लोकसभा में मंगलवार को चुनाव सुधार और एसआईआर पर चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने सत्तारूढ़ भाजपा पर तीखा हमला बोला। उन्होंने प्रशासनिक मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए चुनाव सुधारों पर सवाल उठाए। रामपुर और फर्रुखाबाद में हाल के उपचुनावों का जिक्र करते हुए यादव ने दावा किया कि मतदान के दिन पुलिस और अधिकारियों ने लोगों को घर से बाहर निकलने नहीं दिया, जिससे मतदान प्रतिशत सीधे प्रभावित हुआ। अखिलेश ने कहा- ये वोट चोरी नहीं है, ये वोटों की डकैती है।

उन्होंने बताया कि खुली धांधली के दम पर रामपुर से भाजपा की यह पहली जीत थी और उनकी पार्टी ने ऐसी घटनाओं के ढेरों सबूत चुनाव आयोग को सौंपे थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। "यह उपचुनावों में वोट चोरी नहीं बल्कि वोट डकैती थी।"

इलेक्टोरल बॉन्ड के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि भाजपा को सबसे ज्यादा फंड मिला, उसके बाद कांग्रेस, जबकि क्षेत्रीय पार्टियां संघर्ष करती रहीं। "हमें कुछ नहीं मिला।" चुनावी खर्च में भाजपा का सबसे बड़ा हिस्सा है, उसके बाद कांग्रेस। क्षेत्रीय पार्टियां सवाल कर रही हैं कि वे कैसे मुकाबला करेंगी। यह अभियान वित्तपोषण में असंतुलन को दर्शाता है।

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उत्तर प्रदेश में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) पर चिंता जताते हुए यादव ने दावा किया कि इस प्रक्रिया में अब तक 10 बूथ लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) की जान जा चुकी है।

एसआईआर की आड़ में एनआरसी

उत्तर प्रदेश में एसआईआर के दौरान मारे गए नौ बीएलओ की सूची पढ़ते हुए यादव ने कहा कि उनकी पार्टी ने एक पीड़ित परिवार को 2 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी, लेकिन सरकार से हर पीड़ित के परिवार को 1 करोड़ रुपये मुआवजा और एक सदस्य को नौकरी देने की मांग की। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या बीएलओ को दी जाने वाली ट्रेनिंग पर्याप्त है और आरोप लगाया कि एसआईआर की चर्चा राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करने से जुड़ी है, जहां "घुसपैठियों" की पहचान के बहाने डिटेंशन सेंटर बनाए जा रहे हैं।

यादव ने सदन को याद दिलाया कि पिछले उत्तर प्रदेश चुनाव में सपा सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन भाजपा ने सांप्रदायिक माहौल बनाकर नतीजों को प्रभावित किया। उन्होंने अयोध्या स्थित फैजाबाद से सपा सांसद अवधेश प्रसाद की जीत का उदाहरण दिया कि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण ने परिणामों को कैसे आकार दिया।

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सुधारों की मांग करते हुए यादव ने कांग्रेस के सुझावों का समर्थन किया- चुनाव आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया को पुनर्गठित करने और बैलेट पेपर वोटिंग पर लौटने का। "अगर जर्मनी और अमेरिका जैसे उन्नत देश पेपर से वोटिंग कर रहे हैं, तो हम ईवीएम क्यों इस्तेमाल कर रहे हैं?" 
अपने भाषण का समापन करते हुए यादव ने कहा, "यह वोट चोरी नहीं, वोट डकैती है। अगर निष्पक्ष चुनाव हुए तो आप एक भी सीट नहीं जीत पाएंगे।"