loader

ऋण धोखाधड़ी: ICICI की पूर्व सीईओ चंदा कोचर, उनके पति गिरफ्तार

सीबीआई ने शुक्रवार को आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी इस मामले में की गई है कि चंदा कोचर ने कथित तौर पर धोखाधड़ी से वीडियोकॉन ग्रुप ऑफ कंपनीज को ऋण दिया। तब चंदा कोचर आईसीआईसीआई बैंक की क़र्ज़ मंज़ूर करने वाली समिति की प्रमुख थीं।

आरोप है कि इसके एवज में उनके पति दीपक कोचर की कंपनी न्यूपावर रिन्यूएबल को वीडियोकॉन ग्रुप से निवेश मिला। लेकिन कुछ महीने बाद ही उन्होंने ये शेयर न्यूपावर को बेच दिए, वह भी कम कीमत पर। इसके बाद यह संदेह उठा कि दोनों में कोई रिश्ता तो नहीं है।

ताज़ा ख़बरें

वीडियोकॉन को दिया गया ऋण एक एनपीए यानी गैर-निष्पादित संपत्ति में बदल गया और बाद में इसे 'बैंक धोखाधड़ी' माना गया। सितंबर 2020 में प्रवर्तन निदेशालय ने भी दीपक कोचर को गिरफ्तार किया था।

2012 में चंदा कोचर ने आईसीआईसीआई बैंक का नेतृत्व किया और कथित तौर पर वीडियोकॉन समूह को 3,250 करोड़ रुपये का ऋण दिया। छह महीने बाद वेणुगोपाल धूत के स्वामित्व वाली सुप्रीम एनर्जी ने नूपावर रिन्यूएबल्स को 64 करोड़ रुपये का ऋण दिया, जिसमें कोचर की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

बता दें कि इस मामले में ही साल 2020 में ईडी ने चंदा कोचर के ख़िलाफ़ कार्रवाई की थी। इसने इससे जुड़े मनी लाउंड्रिंग की जाँच को लेकर चंदा कोचर की क़रीब 78 करोड़ रुपये की संपत्ति को अस्थायी रूप से अटैच कर लिया था। इसमें उनका मुंबई वाला घर और उस कंपनी की संपत्ति भी शामिल थी जिसके मालिक चंदा कोचर के पति दीपक कोचर हैं।
अर्थतंत्र से और ख़बरें

उससे एक साल पहले यह मामला आने पर 2019 की शुरुआत में ही चंदा कोचर को आईसीआईसीआई बैंक से हटा दिया गया था। तब नौकरी से निकाले जाने को लेकर एक बयान में बैंक ने कहा था कि कोचर को आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाने के बाद उनके इस्तीफ़े को नौकरी से निकालने के समान ही माना जाएगा। बैंक ने एक बयान में कहा था कि जस्टिस बी. एन. श्रीकृष्ण की अगुआई में बनी कमेटी ने वीडियोकॉन मामले में कोचर को बैंक की आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

अर्थतंत्र से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें