नरेंद्र मोदी सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि की दर तय करने के लिए आँकड़ों से छेड़छाड़ करने के मुद्दे पर जिस तरह एनएसएसओ को निशाने पर लिया, उससे कई सवाल खड़े होते हैं। यह पूछा जा रहा है कि क्या सरकार दूसरे तमाम संस्थानों की तरह इसे भी ध्वस्त करना चाहती है। यह सवाल उठना लाज़िमी है कि क्या सरकार एनएसएसओ को अप्रासंगिक कर देना चाहती है। सवाल यह भी उठ रहा है कि सरकार के रवैए से पूरी अर्थव्यवस्था का किस तरह और कितना नुक़सान हुआ है।
अपने ही आर्थिक संस्थानों को क्यों निशाने पर ले रही है मोदी सरकार?
- अर्थतंत्र
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- 12 May, 2019

नरेंद्र मोदी सरकार अपने ही आर्थिक संस्थानों को निशाने पर ले रही है और उन्हें कमज़ोर करने की कोशिश लगातार कर रही है। ऐसा क्यों?

























