क्या चीनी कंपनियाँ भारत से अपना निवेश निकाल कर दक्षिण पूर्व एशिया के दूसरे देशों में लगा सकती हैं? क्या वे भारत के बाज़ार का विकल्प तलाशने का काम शुरू कर सकती हैं? यदि ऐसा हुआ तो किसे ज़्यादा नुक़सान होगा?