प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी राजनैतिक फौज जिस तेजी से हमारी अर्थव्यवस्था को पाँच ट्रिलियन तक पहुँचने और भारत के तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के दावे कर रहे हैं, वह लक्ष्य लगातार दूर भागता लग रहा है। यह काम कोविड के पहले से किया जा रहा है और इसमें नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान को छुपाना और इसमें एक अपराधभाव से निपटना भी था। लेकिन कोविड ने और उस दौरान उठाए कदमों ने भी स्थिति बिगाड़ी और अब जबकि अर्थव्यवस्था के पटरी पर आ जाने का दावा किया जाने लगा है, तब फिर से जो आँकड़े सामने आ रहे हैं या जो भविष्यवाणियां की जा रही हैं, वे दुनिया में सबसे तेज विकास दर, पाँच ट्रिलियन के जीडीपी और विश्व गुरु बनने के दावों को शक के दायरे में ला रहे हैं।
अर्थव्यवस्था पर मोदी सरकार के दावों की हकीकत क्या?
- अर्थतंत्र
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- 29 Jul, 2025

क्या मोदी सरकार की अर्थव्यवस्था पर की गई घोषणाएं जमीनी सच्चाई से मेल खाती हैं? जानिए GDP, रोजगार, महंगाई और विकास दर के आंकड़ों के आधार पर असली तस्वीर।
सबसे ताजा आँकड़ा तो करखनिया उत्पादन दर (जो डेढ़ फीसदी पर पहुँच गया है) में गिरावट और देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टीसीएस में भारी छंटनी की है। कुछ दिनों से उपभोक्ता उत्पादन कंपनियों के मुनाफे और बिक्री में कमी कई खबरें भी आ रही हैं और कार बाजार के बिना बिके कारों का बोझ बढ़ रहा है। पर इससे जुड़ी खबर यह भी है कि बड़ी कारों और स्पोर्ट्स वेहिकल का बाजार तेज है, एक-दो कमरे वाले फ्लैट की बिक्री नहीं है और बड़े घरों की मांग बढ़ी है। अर्थात समाज के एक वर्ग में अमीरी बढ़ रही है, बाकी लोगों की क्रयशक्ति गिर रही है।