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MSCI जैसी संस्थाओं की रिपोर्टों का अडानी समूह के शेयरों पर असर कैसे?

अडानी समूह की कंपनियों के शेयर शुक्रवार को फिर गिरे। हालाँकि कुछ कंपनियों की स्थिति सुधरी भी। गुरुवार को तो पूरे समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई थी। जबकि उससे पहले कुछ दिनों तक अडानी के सभी शेयरों की क़ीमतें सुधरती दिख रही थीं। तो सवाल है कि गुरुवार को आख़िर ऐसा क्या हो गया था? दरअसल, गुरुवार को एमएससीआई यानी मॉर्गन स्टेनली कैपिटल इंटरनेशनल की रिपोर्ट आई थी। उसने कहा था कि वह अडानी समूह की कुछ कंपनियों के शेयरों के फ्री-फ्लोट की स्थिति की समीक्षा करेगा और उन्हें सूचकांक में रहने देने को लेकर भी विचार करेगा।

तो सवाल है कि आख़िर एमएससीआई की समीक्षा करने से अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों पर असर क्यों पड़ रहा है? किसी भी अंतरराष्ट्रीय संस्था की रिपोर्ट से अडानी की कंपनियों पर असर क्यों पड़ रहा है?

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इन सवालों के जवाब जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर अडानी समूह हाल में इतनी सुर्खियों में क्यों है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनियों पर स्टॉक में हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हमने अपनी रिसर्च में अडानी समूह के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों सहित दर्जनों व्यक्तियों से बात की, हजारों दस्तावेजों की जांच की और इसकी जांच के लिए लगभग आधा दर्जन देशों में जाकर साइट का दौरा किया। हिंडनबर्ग अमेरिका स्थित निवेश रिसर्च फर्म है जिसे एक्टिविस्ट शॉर्ट-सेलिंग में महारत हासिल है। 

हालाँकि अडानी समूह ने हिंडनबर्ग के आरोपों को खारिज किया है, लेकिन रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद से अडानी की कंपनियों के शेयरों की क़ीमतें धड़ाम गिरी हैं और इससे समूह का मूल्य क़रीब आधा ही रह गया है।

हिंडनबर्ग रिसर्च के झटकों से अडानी समूह के शेयर मंगलवार को उबरते दिखे और उस दिन कारोबार के दौरान 25 प्रतिशत तक चढ़ गए। समूह की कई कंपनियों के शेयरों ने अपनी ऊपरी सर्किट सीमा को छूआ था। लेकिन इस बीच गुरुवार को एमएससीआई यानी मॉर्गन स्टेनली कैपिटल इंटरनेशनल की रिपोर्ट आ गई। 
एमएससीआई ने कह दिया कि वह अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों के फ्री-फ्लोट की स्थिति की समीक्षा करेगा और अपने सूचकांक ग्लोबल इनवेस्टिबल मार्केट इंडेक्स में शामिल होने की अडानी के शेयरों की योग्यता पर विचार करेगा।

एमएससीआई ने जिस फ्री फ्लोट का ज़िक्र किया है उसका मतलब आम तौर पर किसी कंपनी के उन शेयरों से होता है जो पब्लिक ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध हो। एमएससीआई उन शेयरों को फ्री फ्लोट मानता है जो कुल शेयरों में से विदेशी इवनेस्टर्स के खरीदने के लिए पब्लिक इक्विटी मार्केट में उपलब्ध होते हैं।

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एमएससीआई एक इनवेस्टमेंट रिसर्च फ़र्म है जो वैश्विक संस्थागत निवेशकों को स्टॉक इंडेक्स का टूल्स मुहैया कराता है। इसके इंडेक्स से बड़े पैमाने पर निवेशक प्रभावित होते हैं और इसके आधार पर निवेश का फ़ैसला भी लेते हैं। यही वजह है कि इसकी सूचकांक में किसी भी कंपनी को शामिल करने से ही उस कंपनी के शेयर के दाम उछल जाते हैं। यही स्थिति सूचकांक से हटाने में होती है और शेयर गोते लगाने लगते हैं। 

चूँकि एमएससीआई अडानी समूह की 8 कंपनियों के शेयरों को अपने सूचकांक में शामिल किया है तो इसके किसी भी फ़ैसले से उनके शेयरों पर असर पड़ सकता है। इसके सूचकांक में अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी पोर्ट्स, अडानी टोटल गैस, अडानी ग्रीन, अडानी ट्रांसमिशन, अडानी पावर, अंबुजा और एसीसी शामिल हैं। 

फॉर्च्यून इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार मॉर्गन स्टेनली कैपिटल इंटरनेशनल ने अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी टोटल गैस, अडानी ट्रांसमिशन और एसीसी के फ्री फ्लोट्स को कम कर दिया है, जबकि बाक़ी कंपनियों के फ्री फ्लोट्स को अपरिवर्तित रखा गया है। बदलाव 1 मार्च से प्रभावी होंगे।

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एमएससीआई यानी मॉर्गन स्टेनली कैपिटल इंटरनेशनल ने अब अडानी की कंपनियों के शेयरों को सूचकांक की योग्यता पर विचार करने का फ़ैसला किया है। इन फ़ैसलों का असर तो होना ही था, सो हुआ। 

अडानी की कंपनी के शेयरों पर असर तब भी पड़ा था जब फ्रांसीसी कंपनी टोटल एनर्जी ने कहा कि उसने अडानी समूह की $50 बिलियन हाइड्रोजन परियोजना में अपने निवेश को रोक दिया है। रॉयटर्स न्यूज एजेंसी के मुताबिक हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद टोटल एनर्जी ने यह घोषणा की।

अडानी का कर्ज भारतीय अर्थव्यवस्था का 1% है: रिपोर्ट

निक्केई के विश्लेषण में कहा गया है कि अडानी समूह द्वारा लिया गया ऋण भारतीय अर्थव्यवस्था के कम से कम 1% के बराबर है। 

क्विक फैक्टसेट के डेटा का उपयोग करते हुए निक्केई ने रिपोर्ट में कहा है कि अडानी की सूचीबद्ध समूह कंपनियों में से 10 की देनदारी 3.39 ट्रिलियन रुपये ($41.1 बिलियन) तक है। कंपनियों में एसीसी, अंबुजा सीमेंट्स और नई दिल्ली टेलीविजन शामिल हैं। ये तीन कंपनियां अडानी ने पिछले साल खरीदी थीं।

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क़मर वहीद नक़वी
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