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प्रतीकात्मक तस्वीर।

जम्मू कश्मीर में सीमा पार से घुसपैठ नाकाम, 5 विदेशी आतंकी ढेर

जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में शुक्रवार की तड़के आतंकवादियों और सेना व पुलिस के संयुक्त दलों के बीच हुई मुठभेड़ में पांच विदेशी आतंकवादी मारे गए। क्षेत्र की तलाशी चल रही है।

एडीजीपी कश्मीर विजय कुमार ने मुठभेड़ में पांच विदेशी आतंकवादियों के मारे जाने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा है कि तलाशी अभियान जारी है। एडीजीपी ने कहा है कि कुपवाड़ा जिले के एलओसी के जुमागुंड इलाके में कुपवाड़ा पुलिस के एक खास इनपुट पर आतंकवादियों और सेना और पुलिस के संयुक्त दलों के बीच मुठभेड़ हुई।

पुलिस ने कहा है कि आतंकवादियों के सीमा पार करने की कोशिश करने की खुफिया जानकारी मिलने के बाद सेना और पुलिस की संयुक्त टीम ने आतंकवाद रोधी अभियान चलाया था। इस अभियान के दौरान ही मुठभेड़ शुरू हुई।

घाटी के कुपवाड़ा सेक्टर में इस साल आतंकियों द्वारा घुसपैठ की यह पहली बड़ी कोशिश है। हालाँकि, पुलिस ने कहा है कि 13 जून को भी सुरक्षा बलों ने कुपवाड़ा में नियंत्रण रेखा के पास दो आतंकवादियों को मार गिराया था। पुलिस ने कहा कि घटना तब डोबनार मच्छल इलाके में हुई थी।

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चूंकि भारत और पाकिस्तान सीमाओं पर 2003 के संघर्ष विराम को फिर से शुरू करने पर सहमत हुए, इसलिए घाटी में आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ के प्रयासों में भारी कमी आई है। हालाँकि, जम्मू के पुंछ और राजौरी सेक्टरों में घुसपैठ की कई कोशिशें हुई हैं।
इस महीने की शुरुआत में 2 जून को राजौरी जिले में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में एक आतंकवादी मारा गया था। एक रक्षा अधिकारी ने कहा था कि राजौरी के पास दसल गुजरान के वन क्षेत्र में संदिग्ध गतिविधि देखने के बाद सेना और पुलिस द्वारा एक संयुक्त घेरा और तलाशी अभियान शुरू किया गया था। आतंकवादियों द्वारा सुरक्षा बलों पर गोलीबारी करने के बाद तलाशी अभियान मुठभेड़ में बदल गया था।
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अप्रैल महीने में जम्मू-कश्मीर के राजौरी में आतंकवादियों द्वारा किए गए एक विस्फोट में सेना के पाँच जवान शहीद हो गए थे। इसके कुछ दिनों बाद सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। यह राजौरी सेक्टर के कंडी जंगल में आतंकवादियों के सफाए के लिए चल रहे अभियान का हिस्सा था। मई महीने में राजौरी और बारामूला जिलों में सुरक्षा बलों के साथ अलग-अलग मुठभेड़ों में दो आतंकवादी मारे गए थे। सेना ने तब उन आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए एक अभियान शुरू किया था जो सेना पर हुए हमले के लिए जिम्मेदार थे। 

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क़मर वहीद नक़वी
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