दिग्विजय सिंह ने कहा कि बीजेपी ने देश भर में जिन महलनुमा दफ़्तरों के निर्माण में हज़ारों करोड़ रुपये ख़र्च किये हैं उनके हिसाब-किताब पर आयकर और प्रवर्तन निदेशालय की नज़र क्यों नहीं पड़ रही है?
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि टीडीपी के सांसद मुरलीमोहन तथा उनके रिश्तेदारों के यहाँ भी इसी तरह छापे डाले गए और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री तक को धरने पर बैठना पड़ा। कर्नाटक के सिंचाई मंत्री पुट्टराजू के घर छापे मारे गए, डीएमके नेता स्टालिन को माँग करनी पड़ी कि ‘क्या आयकर विभाग कभी प्रधानमंत्री मोदी पर भी छापा मारेगा?’।
काले धन को वापस लाकर ग़रीबों के ख़ातों में 15 लाख रुपये डालने की गप मारने वाली मोदी सरकार ने संवैधानिक संस्थाओं को ठप करके उन्हें राजनीतिक काम में लगा दिया है। अब ये संस्थाएँ बीजेपी की रैलियों में करोड़ों रुपये की राशि के भुगतान की जानकारी भी हासिल कर लें कि उनका भुगतान किस बैंक के चेक से किया जा रहा है?
दिग्विजय सिंह ने कहा कि भोपाल में स्थानीय पुलिस और न्याय तंत्र को विश्वास में लिए बिना जो कार्रवाई की गयी है, वह संघीय ढांचे में प्रदत्त राज्य के अधिकारों का अतिक्रमण है। देश की संवैधानिक संस्थाएँ बीजेपी के अनुषांगिक संगठनों की तरह काम करने लग गयी हैं। यह देश के लोकतंत्र, संघीय प्रणाली और संविधान के लिए आज सबसे बड़ी चुनौती है।