भारत ने दूसरी तिमाही में GDP ग्रोथ 8.2% की रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की, जो सभी अनुमान और बाज़ार अपेक्षाओं से अधिक है। आख़िर किन किन सेक्टरों ने बढ़िया प्रदर्शन किया?
भारत के दूसरी तिमाही के जीडीपी के आँकड़ों ने सभी पूर्वानुमानों को पीछे छोड़ दिया है। इसने रिकॉर्ड 8.2 फीसदी की रफ़्तार से वृद्धि दर्ज की है। यह पिछले छह क्वार्टर में सबसे ज़्यादा है। अर्थशास्त्रियों ने दूसरी तिमाही में 7.3-7.7 फीसदी की दर से इसके बढ़ने का अनुमान लगाया था। खुद रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने तो 7 फीसदी वृद्धि रहने का अनुमान लगाया था। इस तिमाही में 8.2 फीसदी की बढ़ोतरी तब हुई जब अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा टैरिफ़ लगाए जाने का लगातार दबाव रहा है।
तो यह साफ़ है कि अमेरिका के नए ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए जा रहे टैरिफ के दबाव के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने दूसरी तिमाही में ज़बर्दस्त रफ्तार पकड़ी है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय यानी एनएसओ ने शुक्रवार को आँकड़े जारी किए। इसके अनुसार वित्त वर्ष 2025-26 की जुलाई-सितंबर तिमाही में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 8.2% रही, जो पिछले साल की समान तिमाही के 5.6% और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 7.8% से कहीं बेहतर है। यह पिछले छह तिमाही में सबसे तेज़ वृद्धि है और अधिकांश अर्थशास्त्रियों के अनुमान (7.4–7.7%) को भी पीछे छोड़ दिया।
किन क्षेत्रों ने दी रफ्तार?
अर्थव्यवस्था की इस तेज़ रफ्तार के पीछे मुख्य रूप से प्रोफेशनल सर्विसेज़, विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों का योगदान रहा।
- विनिर्माण क्षेत्र: 9.1%
- निर्माण क्षेत्र : 7.2%
- समग्र द्वितीयक क्षेत्र: 8.1%
- सेवा क्षेत्र : 9.2%
- वित्तीय सेवाएँ, रियल एस्टेट और प्रोफेशनल सर्विसेज़ में 10.2% की उछाल
निजी उपभोग खर्च ने भी मज़बूत वापसी की है। यह 7.9% बढ़ा, जो पिछले साल की समान तिमाही के 6.4% से काफी बेहतर है। इसका मतलब है कि आम लोगों की खरीदारी और माँग में अच्छी तेज़ी आई है, भले ही मानसून कुछ असमान रहा हो।
कृषि और यूटिलिटीज़ में सुस्ती
कृषि और यूटिलिटीज़ के ये दोनों क्षेत्र अपेक्षाकृत सुस्त रहे, जिससे कुल वृद्धि पर थोड़ा दबाव पड़ा।
- कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन: केवल 3.5% वृद्धि
- बिजली, गैस और जल आपूर्ति: 4.4%
वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत सबसे तेज़
ट्रम्प प्रशासन द्वारा स्टील, एल्यूमिनियम और कई अन्य भारतीय निर्यातों पर फिर से ऊँचे टैरिफ लगाने की धमकी के बावजूद यह प्रदर्शन भारत को दुनिया की सबसे तेज़ बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में फिर से स्थापित करता है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि मजबूत घरेलू माँग, निर्माण गतिविधियों में तेज़ी और सेवा क्षेत्र की बुलंदी ने बाहरी दबाव को कम कर दिया।
वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में भी यही गति बरकरार रहती है तो भारत आसानी से 7.5–8% की वार्षिक वृद्धि हासिल कर सकता है। हालाँकि, नीति-निर्माता अभी भी महंगाई, वैश्विक माँग में उतार-चढ़ाव और खरीफ फसल के अंतिम उत्पादन आँकड़ों पर नज़र रखे हुए हैं।
यह ज़रूरी आर्थिक डेटा आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी की मीटिंग से पहले आया है। सेंट्रल बैंक 5 दिसंबर को मुंबई में मीटिंग के बाद अपने फ़ैसलों का ऐलान करेगा। अब सभी की निगाहें रिज़र्व बैंक की आगामी मौद्रिक नीति बैठक पर हैं, जहाँ ब्याज दरों में कटौती की संभावना को लेकर बाज़ार में उत्साह है।