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बेंगलुरु में बुधवार को लगाए गए पोस्टर

कर्नाटक सरकार के खिलाफ विरोध का अनोखा तरीका!

बेंगलुरु में आज बुधवार 21 सितंबर को शहर की दीवारों पर एक पोस्टर चिपका हुआ पाया गया। जिस पर एक बार कोड देते हुए लिखा था - पे सीएम। कोई भी शख्स जैसे ही अपने मोबाइल से इस बार कोड को चेक करता था, उससे एक वेबसाइट खुलती है, जिस पर लिखा होता है - 40% सरकार डॉट कॉम। इस पर मुख्यमंत्री बोम्मई की फोटो लगी हुई है। दरअसल, यह एक व्यंग्य है, जो कांग्रेस और कुछ संगठनों की ओर से राज्य की बसवराज बोम्मई सरकार पर किया जा रहा है कि इस सरकार में 40 फीसदी कमीशन देकर कोई भी काम करा लो।
कांग्रेस ने इससे पहले बाढ़ के दौरान शहर पर ध्यान नहीं देने और रेस्टोरेंट में जाकर डोसा खाने के लिए बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या का मजाक उड़ाया था। कांग्रेस नेताओं ने तेजस्वी सूर्या के दफ्तर पर एक डिलीवरी कंपनी के जरिए उन्हें दस डोसे भेजे थे। इस विरोध प्रदर्शन की सोशल मीडिया पर काफी चर्चा रही थी। अब इसी तरह बुधवार के विरोध की चर्चा सोशल मीडिया पर है।

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हाल ही में तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (टीआरएस) ने भी मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई का बीजेपी के 'लिबरेशन डे' समारोह के दौरान '40% सीएम का स्वागत' वाले बैनर लगाकर मज़ाक उड़ाया था।

बोम्मई के चेहरे के साथ एक क्यूआर कोड में डाले गए 'पे सीएम - 40% यहां स्वीकार किए जाते हैं' की टैगलाइन वाले पोस्टर पूरे शहर में दीवारों, ट्रांसफार्मरों और बस शेल्टरों पर लगे हुए थे। पोस्टर में कहा गया है, इस क्यूआर कोड को स्कैन करें ताकि भ्रष्टाचार के लिए सीएम को भुगतान किया जा सके। 
एक दिन पहले जब कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता सिद्धारमैया कथित भ्रष्टाचार के मुद्दे को उठाने की तैयारी कर रहे थे और उसी दौरान राज्य ठेकेदारों के संगठन द्वारा लगाए गए "40 ​फीसदी ​कमीशन" के आरोप ने बीजेपी को नाराज कर दिया था। नाराज बोम्मई ने बुधवार को अपने नाम और कर्नाटक की छवि को धूमिल करने के लिए इस अभियान को "एक साजिश" करार दिया। सीएम ने कहा- 

यह एक फर्जी अभियान है, और कोई भी बिना कोई सबूत दिए अभियान शुरू नहीं कर सकता है। इस अभियान के पीछे लगे लोगों को गिरफ्तार किया जाएगा।


-बीआर बोम्मई, सीएम, 21 सितंबर को

बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस को अपने दावों की पुष्टि करने के लिए सबूत देने की चुनौती दी और यह जानने की मांग की कि शिकायत के साथ सिद्धारमैया से मिलने वाले ठेकेदार अब चुप क्यों हैं।

इस बीच, बेंगलुरू के पुलिस आयुक्त प्रताप रेड्डी भी हरकत में आए और उन्होंने पोस्टर हटाने के आदेश दिए। रेड्डी ने पत्रकारों से कहा कि कर्नाटक ओपन प्लेसेस (डिफिगरेशन की रोकथाम) अधिनियम 1981 के तहत एक शिकायत दर्ज की गई है और इस अधिनियम के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को गिरफ्तार किया जाएगा। 
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बीजेपी ने अपना गुस्सा निकालने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया और सिद्धारमैया और केपीसीसी प्रमुख डी.के. शिवकुमार के खिलाफ चल रही जांच का संदर्भ दिया। बीजेपी ने भी सिद्धारमैया और शिवकुमार के चेहरों के साथ एक क्यूआर कोड बनाया, जिसमें लोगों से कोड को स्कैन करके उन्हें बाहर निकालने का आग्रह किया गया। हालांकि कांग्रेस विधायक रिजवान अरशद का कुछ और ही कहना है। कांग्रेस विधायक रिजवान अरशद ने कहा- 

यह उन लोगों द्वारा प्रेरित एक अभियान है, जिन्होंने महसूस किया है कि सड़कों और फ्लाईओवर की खराब स्थिति के लिए भ्रष्टाचार जिम्मेदार है। कर्नाटक आज देश का सबसे भ्रष्ट राज्य है।


-रिजवान अरशद, कांग्रेस विधायक, 21 सितंबर को

बीजेपी एमएलसी एन. रविकुमार ने इस अभियान को "फूहड़" बताते हुए कांग्रेस पार्टी की खिंचाई की, और कहा, लोगों से सीएम के चित्र का उपयोग करके नौकरियों के लिए भुगतान करने के लिए कहना गलत है। अगर लोग वास्तव में भुगतान करना चाहते हैं, तो उन्हें शायद सिद्धारमैया की कारों और महंगी घड़ियों के लिए भुगतान करना चाहिए। बीजेपी विधायक पी. राजीव ने कहा कि विपक्षी दल के रूप में कांग्रेस को विधानसभा के अंदर सत्ताधारी दल को घेरना चाहिए था। इतना नीचे गिरने के बजाय सम्मानजनक तरीके से वैचारिक लड़ाई लड़नी चाहिए थी। कांग्रेस ने शहर भर में पोस्टर अभियान का सहारा लेकर बता दिया कि उसके पास सरकार के खिलाफ बहुत कम सबूत हैं। 

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क़मर वहीद नक़वी
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