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मोदी के 'उग्र राष्ट्रवाद', 'हिंदू कार्ड' के जवाब में राहुल का आर्थिक मुद्दों का 'पंजा'

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'उग्र राष्ट्रवाद' और 'हिंदू कार्ड' के जवाब में आर्थिक मुद्दों का 'पंजा' तुरुप के पत्ते के रूप में फेंका है। राहुल गाँधी ने आर्थिक मुद्दों पर प्रधानमंत्री को घेरते हुए एक बार फिर चुनावी मैच की पिच बदलने की कोशिश की है। इससे पहले रफ़ाल मुद्दे पर भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे प्रधानमंत्री पुलवामा में हुए आतंकी हमले का जवाब पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक करके लोकसभा चुनाव को 'उग्र राष्ट्रवाद' की पिच पर ले गए थे और बाद में प्रधानमंत्री ने 'हिंदू कार्ड' खेल कर अपने मन मुताबिक़ चुनाव का नैरेटिव तय करने की कोशिश की थी। लेकिन मंगलवार को कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी करते हुए राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिर से बेरोज़गारी, ग़रीबी और किसानों के मुद्दे पर चुनावी मैच खेलने पर मजबूर किया है। 

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कांग्रेस का चुनाव घोषणा पत्र जारी होने के बाद मीडिया की तरफ़ से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी से पूछे गए सवालों में बार-बार राहुल का ध्यान भटकाने की कोशिश की गई। उनसे मोदी के 'उग्र राष्ट्रवाद' और 'हिंदू कार्ड' के बारे में सवाल पूछे गए। लेकिन राहुल बहुत ही चतुराई के साथ सभी सवालों से बचते हुए अपने मुद्दे पर ही डटे रहे।

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'हिंदू आतंकवाद' पर पूछे गए सवाल के जवाब में राहुल ने कहा कि हाँ, हम सब हिंदू हैं लेकिन चुनाव का मुद्दा बेरोज़गारी है। प्रधानमंत्री जी बताएँ कि उन्होंने 2014 के अपने चुनावी वादे के मुताबिक़, हर साल 2 करोड़ लोगों को रोज़गार क्यों नहीं दिया। 
राहुल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भ्रष्टाचार और देश की आंतरिक सुरक्षा के मामले में उनसे सीधे-सीधे बहस करने की चुनौती दे डाली।
राहुल ने ताल ठोकते हुए कहा कि प्रधानमंत्री देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की बात करते हैं लेकिन रफ़ाल मामले में तीस हजार करोड़ का घोटाला हुआ है और प्रधानमंत्री इस पर जवाब नहीं दे पा रहे हैं।कांग्रेस ने इस बार अपने चुनावी घोषणा पत्र का नाम 'जन घोषणा पत्र' पत्र रखा है और इसके कवर पेज पर लिखा है 'हम निभाएँगे।' वैसे तो अपने घोषणापत्र में कांग्रेस ने जनता को लुभाने और उसके वोट हासिल करने के लिए बहुत से वादे किए हैं लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने इनमें से 5 वादों को बड़ी अहमियत देते हुए इन्हें ‘तुरूप का पंजा’ क़रार दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी का चुनाव निशान हाथ का पंजा है। इसीलिए 5 बड़े वादों को हम इस चुनाव का मुख्य एजेंडा बनाएँगे।
राहुल गाँधी के मुताबिक़, उनके 5 बड़े वादे इस तरह हैं -
  • पहला, देश के 5 करोड़ बेहद ग़रीब परिवारों के खाते में हर साल 72,000 और 5 साल में 3,60,000 रुपये डाले जाएँगे। उन्होंने नारा दिया - 'ग़रीबी पर वार, 72 हज़ार'। 
  • दूसरा, राहुल गाँधी ने कहा, उनकी सरकार मनरेगा के तहत रोज़गार के दिन 100 से बढ़ाकर 150 करेगी।
  • तीसरा, युवाओं को कोई भी बिजनेस शुरू करने के लिए किसी तरह की मंजूरी लेने की ज़रूरत नहीं होगी। 3 साल तक उनसे कोई टैक्स नहीं लिया जाएगा और बैंकों के दरवाज़े उनके लिए खोल दिए जाएँगे।
  • चौथा, कांग्रेस अध्यक्ष ने रेलवे की तरह ही किसानों का एक अलग बजट पेश करने का वादा किया है। किसानों के कर्ज़ की समस्या से निपटने के लिए राहुल गाँधी ने कहा कि किसान अगर कर्ज़ न दे पाए तो उसके ख़िलाफ़ आपराधिक मामला नहीं बनेगा बल्कि उसे दीवानी अपराध माना जाएगा। 
  • पाँचवा, घोषणा पत्र में वादा किया गया है कि कांग्रेस की सरकार जीडीपी का 6 फ़ीसदी हिस्सा शिक्षा के लिए रखेगी। इससे सरकार को देश में नए स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय खोलने में मदद मिलेगी।
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इन 5 वादों के अलावा, स्वास्थ्य के मुद्दे पर राहुल गाँधी ने कहा कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूत कर लोगों को सस्ती स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराई जाएँगी। राहुल ने बेरोज़गारी के मसले पर कहा कि उनकी पार्टी कोई झूठा वादा नहीं करेगी। कांग्रेस पार्टी सरकार में आने के बाद 31 मार्च 2020 तक ख़ाली पड़े 22 लाख सरकारी पदों को भरेगी। 
सुरक्षा के मुद्दे पर मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए राहुल गाँधी ने कहा कि 'पिछले सालों में बीजेपी की सरकार ने देश को बाँटने का काम किया है। कश्मीर का उदाहरण सामने है, जहाँ हताहतों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ रही है। 
राहुल गाँधी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी देश को जोड़ने का काम करेगी और राष्ट्रीय और घरेलू सुरक्षा पर हमारा जोर रहेगा।

इस मौके़ पर सोनिया गाँधी, मनमोहन सिंह और पी. चिदंबरम समेत कांग्रेस के अन्य नेता भी मंच पर मौजूद थे। 

कई लोगों से चर्चा के बाद घोषणा पत्र तैयार हुआ है, जो हर किसी की उम्मीद को पूरा करेगा।


मनमोहन सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री

घोषणा पत्र जारी करने के बाद राहुल गाँधी ने मीडिया से बातचीत में जो तेवर दिखाए, उससे साफ़ लगता है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसी तरह की ढील देने के मूड में नहीं हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार कोशिश कर रहे हैं कि वह चुनाव का नैरेटिव अपने हिसाब से तय करें और जनता को जनता को 'उग्र राष्ट्रवाद' और 'हिंदूवादी' मुद्दों पर वोट डालने के लिए मजबूर करें। राहुल प्रधानमंत्री की इस कमजोरी को समझ रहे हैं, इसीलिए वह बार-बार उन्हें आम जनता के बुनियादी मुद्दों की तरफ़ खींच कर ले जा रहे हैं। राहुल अपने मक़सद में कितना कामयाब हो पाते हैं, यह तो चुनाव के नतीजे बताएँगे लेकिन फिलहाल तो इतना ही कहा जा सकता है कि चुनाव के बीच में पिच बदलने के मामले में राहुल, मोदी को ईंट का जवाब पत्थर से दे रहे हैं। 
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यूसुफ़ अंसारी
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