loader

क्या अमर्यादित भाषणों से लड़ा जाएगा पूरा लोकसभा चुनाव?

क्या चुनावी भाषणों में भाषा की मर्यादा ख़त्म हो गयी है? वोट के लिए दलों में ऊँचे-ऊँचे पदों पर बैठे राजनेता गालियों और अपशब्दों का इस्तेमाल क्या इसलिए कर रहे हैं कि उन्होंने कोई काम नहीं किया है? एक के बाद एक अलग-अलग नेताओं के विवादित बयानों और अमर्यादित भाषा से तो ऐसा ही लगता है। ताज़ा मामला हिमाचल प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती का है। सत्ती का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी पर निशाना साधते हुए अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते नज़र आ रहे हैं। सत्ती पहले ऐसा नेता नहीं हैं जिन्होंने भाषा की मर्यादा पार की है। हाल के दिनों में आज़म ख़ान, योगी आदित्यनाथ, मेनका गाँधी, मायावती भी कुछ न कुछ विवादित बयान देते रहे हैं। योगी और मायावती के ख़िलाफ़ तो कार्रवाई कर चुनाव आयोग ने कुछ समय के लिए उनके चुनाव प्रचार करने पर रोक लगा दी है।

ताज़ा ख़बरें

लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, नेताओं के बीच बदज़ुबानी भी बढ़ गई है। सतपाल सिंह सत्ती के भाषण के मामले में उनकी भाषा काफ़ी आपत्तिजनक है। बताया जा रहा है कि यह वीडियो रविवार का है जब सोलन में पार्टी के उम्मीदवार के लिए प्रचार करते वक़्त उन्होंने अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। 

सत्ती ने पहले तो राहुल गाँधी और उनके परिवार को ज़मानती बताया और कहा कि जो ख़ुद जमानत पर हो वह प्रधानमंत्री को चोर कैसे कह सकता है। इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर कथित तौर पर किसी शख़्स की टिप्पणी को पढ़ा जिसमें राहुल गाँधी के लिए गाली का इस्तेमाल किया गया है।

आज़म ख़ान भी अमर्यादित भाषा में पीछे नहीं

आज़म ख़ान ने भी अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया। आज़म ख़ान ने रविवार को रामपुर में आयोजित एक चुनावी जनसभा के दौरान कहा था, 'जिसको हम ऊँगली पकड़कर रामपुर लाए, आपने 10 साल जिससे अपना प्रतिनिधित्व कराया उसने हमारे ऊपर क्या-क्या इल्जाम नहीं लगाए। क्या आप उसे वोट देंगे? ...उनकी असलियत समझने में आपको 17 बरस लगे, मैं 17 दिन में पहचान गया कि इनके नीचे का अंडरवियर खाकी रंग का है।' हालाँकि, उन्होंने इस बयान में जया प्रदा का नाम नहीं लिया था, लेकिन उनका इशारा जया प्रदा की तरफ़ ही समझा जा रहा है।

हालाँकि चौतरफ़ा घिरने के बाद आज़म ख़ान ने कहा है कि उनकी बात को ग़लत तरीके़ से पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने किसी का नाम लेकर कुछ नहीं कहा है और अगर वह दोषी साबित होते हैं तो चुनाव से हाथ पीछे कर लेंगे। आज़म ख़ान रामपुर से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं और जया प्रदा भी यहाँ से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं।

वोट के लिए योगी का विवादित बयान

योगी आदित्यनाथ ने मेरठ में एक रैली के दौरान ‘अली’ और ‘बजरंग अली’ पर टिप्पणी की थी। योगी ने लोकसभा चुनावों की तुलना इसलाम में अहम शख्सियत 'अली’ और हिंदू देवता 'बजरंगबली' के बीच मुक़ाबले से की थी। उन्होंने कहा था, 'जब गठबंधन के नेताओं को अली पर विश्वास है और वह अली-अली कर रहे हैं, तो हम भी बजरंगबली के अनुयायी हैं और हमें बजरंगबली पर विश्वास है।’ योगी ने देवबंद में बसपा प्रमुख मायावती के उस भाषण की तरफ़ इशारा करते हुए यह टिप्पणी की थी जिसमें मायावती ने मुसलिमों से सपा-बसपा गठबंधन को वोट देने की अपील की थी। 

अब चुनाव आयोग ने योगी और मायावती दोनों के ख़िलाफ़ ही चुनाव आचार संहिता भंग करने को लेकर कार्रवाई की है और योगी को 72 घंटे और मायावती को 48 घंटे तक चुनाव प्रचार करने पर रोक लगा दी है।

मायवती ने भी किया था उल्लंघन

योगी के भाषण से पहले मायावती ने भी चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन किया था। शायद उन्हें पश्चिम उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन को मुसलिम वोटों में बिखराव का डर सता रहा है। यही वजह है कि सहारनपुर के देवबंद की संयुक्त रैली में मायावती ने मुसलिमों को सचेत करते हुए कहा कि किसी भी सूरत में अपने वोट को बँटने नहीं देना।

उन्होंने कहा था, ‘कांग्रेस इस लायक नहीं है कि वह बीजेपी को टक्कर दे सके, जबकि महागठबंधन के पास मज़बूत आधार है। अब तो सपा के साथ जाट वोट भी हमारे साथ है। ऐसे में मुसलिम किसी भी बहकावे में आकर अपने वोट को न बँटने दें, बल्कि एकजुट होकर गठबंधन के बसपा उम्मीदवार हाजी फजलुर्रहान के पक्ष में वोट करें।’

मेनका ने कहा था, वोट नहीं दिया तो देख लूँगी...

मेनका गाँधी भी पिछले दिनों चुनावी आचार संहिता की उस मर्यादा को पार कर गयीं जब उन्होंने धमकी भरे लहज़े में मुसलिम मतदाताओं से कहा कि यदि वे लोकसभा चुनाव में उनके पक्ष में मतदान नहीं करेंगे तो वह भी देख लेंगी। मुसलिम बहुल गाँव तूराबखानी में उनके भाषण का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें मेनका गाँधी कहती हैं, ‘...यह ज़रूरी है। मैं जीत रही हूँ। मैं जीत रही हूँ क्योंकि लोगों का प्यार और सहयोग है। लेकिन यदि मेरी जीत बिना मुसलिमों की होगी तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा। दिल खट्टा हो जाएगा। …मैं पहले ही चुनाव जीत चुकी हूँ और अब आपको मेरी ज़रूत पड़ेगी। यह इसकी नींव रखने के लिए आपके लिए एक मौक़ा है। जब चुनाव में इस बूथ पर 100 वोट या 50 वोट निकलेंगे और उसके बाद जब आप काम के लिए मेरे पास आएँगे तो मैं भी देखूँ लूँगी... मैं कोई भेद नहीं देखती, सिर्फ दर्द, दुख और प्यार समझती हूँ। इसलिए यह सब आप पर है....।’

चुनाव 2019 से और ख़बरें
सभी दलों के नेता घृणा और ज़हर उगलने वाले ऐसे अपशब्द बोल रहे हैं जो विरोधियों को समाज के नाम पर एक कलंक साबित कर सके। इसमें पार्टी अध्यक्ष भी शामिल हैं। कांग्रेस अध्यक्ष बीजेपी के नारे पर कटाक्ष करते हुए कह रहे हैं कि ‘चौकीदार चोर है’ तो मोदी भी पीछे नहीं हैं। मोदी ने भी एसपी-आरजेडी-बीएसपी के गठबंधन को ‘सराब’ (शराब) बता दिया है। तो क्या यह माना जाये कि अब चुनावी भाषणों की भाषा बदल गयी है? इस बीच योगी और मायावती के ख़िलाफ़ चुनाव आयोग की हाल की कार्रवाई एक सकारात्मक क़दम है। लेकिन देखना होगा कि दूसरे नेता इससे सबक लेते हैं या नहीं। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
अमित कुमार सिंह
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

चुनाव 2019 से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें