जम्मू-कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय नेता और कार्यकर्ता आतंकवादियों के निशाने पर हैं। पिछले कुछ समय से उन पर लगातार हमले हो रहे हैं। कश्मीर की राजनीति में बीजेपी कभी भी महत्वपूर्ण पार्टी नहीं रही, जम्मू के बाहर इसका कोई प्रभाव नहीं रहा है। इसके बावजूद अब क्या हो गया कि वे अलगाववादियों के निशाने पर हैं? क्या वे राज्य की राजनीति में अपना प्रभाव बढाने में कामयाब हो रहे हैं? क्या उनके पैर पसारने से अलगाववादी तत्व असहज महसूस कर रहे हैं?