तमिलनाडु की एक प्रमुख लॉजिस्टिक्स कंपनी विनट्रैक इंक ने रिश्वतखोरी और उत्पीड़न के आरोप लगाते हुए भारत में अपनी आयात-निर्यात गतिविधियों को पूरी तरह बंद करने की घोषणा कर दी है। कंपनी ने चेन्नई कस्टम्स अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं, लेकिन कस्टम्स विभाग ने इन दावों को झूठा बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया है। यह विवाद सोशल मीडिया पर छिड़ गया है, जिसमें पूर्व इंफोसिस सीएफओ मोहनदास पाई जैसे प्रमुख हस्तियों ने भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर भ्रष्टाचार रोकने में नाकामी का आरोप लगाया है।

इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, हेल्थकेयर और लाइफस्टाइल उत्पादों के आयात में महारत विनट्रैक इंक ने 1 अक्टूबर 2025 से भारत में अपना सभी कार्गो संचालन रोकने का ऐलान किया। कंपनी ने कहा, '1 अक्टूबर 2025 से, हमारी कंपनी भारत में इंपोर्ट-एक्सपोर्ट गतिविधियाँ बंद कर देगी। पिछले 45 दिनों से चेन्नई कस्टम्स अधिकारी हमें लगातार परेशान कर रहे हैं। इस साल दो बार उनके रिश्वत लेने के तरीकों को उजागर करने के बाद उन्होंने बदला लिया और भारत में हमारे कामकाज को पूरी तरह से ठप्प कर दिया और हमारा बिजनेस बर्बाद कर दिया। इन मुश्किल समय में हमारा साथ देने वाले सभी लोगों को हम तहे दिल से धन्यवाद देते हैं।'
जब इस मामले में विवाद बढ़ा तो कंपनी के संस्थापक प्रवीन गणेशन ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, 'पिछले 45 दिनों से चेन्नई कस्टम्स के अधिकारियों द्वारा लगातार उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है। इस साल दो बार जब हमने उनकी रिश्वतखोरी को उजागर किया तो उन्होंने बदला लिया, जिससे हमारी व्यवसायिक गतिविधियां पूरी तरह ठप हो गईं और भारत में हमारा कारोबार तबाह हो गया।' कंपनी ने दावा किया है कि एक शिपमेंट को रिलीज करने के लिए 2.10 लाख रुपये की रिश्वत दी गई, उस सामान का मूल्य मात्र 6.25 लाख रुपये था।
गणेशन ने स्क्रीनशॉट्स शेयर करते हुए अधिकारियों के नाम लिए और कहा, 'हमारे पास सबूत हैं, क्या कस्टम्स उन अधिकारियों पर कार्रवाई करेगा जो रिश्वत लेते हैं?'
यह विवाद एक विशिष्ट शिपमेंट को लेकर भड़का, जिसमें यूएसबी चार्जिंग केबल्स शामिल थे, जिनमें बिल्ट-इन रिचार्जेबल बैटरी लगी हुई थी। विनट्रैक के अनुसार, इन आठ अनडिक्लेयर्ड बॉक्सेस को चेन्नई एयरपोर्ट पर रोक लिया गया था, क्योंकि बैटरी वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2022 के तहत सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड यानी सीपीसीबी से सर्टिफिकेशन की आवश्यकता थी। कंपनी का कहना है कि कस्टम्स अधिकारियों ने कानूनी छूट के दावों को गैर-कानूनी बताकर शिपमेंट को जानबूझकर लटका दिया और रिश्वत की मांग की। गणेशन ने आगे आरोप लगाया कि उनकी पत्नी की कंपनी के माध्यम से दाखिल एक अन्य शिपमेंट में भी 1.6 लाख + 50,000 रुपये की "रैनसम" मांगी गई। उन्होंने कस्टम्स की प्रक्रियाओं में "लूपहोल्स" का हवाला देते हुए कहा कि अधिकारी इन्हें अपनी मर्जी से इस्तेमाल करते हैं।
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इधर, चेन्नई कस्टम्स ने एक विस्तृत बयान जारी कर सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया। विभाग ने कहा, 'ये दावे पूरी तरह झूठे, गढ़े हुए और अधिकारियों पर दबाव बनाने की सुनियोजित रणनीति हैं। इस आयातक का एक स्थापित पैटर्न है कि जब भी अनुपालन उल्लंघन का सामना करना पड़ता है तो सोशल मीडिया पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाता है, लेकिन जब विभाग तथ्यों के साथ खंडन करता है, तो पोस्ट डिलीट कर देता है।' कस्टम्स के अनुसार, शिपमेंट में मिसडिक्लेरेशन और मिसक्लासिफिकेशन पाई गई, जिसमें यूएसबी केबल्स को बैटरी युक्त उत्पाद के रूप में घोषित नहीं किया गया था। विभाग ने साफ़ किया कि सुनवाई आयोजित की गई, देरी को समायोजित किया गया और बॉन्डिंग परमिशन दी गई ताकि डिमरेज (लेट फीस) कम हो। 
कस्टम्स ने आगे आरोप लगाया कि 30 सितंबर 2025 को एक आधिकारिक बैठक में प्रावीन गणेशन ने वरिष्ठ अधिकारियों को मीडिया एक्सपोजर और आत्म-हानि की धमकी दी, जिसे औपचारिक रूप से दर्ज किया गया है। विभाग ने विनट्रैक से जुड़े लोगों की एक अन्य कंपनी के शिपमेंट का भी जिक्र किया, जिसमें समान अनुपालन कमियां पाई गईं, और कहा कि यह आयातक की चालाकी का प्रमाण है। चेन्नई कस्टम्स ने जोर देकर कहा, 'हम अपने वैधानिक कर्तव्यों का पालन करने से नहीं हटेंगे। हर कार्रवाई कानूनी और प्रक्रियागत रूप से सही थी।'
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सोशल मीडिया पर बवाल

इस विवाद ने व्यापक बहस छेड़ दी है। पूर्व इंफोसिस वित्तीय प्रमुख मोहनदास पाई ने एक्स पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को टैग करते हुए लिखा, 'मैडम सीतारमण, यह स्वीकार्य नहीं है। आप भ्रष्टाचार रोकने में विफल रहीं।' पाई ने इसे टैक्स टेररिज्म करार दिया और कहा कि बंदरगाहों में प्रणालीगत भ्रष्टाचार छोटे व्यवसायों को नष्ट कर रहा है।
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने ट्वीट किया, "यह सच में निराशाजनक है। सिस्टम में भ्रष्टाचार अभी भी आम बात है और ज़्यादातर कंपनियाँ इसे 'बिजनेस करने की कीमत' के तौर पर मानकर चलती हैं। ऐसा होना ज़रूरी नहीं है। असल में अगर देश को तरक्की करनी है तो ऐसा नहीं होना चाहिए।"
विनट्रैक ने कहा है कि वह सबूतों के साथ आगे की कानूनी कार्रवाई करेगा। कस्टम्स विभाग ने भी जांच की पेशकश की है। यह घटना भारत में व्यापार सुगमता और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई पर सवाल खड़े कर रही है, खासकर जब सरकार ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने का दावा कर रही है।