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30 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को बोनस, पटरी पर लौटेगी अर्थव्यवस्था?

बदहाल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए ज़रूरी है कि खपत बढ़े और मांग निकले। शायद इसे ध्यान में रख कर ही केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को बोनस देने का फ़ैसला किया है। 
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसका एलान करते हुए कहा कि 30 लाख अराजपत्रित यानी नॉन-गजेटेड कर्मचारियों को बोनस दिया जाएगा, जिस पर सरकार को 3,737 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे।
इसके तहत विजय दशमी के पहले एकमुश्त रकम सभी केंद्रीय कर्मचारियों को दे दी जाएगी।
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उत्पादकता से जुड़ा बोनस

सरकार ने एलान किया है कि अराजपत्रित कर्मचारियों को उत्पादकता से जुड़ा बोनस दिया जाएगा। यह बोनस रेलवे, डाक, रक्षा और पीएफ व ईएसआई के कर्मचारियों को दिया जाएगा। इसके तहत 16.97 लाख लोगों को फ़ायदा होगा।
इसके अलावा 13.70 लाख अराजपत्रित कर्मचारियों को एड-हॉक बोनस दिया जाएगा, जिसका उत्पादकता से संपर्क नहीं होगा।

एलटीसी

याद दिला दें कि इसके पहले सरकार ने एलटीसी से जुड़े लाभ का एलान भी किया था। सरकार ने तकरीबन 10 दिन पहले एलान किया था कि लीव ट्रैवल कनसेशन के तहत केंद्रीय कर्मचारियों को नकद वाउचर दिए जाएंगे और त्योहार के पहले नकद एडवांस दिया जाएगा।
इसके तहत यह प्रावधान किया गया कि एलटीसी नकद वाउचर स्कीम के तहत केंद्रीय कर्मचारी छुट्टियों के बदले उस अवधि के पैसे ले सकेंगे। इसके अलावा वे टिकट के मूल्य की तीन गुणी रकम का कोई सामान खरीद सकेंगे, जिस पर कम से कम 12 प्रतिशत का जीएसटी लगता हो।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि इस स्कीम पर सरकार को 5,675 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे। सरकार ने बैंक जैसे सरकारी उपक्रमों को भी यह स्कीम लागू करने की छूट दी है।

त्योहार एडवांस

वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि त्योहार के मौके पर कर्मचारियों को विशेष एडवांस दिया जा सकता है। पहले इस तरह का एडवांस दिया जाता था, लेकिन सातवें वेतन आयोग में इसे बंद कर दिया गया था। यह स्कीम भी 31 मार्च 2021 तक ही है। 

इस स्कीम के तहत सरकार हर केंद्रीय कर्मचारी को बग़ैर ब्याज 10 हज़ार रुपए तक का एडवांस दे सकती है। इसे 10 आसान किस्तों में चुकाना होगा। इस पर सरकार को 4 हज़ार करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। 

पटरी पर अर्थव्यवस्था?

इसके पहले जब सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज का एलान किया था तो उसकी यह कह कर आलोचना हुई थी कि इससे मांग व खपत नहीं पैदा होंगी। बग़ैर मांग-खपत के अर्थव्यवस्था को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है। 
लेकिन सवाल यह उठता है कि ऐसी अर्थव्यवस्था जो कुछ दिन पहले ही शून्य से 24 प्रतिशत नीचे चली गई हो, उसके लिए इतनी छोटी रकम का क्या महत्व है। इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था में कुछेक हज़ार करोड़ रुपए डालने से कितनी मांग निकलेगी और वह उद्योग को कितना आगे बढ़ाएगी, सवाल यह है। 
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क़मर वहीद नक़वी
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