भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को चेतावनी दी कि वैश्विक व्यापार में चल रही उथल-पुथल और टैरिफ की घोषणाओं के कारण भारत के लिए बाहरी मांग की संभावनाएँ अनिश्चित बनी हुई हैं। तो क्या इससे भारत की विकास दर प्रभावित हो सकती है? हालांकि, मल्होत्रा ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था मध्यम अवधि में मजबूत स्थिति में है और नई वैश्विक व्यवस्था में भारत के लिए कई अवसर मौजूद हैं। यह बयान आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद आया, जिसमें रेपो रेट को 5.5% पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया गया। यह बैठक ऐसे समय में हुई, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है और रूस से तेल खरीदने के लिए अतिरिक्त पेनल्टी की धमकी दी थी। हालाँकि, देर शाम को ट्रंप ने 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ़ लगाने के कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता और टैरिफ की घोषणाओं के कारण भारत के निर्यात और आर्थिक विकास पर असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा, 'टैरिफ़ की अनिश्चितताएँ अभी भी बढ़ रही हैं। वैश्विक जियो-पॉलिटिकल तनाव, अनिश्चितताएँ और वित्तीय बाजारों में अस्थिरता भारत के आर्थिक विकास के लिए जोखिम पैदा कर रही हैं।'
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हालाँकि, मल्होत्रा ने यह भी जोड़ा कि भारत की अर्थव्यवस्था घरेलू मांग, अच्छे मॉनसून, और मजबूत नीतियों के दम पर स्थिर बनी हुई है। उन्होंने कहा, 'हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत आधार पर टिकी है। मध्यम अवधि में भारत के लिए अवसर मौजूद हैं और हम इनका लाभ उठाने के लिए नीतियाँ बना रहे हैं।'

आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.5% पर बरकरार रखा है। 

पहली तिमाही में 6.5%, दूसरी में 6.7%, तीसरी में 6.6% और चौथी में 6.3% विकास दर रहने का अनुमान लगाया गया है। अगले वित्त वर्ष यानी 2026-27 की पहली तिमाही के लिए 6.6% की वृद्धि का अनुमान है।

ट्रंप की टैरिफ धमकी और भारत का रुख

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 30 जुलाई को भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जो 7 अगस्त से लागू होगा। इसके अलावा बुधवार शाम को 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ़ की घोषणा की है। इस तरह कुल टैरिफ़ अब 50 फीसदी हो गया है। उन्होंने हाल ही में भारत पर रूस से तेल खरीदने का आरोप लगाते हुए इसे 'बड़े मुनाफे' का सौदा बताया और अगले 24 घंटों में टैरिफ़ को काफ़ी ज़्यादा बढ़ाने की धमकी दी थी। ट्रंप ने भारत को 'मृत अर्थव्यवस्था' कहकर तंज कसा, जिसका जवाब देते हुए मल्होत्रा ने कहा कि भारत की वृद्धि दर 6.5% है, जो वैश्विक औसत (3%) से दोगुनी है।

मल्होत्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'हमें अमेरिकी टैरिफ का भारतीय अर्थव्यवस्था पर बड़ा प्रभाव नहीं दिखता, जब तक कि जवाबी टैरिफ़ न लगे। हम उम्मीद करते हैं कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ताओं में सौहार्दपूर्ण समाधान निकलेगा।' भारत और अमेरिका के बीच मार्च 2025 से व्यापार समझौते के लिए पांच दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कृषि जैसे मुद्दों पर मतभेद के कारण यह रुक गया है।
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रूस से तेल खरीद और महंगाई पर असर

ट्रंप ने भारत के रूस से तेल आयात की आलोचना की है, लेकिन मल्होत्रा ने साफ़ किया कि रूस से तेल खरीद कम करने से भारत में महंगाई पर बड़ा असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, 'हम केवल रूस से ही तेल नहीं खरीदते, बल्कि कई अन्य देशों से भी आयात करते हैं। अगर तेल आपूर्ति का स्रोत बदलता है तो इसका असर वैश्विक कीमतों और सरकारी नीतियों पर निर्भर करेगा।'

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार टैरिफ या उत्पाद शुल्क के जरिए किसी भी कीमत वृद्धि को नियंत्रित कर सकती है। आरबीआई ने मुद्रास्फीति का अनुमान 2025-26 के लिए 3.1% तक कम कर दिया है, जो पहले 4.2% था। इसका कारण मुख्य रूप से सब्जियों की कीमतों में कमी और अच्छा मॉनसून है।
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भारतीय अर्थव्यवस्था की ताक़त

मल्होत्रा ने भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अच्छे मॉनसून, बढ़ती क्षमता उपयोगिता, और अनुकूल वित्तीय परिस्थितियां घरेलू मांग को बढ़ावा दे रही हैं। निर्माण और व्यापार क्षेत्रों में निरंतर वृद्धि के कारण सेवा क्षेत्र भी मजबूत बना रहेगा। इसके अलावा, सरकार की पूंजीगत व्यय और सहायक मौद्रिक नीतियां मांग को और बढ़ाएंगी।

हालांकि, मल्होत्रा ने चेतावनी दी कि वैश्विक व्यापार में बाधाएं और जियो पॉलिटिकल तनाव भारत के निर्यात को प्रभावित कर सकते हैं। विशेष रूप से, माल निर्यात को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जबकि सेवा निर्यात मजबूत बना रहेगा।

आरबीआई गवर्नर ने वैश्विक व्यापार की अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती पर भरोसा जताया है। उन्होंने कहा कि भारत की घरेलू मांग और नीतियां अर्थव्यवस्था को स्थिर रखेंगी, लेकिन टैरिफ और वैश्विक तनाव निर्यात को प्रभावित कर सकते हैं। भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ताओं से सकारात्मक परिणाम की उम्मीद है, और आरबीआई स्थिति पर नजर रखे हुए है।