क्या कर्नाटक बीजेपी का चाल-चरित्र-चेहरा बदल गया है? पार्टी ने पहले महात्मा गाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के पक्ष में बोलने वाले नलिन कुमार कतील को कर्नाटक बीजेपी का अध्यक्ष बनाया था और अब विधानसभा में पोर्न वीडियो देखने वाले लक्ष्मण सावदी को कर्नाटक का उपमुख्यमंत्री बनाया है। ये दोनों ऐसे मामले हैं जिस पर ख़ुद पार्टी ने पहले तो उनकी आलोचना की थी, लेकिन अब इन दोनों नेताओं को प्रोन्नति दे दी है। दोनों नेताओं की आम लोगों में 'ख़राब' इमेज जाने के बाद भी बीजेपी ने उन्हें आगे क्यों बढ़ाया? क्या पार्टी के लिए सरकार गठन और चुनावी जीत के आगे चाल-चरित्र और चेहरा कोई मायने नहीं रखता है?