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चुनाव आयोग से ‘भिड़ीं’ प्रज्ञा सिंह, नोटिस पर ही उठा दिए सवाल 

भोपाल लोकसभा सीट से बीजेपी की उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर अब चुनाव आयोग से ‘भिड़’ गई हैं। आदर्श चुनाव आचार संहिता तोड़ने के आरोपों को लेकर दिए गए नोटिस का सीधा-सीधा जवाब देने के बजाय साध्वी प्रज्ञा सिंह ने चुनाव आयोग के नोटिस पर ही तमाम सवाल उठा दिए हैं। बता दें कि बीजेपी ने प्रज्ञा सिंह को भोपाल में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के ख़िलाफ़ टिकट दिया है। 
साध्वी प्रज्ञा सिंह मालेगाँव बम ब्लास्ट और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक सुनील जोशी हत्याकांड के आरोपों में लंबे समय तक जेल में बंद रही हैं।

प्रज्ञा सिंह टिकट मिलने के अगले दिन ही तब विवादों में आ गई थीं जब उन्होंने बम ब्लास्ट मामले में उनसे (प्रज्ञा सिंह से) पूछताछ करने वाले एक पुलिस अफ़सर हेमंत करकरे को लेकर विवादित टिप्पणी की थी। 

प्रज्ञा सिंह ने कहा था, ‘पुलिस हिरासत में रहने के दौरान हेमंत करकरे ने मुझे बहुत प्रताड़ित किया था और मैंने उसके (करकरे के) सर्वनाश का श्राप दिया था, इसलिए आतंकवादियों ने उसे मार दिया।' प्रज्ञा सिंह के इस बयान पर जमकर बवाल मचा था। हालाँकि बीजेपी के दबाव में बयान वाली शाम को ही प्रज्ञा सिंह ने अपना बयान यह कहते हुए वापस ले लिया था, 'अगर किसी ने हमको प्रताड़ित किया तो हमने उसे कुछ कह दिया। यह बिल्कुल हमारा बयान होना चाहिए। लेकिन इससे देश के दुश्मनों को बल मिलता है। मैं यह बयान वापस लेती हूँ।' इसके पहले भारतीय जनता पार्टी ने इस बयान से ख़ुद को अलग करते हुए कहा था कि ये साध्वी के निजी विचार हैं। 

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करकरे वाले बयान पर बवाल पूरी तरह से थम पाता कि शनिवार को प्रज्ञा सिंह ने एक चैनल को दिए गए इंटरव्यू में बाबरी ढांचे को लेकर कहा, ‘अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण जल्द किया जायेगा, बाबरी ढाँचा तोड़ने भी तो हम ही गये थे।’ इस इंटरव्यू में उन्होंने यह भी कहा, ‘मैंने चढ़कर ढांचा तोड़ा था, इस पर मुझे भयंकर गर्व है। इसके लिए मुझे ईश्वर ने शक्ति दी थी, हमने देश का कलंक मिटाया है।’ इस नये बयान के बाद चुनाव आयोग ने शनिवार को ही प्रज्ञा को नोटिस थमा दिया था और एक दिन में उनसे जवाब माँगा गया था।

रविवार को प्रज्ञा सिंह ने चुनाव आयोग के नोटिस का जवाब देते हुए कहा, ‘मेरे द्वारा अपने संबोधन में अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं किया गया और किसी पंथ-संप्रदाय की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुँचाने के संदर्भ में भी मैंने कुछ नहीं कहा। मैंने ऐसी कोई भाषा का उपयोग नहीं किया जिससे उत्तेजना फैले।’

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जवाब में साध्वी ने यह भी कहा है, ‘अगर इस संदर्भ में कोई रिपोर्ट दर्ज हो तो उसकी प्रतिलिपि प्रदान की जाये जिसका मैं समुचित उत्तर दे सकूँ।’ प्रज्ञा सिंह ने करकरे वाले बयान को लेकर भी सफ़ाई देते हुए कहा है, ‘मैंने किसी शहीद की शहादत के बारे में अपमानजनक बात नहीं कही, मेरे वक्तव्य को एक पंक्ति के आधार पर अर्थान्वयन नहीं करना चाहिये। मैंने अपने उद्बोधन में केन्द्र की तत्कालीन कांग्रेस की सरकार के निर्देशों पर मुझे जो यातनाएँ दी गईं उसका उल्लेख भर किया और यह मेरा अधिकार है कि जो घटना मेरे साथ घटित हुई जनता के सामने उसे रखूँ।’ 

साध्वी प्रज्ञा ने इस संदर्भ में आगे कहा है, ‘मेरे बयान को मीडिया द्वारा नकारात्मक परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया गया, जनभावना का सम्मान करते हुए बयान को मैंने वापस लिया है।’ प्रज्ञा सिंह ने पत्र के आखिर में कार्रवाई (नोटिस) समाप्त करने का अनुरोध भी किया है। 

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बढ़ सकती हैं साध्वी, बीजेपी की मुश्किलें

आदर्श आचार संहिता क़ानून से जुड़े जानकारों का कहना है कि साध्वी प्रज्ञा सिंह का चुनाव आयोग को दिया गया जवाब स्वयं साध्वी प्रज्ञा सिंह और बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा सकता है। सूत्रों का कहना है कि साध्वी ने चुनाव आयोग के नोटिस के जवाब में जिस तरह की शब्दावली का प्रयोग करते हुए सवाल उठाये हैं, वह स्वयं प्रज्ञा और बीजेपी को भारी पड़ सकते हैं। दरअसल, बाबरी ढाँचे के विध्वंस को लेकर साध्वी ने अपने टीवी इंटरव्यू में जो बातें कहीं हैं, उसकी रिकार्डिंग मौजूद है। आयोग ने रिकार्डिंग को देखने के बाद ही उन्हें नोटिस थमाया था। 

शिवराज ने समझाया प्रज्ञा को 

बीजेपी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार रविवार को मध्य प्रदेश बीजेपी कार्यालय में एक मुलाक़ात के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह चौहान ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर को समझाया है। सूत्रों ने बताया कि शिवराज सिंह ने फिजूल के विवादों से बचने और क्षति पहुँचाने वाली बयानबाज़ी से बचने का सुस्पष्ट मशविरा प्रज्ञा सिंह को दिया है। 

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संजीव श्रीवास्तव
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