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आयशा सुल्ताना को राजद्रोह मामले में केरल हाई कोर्ट से अग्रिम ज़मानत

लक्षद्वीप प्रशासन के विरोध के तमाम प्रयासों के बाद भी फ़िल्म निर्माता आयशा सुल्ताना को राजद्रोह के मामले में केरल हाई कोर्ट से अग्रिम ज़मानत मिल गई। राजद्रोह का आरोप लगने के बाद केरल उच्च न्यायालय ने एक हफ़्ते पहले ही उनकी अग्रिम जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रखते हुए उन्हें एक हफ्ते के लिए अंतरिम ज़मानत दी थी।

आरोप है कि सात जून को एक मलयालम समाचार चैनल द्वारा प्रसारित बहस में हिस्सा लेते हुए सुल्ताना ने कहा था कि केंद्र सरकार ने लक्षद्वीप के लोगों के ख़िलाफ़ जैविक हथियारों का प्रयोग किया है। उनके ख़िलाफ़ बीजेपी के नेता ने शिकायत की थी। इसी मामले में लक्षद्वीप प्रशासन ने गुरुवार को अदालत में एक आवेदन देकर कोरोना प्रोटोकॉल के उल्लंघन का आरोप लगाया था। इस आवेदन के माध्यम से प्रशासन कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम ज़मानत के मामले को कमज़ोर करना चाहता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 

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लक्षद्वीप प्रशासन ने सुल्ताना द्वारा दायर की गई अग्रिम ज़मानत याचिका को कमज़ोर करने के लिए ही आवेदन देकर कोर्ट को बताया था कि क़ानूनी बाध्यताओं और क़ानून के प्रति उनका कोई सम्मान नहीं है। प्रशासन द्वारा कोरोना प्रोटोकॉल के उल्लंघन का आरोप भी अजीब था।  

आरोप था कि पूछताछ से पहले वह जिस गाड़ी से आई थीं उसमें उनके साथ और लोग थे, पूछताछ के बाद मीडिया से रूबरू हुई थीं, आदि। 'लाइव लॉ' की रिपोर्ट के अनुसार, प्रशासन का तर्क था कि आरोपी सुल्ताना 19 जून 2021 को कवारत्ती द्वीप में जाँच अधिकारी के सामने पेश हुईं। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी किए गए कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार, उन्हें पूछताछ के अलावा अनिवार्य होम क्वारंटाइन की सलाह दी गई थी। हालाँकि आरोपी उक्त प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए सहमत हो गयी थीं, यह बताया गया है कि आने के अगले ही दिन वह कुछ अन्य लोगों के साथ एक वाहन में पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन गई थीं।

इसके अलावा आवेदन में आरोप लगाया गया था कि पूछताछ के बाद वह लोगों और मीडिया के साथ घुलीमिलीं।

आवेदन में यह भी इसका भी ज़िक्र किया गया था कि आरोपी ने पंचायत कार्यालय का दौरा किया और वह अपने आवास पर लौटने से पहले अन्य व्यक्तियों के साथ चर्चा में लगी रहीं। इसके अलावा, उन पर 21 जून को एक आइसोलेशन सेंटर में कोविड पॉजिटिव मरीजों से मिलने का भी आरोप था।

इसी को लेकर लक्षद्वीप प्रशासन ने अदालत से कहा था कि आरोपी का लक्षद्वीप में यह रवैया कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन है। उन पर यह भी आरोप लगाया गया था कि आयशा सुल्ताना ने पूछताछ करने वाले अधिकारियों की ज़िंदगी भी ख़तरे में डाल दी।

इन तर्कों के साथ लक्षद्वीप प्रशासन ने यह सिद्ध करने की कोशिश की थी कि अंतरिम ज़मानत मिलने का उन्होंने ग़लत फ़ायदा उठाया है। इसने अदालत से यह भी कहा था कि सुल्ताना की ज़मानत पर फ़ैसला होने से पहले यह ध्यान में रखा जाना चाहिए। 

बता दें कि राजद्रोह के आरोपों का सामना कर रहीं आयशा सुल्ताना से पुलिस ने गुरुवार को पूछताछ की। बीजेपी के एक नेता की शिकायत के आधार पर दर्ज मामले के सिलसिले में कवारत्ती पुलिस ने रविवार और बुधवार को भी पूछताछ की थी। कवारत्ती थाने में क़रीब तीन घंटे की पूछताछ हुई थी।

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इससे पहले बुधवार को क़रीब आठ घंटे की पूछताछ के बाद सुल्ताना ने कहा था कि पुलिस ने उनसे पूछा कि क्या विदेशों में भी उनके संपर्क सूत्र हैं। उन्होंने कहा था कि जाँच अधिकारियों ने उनके वाट्सऐप, इंस्टाग्राम और फ़ेसबुक खातों की जाँच की थी। उन्होंने कहा था कि वे तलाश कर रहे थे कि क्या विदेशों में भी मेरे संपर्क हैं। आयशा सुल्ताना सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं और फ़िलहाल लक्षद्वीप प्रशासन के ख़िलाफ़ चल रहे प्रदर्शनों का वह समर्थन करती हैं। 
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क़मर वहीद नक़वी
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