केरल के पलक्कड़ जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। छत्तीसगढ़ के एक 31 साल के प्रवासी मजदूर रामनारायण बघेल की एक भीड़ ने बुरी तरह पीट-पीटकर हत्या कर दी। यह घटना पिछले बुधवार यानी 17 दिसंबर की है, लेकिन जब मारपीट का वीडियो सामने आया, तो इसने लोगों को झकझोर कर रख दिया। वीडियो में हमलावरों को रामनारायण से बार-बार पूछते सुना जा सकता है- 'क्या तुम बांग्लादेशी हो?' केरल की सीपीएम सरकार ने आरोप लगाया है कि यह संघ की नफ़रत फैलाने का नतीजा है। उन्होंने कहा है कि गिरफ़्तार लोगों में संघ से जुड़े कई लोग शामिल हैं। वैसे, हाल में बीजेपी ने कई राज्यों में कथित 'बांग्लादेशी घुसपैठिये' के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की है।

रामनारायण छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले के करही गांव के रहने वाले थे। वे बेहतर कमाई की तलाश में 13 दिसंबर को केरल पहुँचे थे। वे एक निर्माण स्थल पर दिहाड़ी मजदूर का काम कर रहे थे और अपने रिश्तेदार के साथ वालयार में रह रहे थे। बुधवार शाम को वे रास्ता भटक गए और गांव में पहुंच गए। वहां पहले कुछ चोरी की घटना हुई थी, इसलिए लोगों ने उन्हें चोर समझ लिया। भीड़ ने उन्हें घेर लिया, पूछताछ की और फिर लाठी-डंडों से बुरी तरह मारा।
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सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में दिखता है कि रामनारायण घायल हालत में जमीन पर पड़े हैं, खून बह रहा है, लेकिन हमलावर उन्हें 'बांग्लादेशी' कहकर मारते रहते हैं। अस्पताल ले जाने पर उनकी मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में शरीर पर कई चोट के निशान थे। सिर और शरीर पर गंभीर चोटें लगी थीं, पसलियाँ टूट गई थीं, और अंदरूनी खून बहने से मौत हुई।

'संघ परिवार की नफरती राजनीति का नतीजा'

सीपीएम नेता और स्थानीय स्वशासन मंत्री एम.बी. राजेश ने इस घटना को संघ परिवार की नफरती राजनीति का नतीजा बताया है। उन्होंने कहा कि रामनारायण को 'बांग्लादेशी' कहकर कलंकित किया गया और मार डाला गया। उन्होंने कहा है कि गिरफ्तार लोगों में आरएसएस कार्यकर्ता शामिल हैं, जिन पर पहले आपराधिक मामले दर्ज हैं। उन्होंने दावा किया, 'नौकरी की तलाश में आए प्रवासी मज़दूर को बांधकर पीटा गया, उस पर बांग्लादेशी होने का आरोप लगाया गया। वह देश में संघ परिवार द्वारा फैलाई जा रही नस्लीय नफ़रत का शिकार है।'

सीपीएम सरकार का यह आरोप तब आया है जब बीजेपी ने कई राज्यों में कथित तौर पर 'बांग्लादेशी घुसपैठिये' के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की है। विपक्षी दलों ने लगातार आरोप लगाया है कि बीजेपी इसके बहाने अल्पसंख्यकों को निशाना बना रही है।

मुख्यमंत्री ने किया न्याय का वादा

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने सोमवार को बयान जारी कर कहा कि यह घटना केरल जैसे प्रगतिशील समाज के लिए बिल्कुल अस्वीकार्य है। उन्होंने परिवार को न्याय दिलाने का वादा किया और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया। एक विशेष जांच टीम बनाई गई है, जो पलक्कड़ पुलिस सुपरिंटेंडेंट की अगुवाई में काम कर रही है। पुलिस ने अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार किया है– अनु, प्रसाद, मुरली, आनंदन और बिपिन। ये सभी स्थानीय निवासी हैं। जांच में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। सीसीटीवी फुटेज, सोशल मीडिया वीडियो और गवाहों के बयानों की जांच हो रही है। रामनारायण की जाति की पुष्टि होने पर एससी-एसटी एक्ट के तहत भी केस दर्ज किया जाएगा। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि रामनारायण दलित थे।
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क़ानून-व्यवस्था नाकाम: कांग्रेस

दूसरी तरफ, कांग्रेस पार्टी ने केरल सरकार पर हमला बोला। कांग्रेस नेता के.सी. वेणुगोपाल ने इसे कानून-व्यवस्था की नाकामी बताया और 2018 की मधु हत्या से तुलना की। उन्होंने कहा, 'केरल के पलक्कड़ में छत्तीसगढ़ के रहने वाले राम नारायण बघेल की मॉब लिंचिंग की घटना बहुत चौंकाने वाली है। यह बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जा सकता कि ऐसी हिंसक ताक़तें हावी हो जाएं और बेकाबू हो जाएं। 2018 में मधु के साथ जो हुआ था, उसकी यादें अभी भी ताज़ा हैं, और अब हमने यह घटना देखी है। यह दुख की बात है कि केरल जैसे सांप्रदायिक सद्भाव के समृद्ध इतिहास वाले समाज में मॉब हिंसा की बार-बार ऐसी घटनाएं हो रही हैं।'
उन्होंने आगे कहा, 'केरल सरकार ने डर फैलाने वाले प्रोपेगेंडा और अफवाह फैलाने पर रोक लगाने में पूरी तरह से लापरवाही वाला रवैया दिखाया है। उन्हें समय पर कार्रवाई न करने और राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति को संभालने में पूरी तरह नाकाम रहने के लिए जवाब देना होगा।'
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दस लाख रुपये की सहायता का वादा

रामनारायण के परिवार में उनकी पत्नी ललिता, 8 और 9 साल के दो छोटे बेटे और बीमार मां हैं। परिवार बहुत गरीब है। पहले परिवार ने शव लेने से इनकार कर दिया। लेकिन सोमवार को राजस्व मंत्री के. राजन ने परिवार से बात की और कम से कम 10 लाख रुपये मुआवजे का वादा किया। उन्होंने कहा कि यह फैसला अगली कैबिनेट मीटिंग में लिया जाएगा और सरकार शव को हवाई जहाज से छत्तीसगढ़ भेजने का इंतजाम भी करेगी।

यह घटना केरल में प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा और भीड़ की हिंसा पर बड़ा सवाल उठा रही है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह नस्लीय नफरत और विदेशी घुसपैठिए की अफवाहों का नतीजा है।