुल के 5 सवाल, जवाब नहीं दे पाया 

आयोग राहुल गांधी ने बतौर नेता विपक्ष चुनाव आयोग से पांच सवाल किए थे। लेकिन चुनाव आयोग जवाब देने से भाग रहा है। राहुल ने पूछा था- 1. डिजिटल और जिसे मशीन पढ़ सके, ऐसी मतदाता सूची क्यों नहीं दी जा रही? 2. CCTV और वेबकास्ट रिकॉर्डिंग को नष्ट करने का आदेश किसने दिया? 3. फर्जी और डुप्लिकेट मतदाता एंट्री पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई? 4. क्या ECI व्हिसलब्लोअर को परेशान कर रहा है? 5. क्या ECI सत्तारूढ़ दल के पक्ष में काम कर रहा है?

शरद पवार और बीजेपी की प्रतिक्रियाएं 

महाराष्ट्र के दिग्गज नेता शरद पवार ने राहुल गांधी के "vote chori" आरोपों का समर्थन करते हुए कहा: इस मामले में “दूध का दूध, पानी का पानी हो जाना चाहिए।” पवार ने ECI से इस मामले की गहराई से जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि विपक्ष मामले को अदालत तक ले जाने पर विचार कर सकता है। बीजेपी ने राहुल गांधी पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा कि यदि वे ECI पर भरोसा नहीं करते, तो उन्हें लोकसभा से इस्तीफा दे देना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर उनके पास सबूत नहीं हैं, तो उन्हें अपनी जिम्मेदारी समझते हुए मापी मांगनी चाहिए।

जनता की अदालत में है ये मुद्दा

'वोट चोरी' वेबसाइट का लॉन्च और राहुल गांधी के आरोपों ने भारत के चुनावी तंत्र की विश्वसनीयता पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। यह विवाद न केवल ECI की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत का लोकतंत्र एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। राहुल गांधी ने इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाने और बेंगलुरु के फ्रीडम पार्क में एक विरोध मार्च पहले ही आयोजित कर चुके हैं। जब तक ECI डिजिटल मतदाता सूची और अन्य सबूत उपलब्ध नहीं कराता, तब तक इस विवाद का समाधान मुश्किल लगता है। यह मामला अब न केवल एक राजनीतिक मुद्दा है, बल्कि भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा का सवाल बन गया है।