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हेमंत-कल्पना ने मोदी-शाह की फौज को कैसे किया धाराशायी?

झारखंड विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन नया इतिहास रचने के साथ सत्ता बचाने में सफल रहे हैं। हेमंत सोरेन की अगुवाई में इंडिया ब्लॉक को 56 सीटों पर जीत मिली है। 81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 41 है। हेमंत सोरेन बरहेट की सीट से लगातार तीसरी बार चुनाव जीते। उनकी पत्नी और इंडिया ब्लॉक की स्टार कैंपेनर कल्पना सोरेन भी गांडेय सीट से चुनाव जीत गई हैं। इस जीत के बाद झारखंड की राजधानी रांची में कई पोस्टर लगाए गए हैं- “शेर दिल सोरेन फिर आया।“ पूछा जा सकता है कि हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन की जोड़ी ने मोदी-शाह और उनकी पूरी फौज को झारखंड के चुनाव में कैसे धाराशायी किया।

2019 के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ते हुए जेएमएम अकेले 34 सीटों पर जीत के साथ राज्य में सबसे बड़े दल के रूप में उभरा है। दूसरी तरफ सत्ता में वापसी के लिए कोई कसर नहीं छोड़ने वाली बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। जेएमएम को 34, कांग्रेस को 16, आरजेडी को चार और सीपीआई- एमएल को दो सीटों पर जीत मिली है।

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68 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली बीजेपी को सिर्फ 21 सीटों पर जीत मिली है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। जबकि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष (बीजेपी विधायक दल के नेता) अमर कुमार बाउरी को चंदनकियारी की सीट पर जेएमएम के उमाकांत रजक ने पटखनी दी है। लोकसभा चुनावों में दुमका से हार का सामना करने वालीं सीता सोरेन विधानसभा चुनाव में जामताड़ा से हार गई हैं। जबकि जेएमएम में रहकर वे तीन बार जामा से चुनाव जीती थीं। राजनीतिक लिहाज से जेएमएम छोड़ना उन्हें महंगा पड़ा है।

बीजेपी की एक सहयोगी जेडीयू को दो में से एक सीट जमशेदपुर पश्चिम में जीत मिली है, जहां हाई प्रोफाइल चेहरे सरयू राय ने कांग्रेस के उम्मीदवार और हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री बन्ना गुप्ता को हराया है। बीजेपी ने एक और सहयोगी एलजेपी के लिए एक सीट छोड़ी थी। चतरा की इस सीट पर एलजेपी के उम्मीदवार जनार्दन पासवान जीत गए हैं। बीजेपी की ही सहयोगी आजसू पार्टी को इस चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है। 10 सीटों में आजसू पार्टी को सिर्फ एक सीट- मांडू में मामूली वोटों के अंतर से जीत मिली है। पार्टी के प्रमुख और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो भी सिल्ली सीट से चुनाव हार गए हैं।

इंडिया ब्लॉक और एनडीए के इस टसल में झारखंड की राजनीति में नये आउटफिट के तौर पर उभरे झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के जयराम कुमार महतो ऊर्फ टाइगर जयराम ने डुमरी की सीट पर जीत दर्ज की है। डुमरी में जयराम ने जेएमएम की उम्मीदवार और सरकार में मंत्री बेबी देवी को हराया है। 
71 सीटों पर चुनाव लड़े जेएलकेएम ने कम से कम एक दर्जन सीटों पर एनडीए खासकर आजसू का समीकरण ही तहस- नहस करके रख दिया है। आंकड़े बताते हैं कि कुर्मी वोटरों का एक बड़ा हिस्सा जेएलकेएम की ओर जाता दिख रहा है।

हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन ने क्या कहा

हेमंत सोरेन ने इस प्रचंड जीत का श्रेय राज्य की जनता को दिया है। उन्होंने कहा, ‘’राज्य की जनता ने सरकार पर भरोसा किया है। हमारी बातों पर और काम पर भरोसा किया है। वे उस भरोसे को और मजबूत करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने शुभकमानाएं देने आ रहे लोगों से बुके या फूलों की जगह किताबें भेंट करने का आग्रह किया है।’’ कल्पना सोरेन ने इस जीत को जनता की शक्ति बताया है। साथ ही इसे सरकार पर विश्वास का प्रमाण बताया है। उन्होंने यह भी कहा है कि इस परिणाम ने एक नये झारखंड के निर्माण के लिए हमें ताकत दी है, झारखंड को देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करेंगे।

जेएमएम का वोट शेयर बढ़ा और सीट भी

2019 के चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 18.73 वोट शेयर के साथ 30 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस बार जेएमएम ने 23.44 प्रतिशत वोटों के साथ 34 सीटों पर जीत हासिल की है। 2019 में ही कांग्रेस ने 13. 87 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 16 सीटों पर जीत दर्ज की। इस बार कांग्रेस ने 15.56 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 16 सीटों पर जीत हासिल की। आरजेडी चार सीटों पर जीत के साथ झारखंड में खोयी जमीन वापस पाने में सफल रहा है। आरजेडी का वोट शेयर भी 3.44 प्रतिशत है। सीपीआई-एमएल को दो सीटों पर जीत मिली है। बगोदर की सीट माले हार गई, लेकिन सिंदरी और निरसा की सीट उसने बीजेपी से छीन ली।

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इधर, बीजेपी ने 33.16 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 21 सीटों पर जीत दर्ज की है। 2019 के चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 33.37 प्रतिशत था और उसे 25 सीटों पर जीत मिली थी। आजसू ने 2019 के चुनाव में 8.10 प्रतिशत वोट शेयर के साथ दो सीटें जीती थीं। इस बार आजसू का वोट शेयर 3.54 प्रतिशत है और उसे सिर्फ एक सीट पर जीत मिली है।

आदिवासियों के बीच हेमंत सर्वमान्य और स्थापित नेता

झारखंड में आदिवासियों के लिए रिजर्व 28 में से बीजेपी को सिर्फ एक सीट सरायकेला में जीत मिली है। 2019 में बीजेपी को दो सीटों- खूंटी और तोरपा में जीत मिली थी। इस बार खूंटी और तोरपा में जेएमएम ने जीत का परचम लहरा दिया है। अलबत्ता संथालपरगना में महेशपुर, शिकारीपाड़ा, बोरियो, लिट्टीपाड़ा, दुमका, जामा की सीट पर जेएमएम ने अपना दबदबा कायम रखा है। महेशपुर में पार्टी के कद्दावर नेता स्टीफन मरांडी ने बीजेपी के उम्मीदवार को 61,175 वोटों से हराया है। हेमंत सोरेन 39,792 वोटों के अंतर से जीते हैं।

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उधर कोल्हान में आदिवासियों के लिए रिजर्व घाटशिला, पोटका, मझगांव, चाईबासा, मनोहरपुर सीट पर जेएमएम ने फिर से दमखम साबित कर दिया है। छोटानागपुर में आदिवासियों के लिए रिजर्व सीट- गुमला, विशुनपुर सीट पर भी जेएमएम ने कब्जा बरकरार रखा है। दूसरी तरफ कांग्रेस ने आदिवासियों के लिए रिजर्व लोहरदगा, खिजरी, कोलेबिरा, सिमडेगा, मांडर, जगन्नाथपुर, मनिका में जीत बरकरार रखी है।

ये नतीजे बताते हैं कि 2019 में हेमंत सोरेन के सत्ता पर काबिज होने का एक बड़ा असर आदिवासी राजनीति पर देखने को मिला है। इसके बाद लगातार आदिवासियों ने हेमंत के प्रति भरोसा दिखाया है। 

2019 के विधानसभा चुनाव, 2024 लोकसभा चुनाव और अब आदिवासियों ने दिखा दिया है कि संथाल परगना से कोल्हान और छोटानागपुर तक में हेमंत सोरेन ही उनके सर्वमान्य नेता हैं।

घुसपैठिये, संथालपरगना डेमोग्राफी चेंज का पिच पिटा

लोकसभा चुनाव के नतीजों के ठीक बाद बीजेपी ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को विधानसभा चुनाव के लिए प्रभारी और हिमंत बिस्व सरमा को सह प्रभारी बनाया था। इन दोनों नेताओं ने चार महीने झारखंड में डेरे डाल रखे थे।

बीजेपी ने आदिवासियों की अस्मिता से जोड़कर पूरे चुनाव में घुसपैठिये और संथालपरगना में डेमोग्राफी चेंज का मामला उछाले रखा था। अलबत्ता नरेंद्र मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा, योगी आदित्यनाथ ने भी कई चुनावी सभाओं में इस मुद्दे पर सत्तारूढ़ दलों पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप  लगाते हुए तीखे हमले किए थे। लेकिन नतीजे बताते हैं कि इसे आदिवासियों और मुस्लिम दोनों ने गैरजरूरी सवाल माना। मसलन, संथालपरगना में पाकुड़ की सीट पर कांग्रेस की उम्मीदवार निशात आलम ने लगभग 70 हजार वोटों से आजसू पार्टी के उम्मीदवार को और राजमहल में जेएमएम के एमटी राजा ने 43 हजार वोटों से बीजेपी के उम्मीदवार को हराया है। हेमंत सोरेन समेत घुसपैठिये के सवाल पर लगातार आदिवासियों को सचेत करते रहे और बीजेपी पर आरोप लगाते रहे कि झारखंड में सत्ता हासिल करने के लिए बीजेपी समाज में नफरत फैला रही है। एक दूसरे को लड़ाने में लगी है।

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वंशवाद राजनीति की फसल नहीं काट सकी बीजेपी

बीजेपी इस चुनाव में वंशवाद की राजनीति की फसल नहीं काट सकी। पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा कोल्हान की पोटका सीट से चुनाव हार गई हैं। इससे पहले लोकसभा चुनावों में अर्जुन मुंडा खूंटी की सीट से हारे थे। चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन भी घाटशिला से चुनाव हार गए हैं।

उधर पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा जगन्नाथपुर की सीट हार गई है। इस चुनाव के नतीजे ने साफ़ कर दिए हैं कि सिंहभूम में कोड़ा का किला जेएमएम ने ढाह करर रख दिया है। जगन्नाथपुर की सीट से मधु कोड़ा और गीता कोड़ा पहले दो- दो बार चुनाव जीते हैं। 

इस बार गीता कोड़ा लोकसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुईं। बीजेपी ने उन्हें सिंहभूम की सीट से लड़ाया, लेकिन जेएमएम से उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

हेमंत और कल्पना ने झारखंड के मुद्दे उठाए

विधानसभा चुनाव में इंडिया ब्लॉक के सबसे बड़े दारोमदार हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन ने झारखंड के ज़रूरी सवालों पर खूब जोर दिए। कोयला कंपनियों पर राज्य सरकार का एक लाख 36 हजार करोड़ रुपए के बकाये और जल, जंगल, जमीन की सुरक्षा को दोनों नेताओं ने चुनावी मुद्दे में शामिल किए रखा। और इस मुद्दे पर बीजेपी तथा केंद्र की सरकार को कठघरे में खड़े करने की तमाम कोशिशें करते दिखे। जेएमएम के दोनों नेता लगातार कहते रहे कि यह पैसा झारखंड के हक और अधिकार का है।

इंडिया ब्लॉक ने अपने मेनिफेस्टों में आदिवासियों के लिए सरना कोड लागू कराने और अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति तथा पिछड़ा वर्ग का आरक्षण बढ़ाने तथा 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू कराने की गांरटी दी है। गौरतलब है कि ये तीनों मुद्दे संवेदनशील रहने के साथ सियासत के केंद्र में रहे हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने पिछले चुनावों में भी इन मुद्दे को अपने वादे में शामिल किए थे। इन मुद्दों पर कायम रहने के लिए हेमंत सोरेन ने एक बार फिर प्रतिबद्धता जताई और अब नतीजों में इसका लाभ उन्हें साफ़ तौर पर मिलता दिख रहा है।

हेमंत सरकार पिछले चार महीने से राज्य में 18 से 50 साल तक की लगभग 50 लाख महिलाओं को एक हजार रुपए की सहायता उनके खाते में भेज रही है। इस योजना का नाम मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना है।

चुनाव में इंडिया ब्लॉक ने इसे हर महीने ढाई हजार रुपए करने का वादा किया है। इस योजना का सकारात्मक असर हेमंत सोरेन के पक्ष में जाता दिख रहा है। इस बार झारखंड में पुरूषों की तुलना में 5.51 लाख अधिक महिलाओं ने वोट किए हैं। राज्य में बिजली उपभोक्ताओं का बकाया बिल माफ करने और 200 यूनिट मुफ्त बिजली के फ़ैसले से भी हेमंत सोरेन को माइलेज मिलता दिख रहा है। इसके साथ ही हेमंत सोरेन ने अपनी गिरफ्तारी और पांच महीने के जेल को चुनाव के केंद्र में रखा। तथा लोगों को बताने की कोशिशें की कि उन्हें बेगुनाही में जेल जाना पड़ा।  

कल्पना सोरेन मास लीडर के तौर पर उभरीं

नरेंद्र मोदी और अमित शाह की फौज को चुनाव में चित्त करने में हेमंत सोरेन के साथ कल्पना सोरेन भी अहम किरदार बनकर उभरी हैं। दो चरणों में हुए चुनाव में हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन ने 175 चुनावी सभाएं कीं। नरेंद्र मोदी और बीजेपी के दिग्गजों की जहां भी सभा होती, ठीक उसके दूसरे या तीसरे दिन हेमंत सोरेन अथवा कल्पना सोरेन की वहां सभा होती रही। इसे जेएमएएम की रणनीति के तौर पर देखा गया। हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन ने चुनावी सभाओं में मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना की खूब चर्चा की और महिलाओं का प्रभावी समर्थन पाने के प्रयास में सफल होते दिख रहे हैं। आठ महीने के सार्वजनिक जीवन में कल्पना सोरेन राज्य में एक बड़े मास लीडर के तौर पर उभरी हैं।

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नीरज सिन्हा
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