शीर्ष मुस्लिम धार्मिक संगठनों, सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड और खानकाहों का प्रतिनिधित्व करने वाले 35 लोगों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को नीतीश से मुलाकात सारे मुद्दे रखे थे। उनकी आशंकाओं को नीतीश ने गौर से सुना और कहा कि जेडीयू ऐसा विधेयक चाहती है, जिसमें मुस्लिमों की राय हो। विवादित विधेयक नहीं चाहती। इस मीटिंग के बाद नीतीश के मंत्री खुलकर विधेयक का विरोध करने लगे।
विधेयक पर पार्टी के रुख के बारे में पूछे जाने पर नीतीश के राजनीतिक सलाहकार और जेडीयू प्रवक्ता के.सी. त्यागी ने द टेलीग्राफ को बताया, “नीतीश जी ने मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया है कि वह उनके हितों की रक्षा करेंगे। हम इस पर कायम रहेंगे।” जेडीयू सूत्रों ने कहा कि पार्टी वक्फ (संशोधन) विधेयक के पक्ष में नहीं है और अगर लोकसभा में मतदान के लिए आया तो शायद इसका समर्थन नहीं करेगी। एक वरिष्ठ जेडीयू नेता ने द टेलीग्राफ से कहा- हमारी पार्टी के किसी भी शीर्ष नेता ने विधेयक के समर्थन में कुछ नहीं कहा है। जेपीसी रिपोर्ट आने तक हम इस मुद्दे पर इंतजार करो और देखो की नीति अपना रहे हैं। इस बीच, केंद्र सरकार के पास अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का भी समय होगा।”