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बीजेपी संसदीय बोर्ड में क्यों लाया जा रहा है योगी को?

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को जल्द ही प्रमोशन मिलने वाली है। उन्हें बीजेपी संसदीय बोर्ड का सदस्य बनाया जा सकता है। बीजेपी संसदीय बोर्ड बहुत पावरफुल माना जाता है और तमाम नीतिगत फैसले वहां लिए जाते हैं। बीजेपी संसदीय बोर्ड का सदस्य होने का अर्थ यह भी होता है कि पार्टी उसे राष्ट्रीय भूमिका में देखना चाहती है। योगी सोमवार को दिल्ली में थे। उसके बाद इन चर्चाओं को बल मिला है। हालांकि यह नेरेटिव दरअसल 2024 के चुनावों के लिए भी सेट किया जा रहा है कि मोदी-योगी की जोड़ी देश को आगे ले जा सकती है, दोनों हार्ड कोर हिन्दुत्व के पोस्टर ब्वॉय माने जाते हैं।
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यूपी विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान अमित शाह ने बहुत साफ शब्दों में यूपी बीजेपी काडर से कहा था कि 2024 में बीजेपी की जीत का रास्ता यूपी से जाता है। अब जबकि यूपी में बीजेपी आ चुकी है, बीजेपी लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट चुकी है। योगी को संसदीय बोर्ड में लाने के पीछे यह संकेत भी दिया जा रहा है कि मोदी के बाद कौन तो पार्टी के पास जवाब होगा-योगी। उनके संसदीय बोर्ड में होने से योगी का रास्ता सर्वोच्च शिखर तक पहुंचने में आसान हो जाएगा। बीजेपी के कुछ नेता मानते हैं कि बीजेपी का कोर वोटर 2024 में इस संकेत को तेजी से पकड़ेगा।
11 सदस्यीय बीजेपी संसदीय बोर्ड में चार स्थान खाली हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा, छह मौजूदा सदस्य बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और संगठन महासचिव बीएल संतोष हैं। चौहान को 2014 में शामिल किया गया था। काफी समय से अरुण जेटली और सुषमा स्वराज की पोस्ट खाली है। चार स्थानों को भरने के लिए पार्टी नेतृत्व "योग्य" दिग्गजों की तलाश कर रहा है। वेंकैया नायडू और सांसद थावरचंद गहलोत की पोस्ट भी खाली पड़ी है।

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अपने दिल्ली दौरे पर योगी दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक और राज्य महासचिव (संगठन) सुनील बंसल को भी साथ लाए थे। दिल्ली में पीएम मोदी के अलावा उन लोगों ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। चारों ने अगले 100 दिनों के लिए यूपी की कार्य योजना बताई। समझा जाता है कि उन्होंने स्वतंत्र देव सिंह के स्थान पर यूपी बीजेपी के अगले अध्यक्ष के नाम भी सुझाने को कहा। स्वतंत्र देव अब मंत्री बन गए हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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