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सोमवार को जंतर मंतर पर किसानों ने बैरिकेडिंग तोड़ दी।

महिला पहलवानः किसानों का आना जारी, हरियाणा के भाजपाई भी बोलने लगे

महिला पहलवानों का समर्थन बढ़ता जा रहा है। हरियाणा के बीजेपी नेताओं ने भी महिला पहलवानों के पक्ष में बोलना शुरू कर दिया है या बोलकर तटस्थ दिखाना शुरू कर दिया है। किसानों के जत्थे आज सोमवार को भी जंतर मंतर पहुंचे और उन्होंने पुलिस के बैरिकेडिंग वगैरह को तोड़ दिया।
देश की 7 महिला पहलवान यौन उत्पीड़न के खिलाफ पिछले दो हफ्तों से जंतर मंतर पर बैठी हुई हैं। यौन उत्पीड़न का आरोप भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और बाहुबली भाजपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह पर है। उनके खिलाफ पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज कर ली हैं लेकिन अभी तक न तो पूछताछ की है और न ही पॉक्सो कानून के तहत ब्रजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की है।
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किसान प्रदर्शनकारी पहलवानों के समर्थन में दिल्ली की ओर मार्च करने के लिए टोल प्लाजा पर जमा हो रहे हैं। पुलिस ने आज बॉर्डर पर कीर्ति किसान यूनियन के जत्थे को रोकने की कोशिश की लेकिन नाकाम रही। इसके बाद कीर्ति किसान यूनियन के लोगों को भारी सुरक्षा में जंतर मंतर तक लाया गया। जंतर मंतर पहुंचते ही उनके तेवर उग्र हो गए और उन्होंने वहां लगी बैरिकेडिंग को तोड़ दिया।
पहलवानों के समर्थन में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सबसे पहले पहुंचे। उसके बाद इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला सहित कई और विपक्षी नेताओं ने भी जंतर मंतर का दौरा किया। इसका नतीजा यह निकला कि हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा के भीतर से अब आंदोलनरत पहलवानों के समर्थन में आवाजें उठने लगी हैं। संयुक्त किसान मोर्चा, भारतीय किसान यूनियन और खाप पंचायतों ने कल ही सरकार को 15 दिनों में ब्रजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी का अल्टीमेटम दिया है। हरियाणा के भाजपाई उसके बाद ही जागे हैं।
दरअसल, हरियाणा भाजपा नेताओं का दिल इसलिए नहीं पसीजा है कि उन्हें महिला पहलवानों से कोई हमदर्दी है। किसान आंदोलन के दौरान किसान जत्थों ने हरियाणा में तमाम मंत्रियों और विधायकों के घुसने पर पाबंदी लगा दी थी। मुख्यमंत्री खट्टर को रैली नहीं करने दी गई, उनका मंच तोड़ दिया गया। हरियाणा के भाजपाई उन घटनाओं को भूले नहीं हैं।
विनेश फोगट, बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक सहित प्रदर्शनकारी पहलवान, जो सभी हरियाणा से हैं, रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के भाजपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। लेकिन भाजपा का शीर्ष नेतृत्व चुप्पी साधे हुए है। सरकार और दिल्ली पुलिस ब्रजभूषण के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।  
हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने भी इस मामले में मध्यस्थता करने की इच्छा व्यक्त करते हुए कहा, "मैं पहलवानों का समर्थन करता हूं।" विज ने यह भी कहा, 'जरूरत पड़ी तो मैं सरकार के उच्चाधिकारियों से बात करूंगा।'

हाल ही में भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने जोर देकर कहा था कि "पहलवानों द्वारा लगाए गए आरोप गंभीर प्रकृति के हैं।" मनोहर लाल खट्टर सरकार का समर्थन करने वाले निर्दलीय विधायक रणजीत सिंह चौटाला ने कहा कि जिस व्यक्ति पर इस तरह के आरोप लगे हैं, उसे अपना बचाव नहीं करना चाहिए, बल्कि अपने इस्तीफे की पेशकश करनी चाहिए।

रविवार को हिसार के एक गांव में खाप द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए हिसार के भाजपा सांसद और पूर्व मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह ने कहा, 'मैं देश का अकेला भाजपा सांसद हूं, जिसने (आंदोलनकारी) पहलवानों के समर्थन में बात की है। मैं जानता हूं कि कभी-कभी पार्टी को ऐसी चीजें पसंद नहीं आतीं, क्योंकि उसका अपना अनुशासन होता है।'

हरियाणा बीजेपी नेताओं के बयान ऐसे समय में आए हैं जब पहलवानों का आंदोलन एक भावनात्मक मुद्दे में बदल गया है, खासकर हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में, जहां बड़ी संख्या में युवा खेलों में भाग लेते हैं। कई लोगों का मानना ​​है कि चूंकि इस मुद्दे में पहलवानों की सुरक्षा और सुरक्षा शामिल है, इसलिए यदि इसे जल्दी हल नहीं किया गया तो इसके राजनीतिक परिणाम होंगे।

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किसान समुदाय से बड़ी संख्या में पहलवानों के आने से किसान संगठनों और खाप पंचायतों ने सक्रिय रूप से आंदोलनकारियों का समर्थन करना शुरू कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक, पिछले हफ्ते पुलिस की कार्रवाई का हवाला देते हुए दिल्ली में आंदोलनकारी पहलवानों पर कोई "अत्याचार" किया गया तो इन संगठनों ने राष्ट्रीय राजमार्ग जाम करने की योजना बनाई है। सूत्र ने कहा कि “यह उसी तरह से हो सकता है जैसे जनवरी 2021 में दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर से राकेश टिकैत के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों को पुलिस द्वारा हटाने की कोशिश के बाद उन्होंने रात में सड़कों और राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया था। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन उस समय चरम पर था।

ऐसी खबरें हैं कि पहलवानों को समर्थन देने के लिए खिलाड़ियों ने भी गांवों में बैठकें की हैं। जींद, अंबाला, हिसार और कैथल समेत कई जगहों पर कैंडल मार्च निकाला गया है।

रविवार को पंजाब से महिलाओं का जत्था पहलवानों को समर्थन देने दिल्ली पहुंचा। अपने रास्ते में, ये महिलाएं - अपने किसान संगठनों के झंडे लेकर - हरियाणा की सड़कों को पार कर गईं, जो राज्य में आंदोलनकारी पहलवानों का समर्थन कर रहे लोगों को और प्रोत्साहित कर रही थीं। निकट भविष्य में हरियाणा और पंजाब से किसान निकायों की अधिक सक्रिय भागीदारी के संकेत हैं, जो कि अधिक असंतोष को बढ़ावा देने और अधिक राजनीतिक नेताओं को प्रदर्शनकारियों के लिए अपना समर्थन व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करने की उम्मीद है।

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यूसुफ किरमानी
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