कर्नाटक की सियासत में पिछले कुछ हफ्तों से चल रही उथल-पुथल पर क्या अब विराम लगेगा? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने साफ़ कर दिया है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अपनी कुर्सी पर बने रहेंगे, और नेतृत्व परिवर्तन की तमाम अटकलों को महज अफवाह करार दिया। 

बेंगलुरु में मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के साथ मौजूद सुरजेवाला ने साफ़ किया कि कांग्रेस पार्टी कर्नाटक में मुख्यमंत्री बदलने पर कोई विचार नहीं कर रही है और सिद्धारमैया ही मुख्यमंत्री के रूप में अपनी ज़िम्मेदारी निभाते रहेंगे। लेकिन क्या यह बयान कांग्रेस के भीतर की हलचल को पूरी तरह शांत कर पाएगा, या यह सिर्फ़ तूफ़ान से पहले की शांति है?

नेतृत्व बदलाव की अटकलें क्यों लगाई गईं?

पिछले कुछ हफ्तों से कर्नाटक कांग्रेस में आंतरिक असंतोष और नेतृत्व बदलाव की चर्चाएँ जोरों पर थीं। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के क़रीबी माने जाने वाले कुछ विधायकों ने मुख्यमंत्री पद में बदलाव की मांग उठाई थी। विधायक इकबाल हुसैन ने दावा किया था कि 100 से अधिक विधायक बदलाव चाहते हैं और डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। इसके अलावा सहकारिता मंत्री केएन राजन्ना के बयानों ने भी अटकलों को हवा दी थी, जिसमें उन्होंने सितंबर के बाद 'राजनीतिक क्रांति' की बात कही थी।

इसके साथ ही कुछ विधायकों ने राज्य सरकार के कामकाज, आवास योजना में कथित भ्रष्टाचार और विकास कार्यों के लिए धन की कमी जैसे मुद्दों पर असंतोष जताया था। इन मुद्दों ने कांग्रेस हाईकमान को हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर किया। इस बीच रणदीप सुरजेवाला को बेंगलुरु भेजा गया ताकि स्थिति का जायजा लिया जा सके और विधायकों की शिकायतों को सुना जाए।
ताज़ा ख़बरें

तो बेंगलुरु यात्रा पर क्यों हैं सुरजेवाला?

रणदीप सुरजेवाला ने सोमवार से बेंगलुरु में कांग्रेस विधायकों के साथ एक-एक करके मुलाक़ात शुरू की। उनकी यह यात्रा तीन दिनों तक चलेगी, जिसमें वे चिकबल्लापुर, कोलार, बेंगलुरु और मैसूर क्षेत्रों के विधायकों से मिलेंगे। सुरजेवाला ने कहा कि उनकी यह यात्रा संगठनात्मक समीक्षा के लिए है, जिसमें वे कांग्रेस की पांच गारंटी योजनाओं के कार्यान्वयन की स्थिति, विधायकों के क्षेत्रों में विकास कार्यों की प्रगति और सरकार के प्रदर्शन पर फीडबैक ले रहे हैं।

उन्होंने जोर देकर कहा कि कर्नाटक देश का एकमात्र राज्य है जो अपने लोगों के बैंक खातों में 58,000 करोड़ रुपये सीधे हस्तांतरित करता है। उन्होंने शक्ति योजना के तहत 300 करोड़ से अधिक महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा और 1.22 करोड़ महिलाओं को 2,000 रुपये मासिक सहायता जैसी योजनाओं का ज़िक्र किया। सुरजेवाला ने यह भी कहा कि उनकी बैठकों का उद्देश्य योजनाओं में और पारदर्शिता व जवाबदेही लाने के साथ-साथ लोगों के लिए नई पहल शुरू करने की संभावनाएँ तलाशना है।
कर्नाटक से और खबरें

स्थानीय निकाय चुनाव की तैयारी?

सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में नेतृत्व परिवर्तन की ख़बरों को 'कल्पना की उपज' क़रार दिया और कहा, 'हम कर्नाटक में नेतृत्व बदलाव पर कोई राय नहीं ले रहे हैं।' उन्होंने यह भी साफ़ किया कि उनकी यात्रा का उद्देश्य पार्टी संगठन को मज़बूत करना और आगामी जिला पंचायत और तालुक पंचायत चुनावों की तैयारी करना है।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी इन अटकलों को खारिज़ करते हुए कहा कि उनकी सरकार 'चट्टान की तरह मज़बूत' है और अगले पाँच साल तक स्थिर रहेगी। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने भी इस बयान का समर्थन किया और कहा कि सुरजेवाला की बैठकों का मक़सद संगठन को और मज़बूत करना है।

फाइल फोटो

कांग्रेस हाईकमान का रुख

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को कहा था कि मुख्यमंत्री बदलने का फ़ैसला पार्टी हाईकमान के हाथ में है। हालाँकि, सुरजेवाला की बैठकों के बाद उन्होंने और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने साफ़ कर दिया कि फ़िलहाल कोई बदलाव की योजना नहीं है। कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर और मंत्री एचके पाटिल ने भी इस बात पर जोर दिया कि सुरजेवाला की यात्रा का नेतृत्व परिवर्तन से कोई संबंध नहीं है, बल्कि यह संगठनात्मक और विकास कार्यों से जुड़ा एक नियमित अभ्यास है।

विपक्ष का हमला

इस बीच, विपक्षी दल बीजेपी और जेडी(एस) ने कांग्रेस की आंतरिक कलह का फायदा उठाने की कोशिश की। बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या ने कांग्रेस हाईकमान को 'भूत' करार देते हुए तंज कसा कि यह 'न दिखता है, न सुनाई देता है, लेकिन हमेशा महसूस होता है।' उन्होंने सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और आवास मंत्री बीजेड जफर अहमद खान के इस्तीफे की मांग की।
सर्वाधिक पढ़ी गयी ख़बरें
सुरजेवाला की बैठकों को कांग्रेस के लिए एक अहम क़दम माना जा रहा है ताकि पार्टी के भीतर असंतोष को दूर किया जा सके और संगठन को एकजुट रखा जाए। हालाँकि, कुछ विधायकों का मानना है कि अगर नेतृत्व परिवर्तन नहीं हुआ तो 2028 के विधानसभा चुनावों में पार्टी को नुक़सान हो सकता है। फिर भी, सुरजेवाला और सिद्धारमैया के बयानों ने साफ़ कर दिया है कि फिलहाल मुख्यमंत्री पद में कोई बदलाव नहीं होगा। कर्नाटक कांग्रेस अब संगठनात्मक सुधारों और सरकार की उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाने पर ध्यान दे रही है। सुरजेवाला की रिपोर्ट के आधार पर हाईकमान भविष्य में कोई फ़ैसला ले सकता है, लेकिन अभी के लिए सिद्धारमैया के नेतृत्व में सरकार स्थिर दिख रही है। 

कर्नाटक में कांग्रेस नेतृत्व ने साफ़ कर दिया है कि मुख्यमंत्री बदलने की कोई योजना नहीं है। रणदीप सुरजेवाला की बेंगलुरु यात्रा और विधायकों के साथ उनकी बैठकों ने पार्टी के भीतर एकता और स्थिरता का संदेश देने की कोशिश की है। अब यह देखना बाक़ी है कि क्या यह क़दम आंतरिक असंतोष को पूरी तरह शांत कर पाएगा और 2028 के चुनावों के लिए पार्टी को मजबूत कर पाएगा।