पहली कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सरकार ने कांग्रेस पार्टी द्वारा घोषित पांच गारंटियों को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी। सिद्धारमैया ने कहा कि योजनाओं को लागू करने पर सालाना 50,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। उन्होंने उम्मीद जताई कि राज्य इस फंड को अपने संसाधनों से जुटा लेगा।
पांच गारंटी क्या हैं
गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले घरों को 200 यूनिट मुफ्त बिजली, परिवारों की महिला मुखिया को 2,000 रुपये प्रति माह भत्ता, ग्रैजुएट के बाद दो साल तक बेरोजगार स्नातकों के लिए 3,000 रुपये और बेरोजगार डिप्लोमा के लिए 1,500 रुपये, बीपीएल परिवारों के सभी सदस्यों को 10 किलो मुफ्त चावल और महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा।
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सीएम सिद्धारमैया, डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार और आठ मंत्रियों के मंत्रिमंडल ने शनिवार को शपथ लेने के कुछ घंटों बाद पांच गारंटी के रोडमैप पर फैसला करने के लिए बैठक की। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि हमने इन सभी योजनाओं के लिए मंजूरी दे दी है। मैंने आदेश जारी करने को कहा है। हमने योजनाओं और वित्तीय प्रभावों का विवरण मांगा है। हम इस सब पर गौर करेंगे और वित्तीय बोझ के बावजूद गारंटियों को लागू करेंगे। अगले हफ्ते कैबिनेट की बैठक के बाद इसे जल्द ही लागू कर दिया जाएगा।
सीएम ने कहा कि जुलाई में हम अपना बजट पेश करेंगे और इसे 3.10 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 3.25 लाख करोड़ रुपये कर दिया जाएगा। हम टैक्स की सख्त वसूली के जरिए 15,000 करोड़ रुपये का राजस्व एकत्र करने की कोशिश करेंगे। हम फिजूलखर्ची में कटौती करेंगे और कर्ज कम करेंगे और इससे कर्ज पर ब्याज का भुगतान कम होगा। अगर हम सभी उपलब्ध उपाय करते हैं तो मुझे नहीं लगता कि हमारी सरकार के लिए एक साल में 50,000 करोड़ रुपये जुटाना असंभव है।
नई योजनाओं पर अतिरिक्त खर्च के बारे में बात करते हुए, सिद्धारमैया ने कहा, “वर्तमान में हम वर्ष 2023-24 के लिए ऋण पर जो ब्याज दे रहे हैं, वह 56,000 करोड़ रुपये है। जब हम कर्ज पर ब्याज के रूप में इतनी अधिक राशि का भुगतान कर रहे हैं, तो हम गरीबों, आम आदमी, किसानों और महिलाओं के लाभ के लिए प्रति वर्ष 50,000 करोड़ रुपये क्यों नहीं आवंटित कर सकते हैं।
कर्ज का बोझ
सिद्धारमैया ने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार के समय मार्च 2018 के अंत तक राज्य का कर्ज 2.42 लाख करोड़ रुपये था। जब से भाजपा सत्ता में आई है, कर्ज बढ़कर 5.64 लाख करोड़ रुपये हो गया है। कुमारस्वामी के कार्यकाल (2018-19) के साथ ही पांच साल में कर्ज में 3.20 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। इस साल अकेले राज्य का कर्ज 78000 करोड़ रुपये है।
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सीएम ने कहा कि जब 2018 में मनमोहन सिंह ने पद छोड़ा था, तब देश का कर्ज 53.16 लाख करोड़ रुपये था। इस साल यह 155 लाख करोड़ रुपये है। आजादी के समय से लेकर मनमोहन सिंह के जाने के समय तक कर्ज 53.16 लाख करोड़ रुपये था। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नौ साल में कर्ज 103 लाख करोड़ रुपये बढ़ गया है।
उन्होंने केंद्र की भाजपा सरकार पर राज्य को करों से राजस्व का उसका उचित हिस्सा नहीं देने का आरोप लगाया। सिद्धारमैया ने कहा कि मेरे विचार में 15 वें वित्त आयोग के तहत केंद्र से आवंटन एक लाख करोड़ रुपये होना चाहिए था। हमें 15वें वित्त आयोग के तहत न्याय नहीं दिया गया है और इसके परिणामस्वरूप राज्य के लिए केवल 50,000 करोड़ रुपये होंगे।
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