आर्थिक उदारीकरण की 30वीं सालगिरह पर पूर्व वित्त व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने कहा है कि आगे का रास्ता और मुश्किल भरा है तथा देश को अपनी प्राथमिकताएँ फिर से तय करनी होंगी ताकि हर किसी के लिए एक सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित हो सके। इसलिए यह समय खुश होने का नहीं है, बल्कि आत्मनिरीक्षण करने का है।
30 साल उदारीकरण : हम रवांडा की बराबरी पर आ गये हैं!
- अर्थतंत्र
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- 24 Jul, 2021

आर्थिक उदारीकरण की 30वीं सालगिरह पर पूर्व वित्त व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने कहा है कि आगे का रास्ता और मुश्किल भरा है तथा देश को अपनी प्राथमिकताएँ फिर से तय करनी होंगी
इस मौके पर एक बयान में मनमोहन सिंह ने कहा है कि 1991 में वित्त मंत्री के रूप में अपना बजट भाषण ख़त्म करते हुए उन्होंने विक्टर ह्यूगो का उल्लेख किया था और कहा था, "धरती पर कोई भी शक्ति उस आईडिया को नहीं रोक सकती है जिसका समय आ गया है।"
और 30 साल बाद उन्होंने कहा है, हमें रॉबर्ट फ्रॉस्ट की कविता, "मुझे वादे पूरे करने हैं और सोने से पहले मीलों चलना है", को याद रखना चाहिए।