जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर रहने वाली आबादी पर आफत टूट पड़ी है, प्रभावित इलाकों में अभी भी मातम पसरा है, हर आंख नम है और हर दिल गमगीन है।
नियंत्रण रेखा पर गोलाबारी मूल रूप से पहलगाम में आतंकी घटना के बाद शुरू हुई थी, लेकिन सात मई से दस मई तक इसकी तीव्रता असाधारण रही। सबसे ज़्यादा तबाही इन्हीं चार दिनों में हुई।