धर्मस्थला कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में स्थित एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जो भयावह विवाद के केंद्र में आ गया है। इस पवित्र स्थल पर सामूहिक कब्र मिलने, रेप, हत्या और महिलाओं व छात्राओं के गायब होने की चौंकाने वाली घटनाओं के आरोप सामने आए हैं। इन गंभीर आरोपों की जांच के लिए कर्नाटक सरकार ने 20 जुलाई रविवार को एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। यह कदम कर्नाटक राज्य महिला आयोग, रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस वी. गोपाला गौड़ा और कई सामाजिक कार्यकर्ताओं की मांग के बाद उठाया गया है।

मामला सामने कैसे आया

विवाद की शुरुआत तब हुई जब एक पूर्व सफाईकर्मी, जो 1995 से 2014 तक धर्मस्थला मंदिर प्रशासन के लिए काम कर चुका था, ने पुलिस के सामने सनसनीखेज खुलासा किया। इस कर्मी ने, जो दलित समुदाय से है, ने दावा किया कि उसे दो दशकों तक सैकड़ों शवों को दफनाने या जलाने के लिए मजबूर किया गया। ये शव कई महिलाओं और नाबालिगों के थे, जिनके शरीर पर यौन उत्पीड़न और हिंसा के निशान थे। उसने आरोप लगाया कि उसे मंदिर प्रशासन से जुड़े प्रभावशाली लोगों द्वारा धमकियां दी गईं, जिसमें कहा गया कि अगर उसने इन शवों को गुप्त रूप से ठिकाने नहीं लगाया तो उसे और उसके परिवार को मार दिया जाएगा।
इस सफाई कर्मी ने 3 जुलाई 2025 को धर्मस्थला पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की और 11 जुलाई को बेलथंगडी कोर्ट में अपनी गवाही दी। उसने कुछ हड्डियों और खोपड़ी को सबूत के तौर पर पेश किया, जो उसने खुद खोदकर निकाला था। उसने यह भी मांग की कि शवों की खुदाई उसकी मौजूदगी में की जाए और उसे व उसके परिवार को सुरक्षा प्रदान की जाए। इस गवाही ने पूरे देश में हड़कंप मचा दिया और जांच की मांग को तेज कर दिया।
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पहले भी उठ चुके हैं सवाल 

धर्मस्थला में पहले भी आपराधिक घटनाएं सुर्खियों में रही हैं। 2012 में 17 वर्षीय सौजन्या के बलात्कार और हत्या का मामला छाया रहा था, जो अभी तक अनसुलझा है। कई लोगों ने इस मामले में पुलिस की निष्क्रियता और प्रभावशाली लोगों के हस्तक्षेप का आरोप लगाया था। इसके अलावा, 2003 में एक मेडिकल छात्रा अनन्या भट के धर्मस्थला में एक कॉलेज ट्रिप के दौरान गायब होने का मामला भी सामने आया। उनकी मां सुजाता, जो पूर्व में CBI में स्टेनोग्राफर थीं, ने 15 जुलाई 2025 को एक नई शिकायत दर्ज की, जिसमें दावा किया कि उनकी बेटी उन अज्ञात शवों में से एक हो सकती है।

SIT जांच का गठन 

कर्नाटक सरकार ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है, जिसका नेतृत्व DGP (आंतरिक सुरक्षा) प्रणब मोहंती करेंगे। उनके साथ DIG (भर्ती) एम.एन. अनुचेत, DCP (सिटी आर्म्ड रिजर्व) सौम्यलता और SP (आंतरिक सुरक्षा) जितेंद्र कुमार दयामा शामिल हैं। यह SIT धर्मस्थला पुलिस स्टेशन में दर्ज मामले (BNS की धारा 211(a) के तहत) और पूरे राज्य में इससे संबंधित अन्य आपराधिक मामलों की जांच करेगी।
SIT को निर्देश दिया गया है कि वह जांच की प्रगति की नियमित जानकारी DGP और IGP को दे और अंतिम रिपोर्ट जल्द से जल्द सरकार को सौंपे। सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया कि SIT को आवश्यक संसाधन और कर्मचारी उपलब्ध कराए जाएंगे।

जनता में आक्रोश 

इस मामले ने जनता और कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश पैदा किया है। कर्नाटक राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष नागलक्ष्मी चौधरी ने 14 जुलाई को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पिछले 20 वर्षों में धर्मस्थला में लापता महिलाओं, अप्राकृतिक मौतों, हत्याओं और बलात्कार के मामलों की जांच के लिए SIT गठन की मांग की थी। उन्होंने पुलिस की निष्क्रियता और प्रभावशाली लोगों द्वारा जांच को प्रभावित करने की आशंकाओं को भी उजागर किया।
वकीलों और कार्यकर्ताओं ने भी इस मामले में पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग की है। वरिष्ठ वकील ओजस्वी गौड़ा और सचिन देशपांडे ने कहा कि 2012 के सौजन्या मामले की तरह इस जांच को भी विफल नहीं होने देना चाहिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि स्थानीय पुलिस द्वारा गोपनीय जानकारी लीक की जा रही है, जिससे जांच पर सवाल उठ रहे हैं।

प्रभावशाली लोगों पर सवाल 

धर्मस्थला का मंजुनाथ मंदिर एक प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थल है, जिसका प्रशासन जैन हेगड़े परिवार के पास है। वर्तमान में राज्यसभा सांसद वीरेंद्र हेगड़े इसके प्रशासक हैं। इस परिवार पर कई गंभीर आरोप लगे हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। BJP विधायक अरविंद बेल्लद ने इन आरोपों को "निराधार" बताया है, लेकिन जनता का दबाव बढ़ता जा रहा है।
यह मामला कर्नाटक के सबसे भयावह आपराधिक जांचों में से एक बन सकता है। कार्यकर्ता और कानूनी विशेषज्ञ एक स्वतंत्र और पारदर्शी जांच की मांग कर रहे हैं, जिसमें फॉरेंसिक विश्लेषण, वीडियो रिकॉर्डिंग और तत्काल गिरफ्तारी शामिल हो। कुछ लोग इस मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपने की मांग भी कर रहे हैं।
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मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने स्पष्ट किया है कि उनकी सरकार किसी भी दबाव में नहीं झुकेगी और जांच पूरी निष्पक्षता के साथ होगी। इस बीच, देश भर की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या इस मामले में पीड़ितों को न्याय मिलेगा और क्या धर्मस्थला के इस अंधेरे रहस्य का पर्दाफाश होगा।