loader

महँगाई छह साल में सबसे ज़्यादा, 7.59 फ़ीसदी पर पहुँची

महँगाई बेकाबू है और यह लगातार बढ़ती जा रही है। गिरती विकास दर के बीच ही अब रिपोर्ट आई है कि जनवरी में ख़ुदरा महँगाई दर छह साल में सबसे ज़्यादा होकर 7.59 पर पहुँच गई है। इससे पहले मई 2014 में महँगाई इतनी ज़्यादा थी। इसका साफ़ मतलब यह है कि ख़ुदरा में सामान खरीदना आम लोगों के लिए पहुँच से बाहर होता जा रहा है। इससे पहले दिसंबर महीने की रिपोर्ट आई थी कि रिटेल इन्फ़्लेशन यानी ख़ुदरा महँगाई दर 7.35 फ़ीसदी पहुँच गई है। महँगाई दिसंबर महीने में ही आरबीआई द्वारा तय ऊपरी सीमा से ज़्यादा हो गई थी। बता दें कि रिज़र्व बैंक ने 2-6 फ़ीसदी की सीमा तय कर रखी है कि महँगाई दर को इससे ज़्यादा नहीं बढ़ने देना है। इसका साफ़ मतलब है कि महँगाई दर ख़तरे के निशान को पार कर गई है और यह लगातार बढ़ती ही जा रही है। 

ख़ास ख़बरें

जुलाई 2016 के बाद दिसंबर 2019 में यह पहली बार थी कि रिज़र्व बैंक द्वारा तय महँगाई दर की सीमा को यह पार कर गई था। बताया जा रहा है कि महँगाई दर बढ़ने का मुख्य कारण खाने की क़ीमतों में बढ़ोतरी है। ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर महीने में खाने-पीने की जीचों की महँगाई 13.63 फ़ीसदी और सब्जियों की 60.5 फ़ीसदी बढ़ी थी। 

बढ़ती महँगाई को देखते हुए ही रिज़र्व बैंक यानी आरबीआई ने बैंक दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। आरबीआई के लिए तो महँगाई को काबू करना चुनौती है ही, मोदी सरकार के लिए तो यह और बड़ी मुश्किल खड़ी करने वाली है। महँगाई को नियंत्रण में रखने का दम भरने वाली बीजेपी सरकार के लिए यह बड़ी चुनौती है। 

अर्थतंत्र से और ख़बरें

औद्योगिक उत्पादन दर में फिर गिरावट

इसके साथ ही देश के औद्योगिक उत्पादन की रिपोर्ट भी निराश करने वाली है। औद्योगिक उत्पादन दर यानी आईआईपी में 0.3 फ़ीसदी की गिरावट आई है, जबकि इससे पहले लगातार गिरावट के बीच दिसंबर 2019 में 2.5 फ़ीसदी की सकारात्मक बढ़ोतरी दिखी थी। हालाँकि यह ज़्यादा दिन तक नहीं चल सकी। 

दिसंबर महीने में ही रिपोर्ट आई थी कि औद्योगिक उत्पादन में लगातार तीसरे महीने गिरावट रही। अक्टूबर महीने में यह 3.8 फ़ीसदी रहा था। इसका मतलब साफ़ है कि इसकी माँग में गिरावट आई है। यह इस लिहाज़ से भी अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है कि लगातार गिरावट के बावजूद इसमें सुधार होता नहीं दिखाई दे रहा है। देश की पहले से ही आर्थिक स्थिति ख़राब है और ऐसे में औद्योगिक उत्पादन का गिरना सरकार के लिए चिंता की बड़ी वजह होगा।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

अर्थतंत्र से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें