कोरोना काल में आत्मनिर्भर हुए एक सज्जन लखनऊ के पश्चिमी (चुनाव के लिहाज से पूर्वी) मोहल्लों में साइकिल पर फेरी लगा लगाकर समोसे, नमक पारे और बालूशाही जैसी चीजें बेचते हैं। हलवाई की दुकान में नौकरी करते थे, लेकिन लॉकडाउन के दौरान बेरोजगार हुए और उसके बाद घर पर ये चीजें बनाकर साइकिल पर बेचने का फॉर्मूला उन्हें रास आ गया। स्वाद और क्वालिटी दोनों अच्छे हैं इसलिए काम चल पड़ा है। सुबह सुबह मुलाक़ात हो गई। कुछ नहीं लूंगा यह तो मान गए मगर अचानक बहुत ज़ोर से कहा - तेल का हाल देख रहे हैं। आग लग गई है।