कर्नाटक की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को पूर्व जेडीएस सांसद और पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा के पौत्र प्रज्वल रेवन्ना को चार बलात्कार मामलों में से पहले मामले में दोषी ठहराया। यह मामला हसन जिले के होलेनरसीपुरा में रेवन्ना परिवार के फार्महाउस पर एक घरेलू सहायिका से बलात्कार से जुड़ा है। विशेष अदालत ने इस मामले में सजा का ऐलान शनिवार के लिए निर्धारित किया है। 

यह मामला अप्रैल 2024 में तब सुर्खियों में आया, जब 2024 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले प्रज्वल रेवन्ना के कथित यौन शोषण और बलात्कार के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। एक 47 वर्षीय पीड़िता रेवन्ना परिवार के गन्निकदा फार्महाउस में घरेलू सहायिका के रूप में काम करती थीं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रज्वल ने 2021 में उनके साथ दो बार बलात्कार किया। पहली बार हसन में परिवार के आवास पर और दूसरी बार बेंगलुरु में। पीड़िता ने दावा किया कि प्रज्वल ने पहली घटना को अपने मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड किया।
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विशेष जांच दल यानी एसआईटी ने इस मामले में सितंबर 2024 में 1632 पेज की चार्जशीट दाखिल की जिसमें 113 गवाह शामिल थे। चार्जशीट में बार-बार बलात्कार, आपराधिक धमकी जैसे आरोप और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66E यानी निजता का उल्लंघन के तहत आरोप लगाए गए।

सबूत और जाँच

एसआईटी ने इस मामले में मज़बूत सबूत जुटाए। पीड़िता ने अपने बयान में बलात्कार और रिकॉर्डिंग की घटनाओं की विस्तृत जानकारी दी। एक वीडियो में पीड़िता को प्रज्वल के यौन हमले का विरोध करते और रोते हुए देखा गया। इस वीडियो को SIT ने बरामद किया। हालांकि वीडियो में प्रज्वल का चेहरा स्पष्ट नहीं था, फोरेंसिक विश्लेषण ने पुष्टि की कि यह उनकी आवाज थी। पीड़िता ने अपनी साड़ी को सबूत के रूप में पेश किया, जिसे उसने फार्महाउस पर अलमारी में रखा था। फोरेंसिक जांच में साड़ी पर प्रज्वल का डीएनए पाया गया। एसआईटी ने 113 गवाहों के बयान दर्ज किए, जिनमें स्थानीय लोग और अन्य कर्मचारी शामिल थे। एसआईटी की जांच का नेतृत्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक बी.के. सिंह ने किया। 

जांच के दौरान यह भी सामने आया कि पीड़िता को प्रज्वल के माता-पिता, पूर्व मंत्री एच.डी. रेवन्ना और भवानी रेवन्ना के इशारे पर अपहरण कर लिया गया था, ताकि वह प्रज्वल के खिलाफ गवाही न दे सके। पीड़िता को के.आर. नगर के एक फार्महाउस से एसआईटी ने बचाया था।

सुनवाई सिर्फ़ दो महीने में पूरी

इस मामले की सुनवाई बेंगलुरु की विशेष जनप्रतिनिधि अदालत में 2 मई 2025 को शुरू हुई और रोजाना सुनवाई के साथ मात्र दो महीने में पूरी हो गई। जज संतोष गजानन भट ने सुनवाई की। 30 जुलाई 2025 को अदालत ने फैसले को स्थगित कर दिया था, क्योंकि कुछ बिंदुओं पर सफाई की ज़रूरत थी। अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि फोन जांच के दौरान जब्त किया गया था, जबकि प्रज्वल के वकील ने तर्क दिया कि गिरफ्तारी के समय फोन उनके कब्जे में नहीं था। इन स्पष्टीकरणों के बाद अदालत ने 1 अगस्त को दोषसिद्धि का फैसला सुनाया।

प्रज्वल की कैसे हुई थी गिरफ्तारी?

जब अप्रैल 2024 में उनके कथित यौन शोषण के वीडियो वायरल हुए तो प्रज्वल रेवन्ना 27 अप्रैल को जर्मनी भाग गए। उनकी फरारी ने देशभर में आक्रोश पैदा किया, और पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा और केंद्रीय मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने सार्वजनिक रूप से उनकी वापसी की अपील की। 31 मई 2024 को बेंगलुरु लौटने पर उन्हें बेंगलुरु पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। तब से वह परप्पना अग्रहारा सेंट्रल जेल में बंद हैं। उनकी कई जमानत याचिकाएँ खारिज हो चुकी हैं।
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रेवन्ना के ख़िलाफ़ अन्य मामले 

प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ तीन अन्य बलात्कार मामले और एक यौन उत्पीड़न का मामला लंबित है। इनमें एक पूर्व जिला पंचायत सदस्य, एक पारिवारिक रसोइया, और रसोइया की बेटी के साथ यौन शोषण के आरोप शामिल हैं। इन मामलों में भी SIT ने चार्जशीट दाखिल की है और आज का फैसला अन्य मामलों की दिशा को प्रभावित कर सकता है।

हसन से जेडीएस के उम्मीदवार रहे प्रज्वल रेवन्ना 2024 के लोकसभा चुनाव हार गए। इस मामले ने जेडीएस और उनके सहयोगी दल बीजेपी की छवि को नुकसान पहुंचाया। कांग्रेस ने इस मामले को लेकर जेडीएस और बीजेपी पर निशाना साधा है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने पहले इस मामले में एसआईटी जांच का आदेश दिया था।

प्रज्वल के खिलाफ बाकी तीन मामलों का नतीजा क्या होगा, यह देखना बाकी है। लेकिन इस फैसले ने यह साफ़ कर दिया है कि राजनीतिक रसूख के बावजूद क़ानून अपना काम कर सकता है।