CSDS Controversy: आईसीएसएसआर ने सीएसडीएस को महाराष्ट्र चुनाव विश्लेषण में कथित डेटा हेरफेर के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। विपक्ष के 'वोट चोरी' के दावों के बीच बीजेपी नेताओं ने सीएसडीएस पर हमला करते हुए कई बयान जारी किए हैं।
सीएसडीएस बनाम बीजेपी विवाद में अब एक सरकारी संस्था ICSSR भी कूद पड़ी है। यह सरकारी संस्था सीएसडीएस को ग्रांट (अनुदान) देती है। भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) ने सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) को महाराष्ट्र चुनावों से संबंधित कथित डेटा हेरफेर और पक्षपातपूर्ण नेरेटिव के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। यह कदम 'वोट चोरी' विवाद के बीच उठाया गया है, जिसमें विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस, ने चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं। हालांकि कांग्रेस के आरोप कर्नाटक की एक विधानसभा सीट महादेवापुरा को लेकर थे। लेकिन इसके बाद बिहार में हुए एसआईआर ने इस विवाद को और भी बढ़ा दिया। बिहार से ऐसे कई लोग सामने आए, जिन्हें चुनाव आयोग की ड्राफ्ट मतदाता सूची में मृत घोषित किया गया लेकिन वे लोग जीवित हैं और उन्होंने नेता विपक्ष राहुल गांधी के साथ चाय भी पी। सुप्रीम कोर्ट में दो जीवित लोगों को लेकर एक्टिविस्ट योगेंद्र यादव पहुंचे।
आईसीएसएसआर ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, "यह हमारी जानकारी में आया है कि सीएसडीएस, जो एक आईसीएसएसआर द्वारा वित्त पोषित अनुसंधान संस्थान है, में एक जिम्मेदार पद पर कार्यरत व्यक्ति (संजय कुमार) ने महाराष्ट्र चुनावों के संबंध में डेटा विश्लेषण में गड़बड़ी का हवाला देते हुए मीडिया में बयान दिए थे। जिन्हें बाद में वापस लेना पड़ा। इसके अलावा, संस्थान ने भारत के चुनाव आयोग (ECI) के सैंपल वेरिफिकेशन (SIR) की पक्षपातपूर्ण व्याख्या के आधार पर मीडिया में खबरें प्रकाशित की हैं।" बता दें कि सीएसडीएस लोकनीति ने एक सर्वे किया था, जिसमें तमाम राज्यों में आम लोगों ने कहा था कि उन्हें चुनाव आयोग अब ज्यादा विश्सनीय नहीं लगता है। लोगों ने वोट चोरी और एसआईआर के आरोपों के मद्देनजर यह बात कही थी। उसी आधार पर सीएसडीएस ने अपना विश्लेषण किया था। सीएसडीएस की एक निष्पक्ष एजेंसी के रूप में पहचान है। उसने कई बार बीजेपी और पीएम मोदी की लोकप्रियता को लेकर भी सर्वे किया है, जिसमें उन्हें बेहतर बताया गया। लेकिन चुनाव आयोग की विश्वसनीयता कम होने की रिपोर्ट बीजेपी नेताओं को पसंद नहीं आई। बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने सीएसडीएस और संजय कुमार को टारगेट करते हुए कई ट्वीट भी किए।
आईसीएसएसआर ने इस घटना को सीएसडीएस को मिलने वाली ग्रांट नियम का घोर उल्लंघन करार दिया था। उसने कहा कि यह भारतीय चुनाव आयोग की पवित्रता को कमजोर करने का प्रयास है। परिषद ने जोर देकर कहा कि वह भारतीय संविधान का सर्वोच्च सम्मान करती है और चुनाव आयोग एक उच्च संवैधानिक निकाय है, जो दशकों से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करा रहा है।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब सीएसडीएस के सह-निदेशक और प्रसिद्ध चुनाव विश्लेषक संजय कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर महाराष्ट्र की कुछ विधानसभा सीटों पर मतदाता संख्याओं में भारी कमी या वृद्धि का दावा किया। उन्होंने कहा था कि 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच रामटेक और देवलाली में मतदाताओं की संख्या में 36-38% की कमी आई, जबकि नासिक पश्चिम और हिंगना में 43-47% की वृद्धि हुई।
हालांकि, संजय कुमार ने बाद में अपने पोस्ट को हटा लिया और मंगलवार को माफी मांगते हुए कहा, "महाराष्ट्र चुनावों के संबंध में पोस्ट किए गए ट्वीट्स के लिए मैं ईमानदारी से माफी मांगता हूं। 2024 के लोकसभा और विधानसभा डेटा की तुलना में त्रुटि हुई। हमारी डेटा टीम ने पंक्ति में डेटा को गलत पढ़ा। ट्वीट को हटा दिया गया है। मेरा किसी भी तरह की गलत सूचना फैलाने का कोई इरादा नहीं था।"
बीजेपी ने इस मुद्दे पर कांग्रेस और सीएसडीएस पर निशाना साधा। बीजेपी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि संजय कुमार का पोस्ट 40 घंटे तक ऑनलाइन रहा और इसे 34,000 लोगों ने देखा, जिसे कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग के खिलाफ प्रचार के लिए इस्तेमाल किया। उन्होंने इसे "झूठ की फैक्ट्री" करार दिया और राहुल गांधी से माफी की मांग की। अमित मालवीय ने भी सीएसडीएस और संजय कुमार पर निशाना साधा।
संजय कुमार की माफी के बाद बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे "सिर्फ एक गलती" मानने से इनकार करते हुए कहा कि यह संजय कुमार के साबित हो चुके "पक्षपात" (confirmation bias) का नतीजा है। मालवीय ने आगे लिखा, "जिस संस्थान के डेटा का इस्तेमाल राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के मतदाताओं को बदनाम करने के लिए किया, उसने अब स्वीकार किया कि उसके आंकड़े गलत थे। न केवल महाराष्ट्र के लिए, बल्कि अन्य जगहों के लिए भी।" अमित मालवीय ने एक और लंबा ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने सीएसडीएस के इतिहास पर ज्यादा हमला किया।
बीजेपी तिनके का सहारा ले रहीः कांग्रेस
दूसरी ओर, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने बीजेपी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, "यह तिनके का सहारा लेने जैसा है। बीजेपी का इकोसिस्टम अच्छी तरह जानता है कि वे 'वोट चोरी' में पकड़े गए हैं।" कांग्रेस ने यह भी दावा किया कि सीएसडीएस के डेटा को केवल अतिरिक्त सबूत के रूप में इस्तेमाल किया गया था, और उनकी शिकायतें अन्य स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित हैं। नेता विपक्ष राहुल गांधी ने महादेवापुरा का डेटा चुनाव आयोग से ही लिया था। लेकिन अमित मालवीय और बीजेपी उस डेटा को भी सीएसडीएस से जोड़ रहे हैं।नेता विपक्ष राहुल गांधी इस समय बिहार में वोट चोरी के खिलाफ तेजस्वी यादव के साथ मिलकर वोटर अधिकार यात्रा निकाल रहे हैं। आयोग ने राहुल गांधी के 'वोट चोरी' के आरोपों को "निराधार" करार दिया था और उनसे शपथपत्र के साथ सबूत देने या देश से माफी मांगने की मांग की थी। लेकिन इसके बाद विपक्ष ने जवाबी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा कर दिया। विपक्ष ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार गुप्ता पर महाभियोग चलाने की तैयारी शुरू कर दी है।