पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवगौड़ा के पोते और पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को बलात्कार के चार मामलों में से एक में अदालत ने सजा सुनाई है। जानिए, कब तक जेल में रहेंगे।
पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा के पोते और कर्नाटक के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को बलात्कार के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही उन पर 11 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। इसमें से 7 लाख रुपये पीड़िता को मुआवजे के रूप में दिए जाएंगे। यह फैसला बेंगलुरु की एक विशेष अदालत के न्यायाधीश संतोष गजानन भट द्वारा सुनाया गया। इन्होंने शुक्रवार को प्रज्वल को इस मामले में दोषी ठहराया था। यह मामला हसन जिले के होलेनरसीपुरा में रेवन्ना परिवार के गन्नीकड़ा फार्महाउस में कार्यरत 48 वर्षीय घरेलू सहायिका के साथ बलात्कार और यौन शोषण से जुड़ा है।
यह मामला 2021 में हुई दो घटनाओं से जुड़ा है, जिसमें प्रज्वल रेवन्ना पर आरोप है कि उन्होंने हसन जिले के गन्नीकड़ा फार्महाउस और बेंगलुरु में अपने परिवार के आवास पर एक घरेलू सहायिका के साथ दो बार बलात्कार किया और इस कृत्य को अपने मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड किया। पीड़िता ने अपनी साड़ी को सबूत के रूप में रखा था। इस पर फोरेंसिक विश्लेषण में भी पुष्टि हुई। यह साड़ी अदालत में अहम सबूत के रूप में पेश की गई, जिसने इस मामले को मजबूत किया।
विशेष जांच दल यानी एसआईटी ने इस मामले की जाँच की और 123 सबूतों के साथ लगभग 2,000 पेज की चार्जशीट दाखिल की। जाँच में 26 गवाहों के बयान और 180 दस्तावेजों को शामिल किया गया। इसमें डिजिटल और तकनीकी सबूत, डीएनए रिपोर्ट, और फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी की रिपोर्ट शामिल थी। पीड़िता का बयान और वीडियो में दिखाई देने वाले कमरे का बैकग्राउंड इस मामले में निर्णायक साबित हुआ। यह जेडीएस से निष्कासित नेता प्रज्वल रेवन्ना के फार्महाउस और बेंगलुरु आवास से मेल खाता था।
प्रज्वल पर क्या हैं आरोप
प्रज्वल रेवन्ना को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(n) यानी एक ही महिला के साथ बार-बार बलात्कार, धारा 376(2)(k) यानी नियंत्रण में रखते हुए बलात्कार, धारा 354(A) यानी यौन उत्पीड़न, धारा 354(B) यानी महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला, धारा 506 यानी आपराधिक धमकी, धारा 354(C), और धारा 201 यानी सबूत मिटाने के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66E यानी निजता का उल्लंघन के तहत दोषी ठहराया गया।
अदालत ने प्रज्वल को दो धाराओं के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई और साथ ही प्रत्येक धारा के तहत 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। कुल 10 लाख रुपये के जुर्माने में से 7 लाख रुपये पीड़िता को मुआवजे के रूप में दिए जाएंगे।
विशेष लोक अभियोजकों ने तर्क दिया कि प्रज्वल एक प्रभावशाली व्यक्ति थे और उन्होंने अपनी स्थिति का दुरुपयोग किया, इसलिए उन्हें अधिकतम सजा दी जानी चाहिए ताकि समाज में एक मजबूत संदेश जाए।
प्रज्वल का बचाव
सजा कितनी दी जाए, इस पर सुनवाई के दौरान प्रज्वल ने अदालत से नरमी बरतने की अपील की। उन्होंने दावा किया कि उनकी एकमात्र ग़लती राजनीति में तेजी से आगे बढ़े थे। उन्होंने कहा, 'मैंने कुछ गलत नहीं किया। मैं एक मैकेनिकल इंजीनियरिंग स्नातक हूं और हमेशा मेरिट पर पास हुआ हूं। मेरे खिलाफ कोई शिकायत तब तक नहीं आई जब तक मैं सांसद था। ये आरोप केवल चुनावों के समय सामने आए।' उन्होंने यह भी दावा किया कि पीड़िता ने अपने पति या परिवार से इस घटना की शिकायत नहीं की थी और यह मामला केवल तब सामने आया जब कुछ वीडियो वायरल हुए। हालाँकि, उन्होंने कहा कि वह अदालत के फैसले का सम्मान करेंगे। सजा सुनाए जाने के दौरान प्रज्वल कोर्ट में फूट-फूटकर रो पड़े।
प्रज्वल रेवन्ना पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा के पोते और कर्नाटक के पूर्व मंत्री एच.डी. रेवन्ना के बेटे हैं। वह केंद्रीय मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी के भतीजे हैं। वह हसन लोकसभा क्षेत्र से 2024 के चुनावों में बीजेपी के उम्मीदवार थे, लेकिन वे सीट बरकरार रखने में असफल रहे। इस मामले की शुरुआत तब हुई जब अप्रैल 2024 में हसन में सैकड़ों अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए। इनमें कथित तौर पर प्रज्वल द्वारा कई महिलाओं के यौन शोषण को दिखाया गया था। इन वीडियो के सामने आने के बाद प्रज्वल देश छोड़कर जर्मनी भाग गए थे। उनके परिवार के काफ़ी प्रयास के बाद वह भारत लौटे।
31 मई 2024 को बेंगलुरु हवाई अड्डे पर उनकी वापसी के बाद विशेष जाँच दल यानी एसआईटी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। तब से वह बेंगलुरु सेंट्रल जेल में बंद हैं और उनकी कई जमानत याचिकाएं विभिन्न अदालतों द्वारा खारिज कर दी गई हैं। इस मामले ने कर्नाटक में बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया, जिसमें रेवन्ना परिवार ने आरोप लगाया कि यह कांग्रेस सरकार द्वारा उनकी हसन क्षेत्र में प्रभाव को कम करने की साज़िश है।
प्रज्वल के ख़िलाफ़ दर्ज चार यौन शोषण और बलात्कार के मामलों में से पहले में से यह फ़ैसला है। अन्य तीन मामलों में भी उनके खिलाफ जांच चल रही है, जिसमें एक पूर्व जिला पंचायत कार्यकर्ता और एक अन्य घरेलू सहायिका और उसकी बेटी द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोप शामिल हैं। इन मामलों में भी एसआईटी ने व्यापक जाँच की है और चार्जशीट दाखिल की है।
फ़ैसले का असर
इस फ़ैसले को एक अहम क़दम माना जा रहा है, जो समाज में यौन अपराधों के ख़िलाफ़ कड़ा संदेश देता है। विशेष लोक अभियोजकों ने तर्क दिया कि प्रज्वल जैसे प्रभावशाली व्यक्ति को सजा देना समाज में एक नजीर बनेगा। पीड़िता की हिम्मत और जाँच में जुटाए गए ठोस सबूतों ने इस मामले को मज़बूत किया।
यह फ़ैसला न केवल पीड़िता को न्याय दिलाने की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह भी दिखाता है कि क़ानून के सामने कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, जवाबदेह है। आने वाले समय में प्रज्वल के खिलाफ अन्य मामलों में होने वाली सुनवाई और उनके परिणाम भी उतने ही अहम होंगे।