डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई वाला अमेरिका भारत से व्यापार सौदे में बड़ी-बड़ी रियायतें मांग रहा है, लेकिन क्या भारत इनके आगे झुकने को तैयार होगा या होना चाहिए? हाल ही में 20 विशेषज्ञों और पूर्व वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय को एक चिट्ठी लिखकर सनसनीखेज सलाह दी है। इन्होंने कहा है कि यदि अमेरिका भारत के संवेदनशील हितों पर ज़्यादा दबाव डाले, तो भारत को सख्त रुख अपनाना चाहिए, भले ही इसका मतलब सौदा न हो पाना हो!
विशेषज्ञों ने ख़त क्यों लिखा- अमेरिका टैरिफ़ कम न करे तो भारत डील से हट जाए?
- अर्थतंत्र
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- 15 Jun, 2025
पूर्व राजनयिकों और व्यापार विशेषज्ञों ने भारत सरकार को पत्र लिखकर क्यों आगाह किया है कि अगर अमेरिका के साथ व्यापार समझौता असंतुलित हो, तो उससे बचना चाहिए? जानिए वजहें।

इस चिट्ठी में साफ़ लिखा है, 'यदि अमेरिका भारत के सबसे अहम हितों पर ज़्यादा रियायतें मांगे तो भारत को भी उतना ही सख्त रवैया अपनाना चाहिए। यदि सौदा नहीं होता तो अल्पकालिक नुक़सान लंबे समय तक चलने वाले असमान समझौते की तुलना में कम हानिकारक हो सकता है।' आखिर भारत इस व्यापारिक जंग में क्या रणनीति अपनाएगा? क्या वह ट्रंप की धमकियों के सामने डटकर खड़ा होगा, या सौदे की चाह में रियायतें दे देगा? सवाल है कि भारत के लिए यह एक मौक़ा है या चुनौती?