loader

आर्थिक सर्वे : सरकार को 7% जीडीपी वृद्धि दर की उम्मीद

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट के एक दिन पहले संसद में आर्थिक सर्वे पेश करते हुए कहा है कि अगले साल सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी वृद्धि दर का लक्ष्य 7 प्रतिशत रखा गया है। लेकिन इसके बाद जीडीपी वृद्धि दर का लक्ष्य 8 प्रतिशत किया जाएगा ताकि देश 2025 तक 5 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाए। मौजूदा जीडीपी वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत है। इसे देखते हुए अनुमानित दर को व्यवहारिक ही कहा जाएगा।
अर्थतंत्र से और खबरें
आर्थिक सर्वे में यह उम्मीद की गई है कि वित्तीय घाटे को 3.4 प्रतिशत पर रोक लिया जाएगा और पेट्रोलियम उत्पादों की क़ीमत इस साल कम हो जाएगी। 

डाटा हाईवे

सर्वे में यह साफ़ कर दिया गया है कि सरकार डाटा का इस्तेमाल करेगी। डाटा प्रबंध पर विशेष ध्यान दिया गया है और कहा गया है कि इसका मूल मंत्र ‘जनता की, जनता के लिए और जनता के द्वारा’ होना चाहिए। यह कहा गया है कि डाटा और इनफ़ॉर्मशेन हाईवे भौतिक हाईवे की तरह ही होने चाहिए और उन्हें उसी रूप में देखा जाना चाहिए। इसके लिए डाटा प्राइवेसी का ख़्याल रखा जाएगा औ क़ानून में ज़रूरी संशोधन किए जाएँगे। आधार की तारीफ़ करते हुए कहा गया है कि इससे बहुत बड़ा डाटा बेस तैयार कर लिया गया है।

मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यण ने तैयार किया है। इसका महत्व यह है कि इससे सरकार की आर्थिक नीतियों और प्राथमिकताओं का पता चलता है।  

रोज़गार पर ज़ोर

सुब्रमण्यम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में रोज़गार के मौके बनाने पर ज़ोर देते हुए कहा कि सूक्ष्म, लघु और छोटे उद्यमियों को बढ़ावा दिया जाएगा, क्योंकि यही सेक्टर सबसे ज़्यादा रोज़गार के मौके बना सकता है। उन्होंने रोज़गार पैदा करने के बारे में कहा कि जब पहली बार एटीएम लगाए गए तो लगा कि इससे नौकरियाँ कम हो जाएँगी, पर बाद में देखा गया कि कुल मिला कर अधिक नौकरियाँ बनीं। 

5 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था

सुब्रमण्यम ने कहा कि भारत को 2025 तक 5 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है। इसके लिए एक ब्लू प्रिंट की ज़रूरत होगी। आर्थिक सर्वे दरअसल यह ब्लू प्रिंट ही है। लेकिन यह साफ़ नहीं किया गया है कि इसमें किन बातों पर ज़ोर दिया जाएगा और इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था कैसे खड़ी की जाएगी। 

उत्पादन केंद्र

आर्थिक सर्वे में यह भी कहा गया है कि सरकार भारत को उत्पादन हब बनाने की कोशिश करेगी। दरअसल सरकार का मक़सद यह है कि दूसरे देश यहाँ अपने संयंत्र खोलें, उत्पादन करें और पूरी दुनिया को इसका निर्यात करें। फिलहाल यह काम करता चीन ही दिखता है, हालांकि इसमें कहीं चीन का नाम नहीं लिया गया है। 

आर्थिक सर्वे से यह उम्मीद बनती है कि सरकार अर्थव्यवस्था को सुधारने की दिशा में काम करना चाहती है। लेकिन अर्थव्यवस्था की जो स्थिति है, उसे उबारने के लिए कोई स्पष्ट दिशा या नीति नहीं दिखती है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि सरकार उत्पादन, खपत और माँग बढ़ाने के लिए क्या करने जा रही है? सरकार कैसे गिरती अर्थव्यवस्था को संभालेगी? बजट में इसका संकेत मिल सकता है और यह गुरुवार को ही संसद में पेश किया जाना है। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

अर्थतंत्र से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें