इंदौर के कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कथित "अशोभनीय" कार्टून बनाया था। केस दर्ज होने के बाद हेमंत ने अग्रिम ज़मानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। वकील वृंदा ग्रोवर ने जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच के सामने यह याचिका पेश की। इस पर कोर्ट ने 14 जुलाई को इसे लिस्ट करने के लिए सहमति जताई। इससे पहले, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मालवीय को अग्रिम ज़मानत देने से इनकार कर दिया था।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के एक स्वयं सेवक ने मई 2025 में हेमंत मालवीय के खिलाफ एफआईआर कराई थी। उसके बाद हेमंत ने अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट में अर्जी लगाई। बीते मंगलवार को हाईकोर्ट ने भी उनकी जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। उसके बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट में आना पड़ा। पूरा मामला हैरत पैदा करने वाला है। प्रेस की आजादी और अभिव्यक्ति पर पहरेदारी को लेकर तमाम सवाल खड़े हो गए हैं।
हेमंत 2017 से कार्टून बना रहे हैं। वे इंदौर के रहने वाले हैं। हेमंत के पिता स्वर्गीय के.जी. मालवीय भी अपने वक्त के बेहतरीन कार्टूनिस्ट थे। कांग्रेस का दौर था, लिहाजा पिता मालवीय के निशाने पर कांग्रेस के नेता, केरेक्टर और तब की व्यवस्था हुआ करती थी।’ हेमंत इंदौर से प्रकाशित होने वाले बहुत पुराने एवं अपने समय के बेहद मुखर-चर्चित अखबारों में शुमार रहे ‘इंदौर समाचार’ पत्र के लिए कार्टून बनाते हैं। हेमंत के पिता स्वर्गीय के.जी.मालवीय भी ‘इंदौर समाचार’ पत्र में सेवाएं दे चुके हैं। साल 2012 में उनका निधन हो गया था।
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हेमंत मालवीय अखबार के अलावा स्वतंत्र रूप से भी कार्टून बनाते हैं। उनका सोशल मीडिया अकाउंट कार्टूनों से पटा हुआ है। वे व्यवस्था पर चोट करते हैं। सबसे ज्यादा निशाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मोदी सरकार और उसके नुमाइंदे होते हैं। आरएसएस नेताओं के खिलाफ भी वे बेहद चुभने वाली सटायर लाइनों के साथ कार्टून बनाते हैं। अपनी वाल पर पोस्ट करते हैं। उनकी कल्पनाशीलता एवं व्यंग्य-तंज सचमुच बेहद तीखे होते हैं।
हेमंत ने कोविड काल में वैक्सीन को लेकर एक कार्टून बनाया था। कार्टून में संघ की वेशभूषा वाले शख्स को मोदी की प्रतिकृति वाला बुजुर्ग कैरेक्टर, डॉक्टर का एप्रिन पहने, स्टेथोस्कोप गले में टांगे इंजेक्शन लगाते नजर आते हैं। हेमंत के इस कार्टून में लिखा था, ‘अबे, कायको घबरा रिया है? सिरम के पूनावाला ने बताया तो वैक्सीन (लिखा है वेक्सिन) में पानी ही है, अब पानी के साइड इफेक्ट से तू मरेगा थोड़े (थोडे लिखा गया था) ही।’
हेमंत के उस कार्टून पर इंदौर के सुदामा नगर निवासी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयंसेवक विनय जोशी ने 22 मई 2025 को लसूड़िया थाना में शिकायत की। उनकी शिकायत के आधार पर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 196, 299, 302, 352, 353 (2) और आईटी एक्ट की 67 (ए) के तहत एफआईआर की।
पुलिस की कार्रवाई के बाद हेमंत अग्रिम जमानत के लिए सबसे पहले जिला अदालत गए। दलील दी कि यह एक हास्य व्यंग्य था। सिर्फ उनके फेसबुक पेज पर साझा किया, लेकिन कोर्ट ने बेल एप्लीकेशन निरस्त कर दी। इसके बाद वो मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच पहुंचे। वहां जस्टिस सुभाष अभ्यंकर ने भी बीते मंगलवार 8 जुलाई 2025 को उनकी जमानत याचिका को नामंजूर कर दिया। जस्टिस अभ्यंकर ने याचिका नामंजूर करते हुए कहा है, ‘आरोपी काटूनिस्ट से कस्टोडियल पूछताछ जरूरी है।’
पूरे मामले पर हेमंत मालवीय टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे। लेकिन उनके भाई गिरीश मालवीय ने बताया कि यह तीसरा मौका है जब उनके भाई पर सटीक कार्टूनों और तल्ख टिप्पणियों से बिलबिलाकर इस तरह की एफआईआर करवाई गई है। गिरीश ने बताया, ‘योग गुरु रामदेव और मोदी को लेकर बनाये गए एक कार्टून पर, साल 2022 में हेमंत के खिलाफ, हरिद्वार के कनखल थाने में एफआईआर कराई गई थी। बाबा के तथाकथित शिष्य रमन पंवार की शिकायत पर हेमंत और देहरादून के स्वतंत्र पत्रकार (अपनी टिप्पणी के साथ कार्टून को रिपोस्ट करने वाले) गजेन्द्र रावत को आरोपी बनाया गया था। तब आईपीसी की धारा 153 में मुकदमा कायम हुआ था।
इस मामले के अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मां हीराबेन के निधन के बाद साल 2023 में स्वयं की सोशल मीडिया वॉल पर हेमंत की एक टिप्पणी को अशोभनीय एवं आपत्तिजनक करार देते हुए, भारतीय जनता युवा मोर्चा ने हंगामा किया था। दबाव बनाकर पुलिस से हेमंत के खिलाफ एफआईआर कराई थी।
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बकौल गिरीश मालवीय, ‘फिलहाल, हेमंत की पत्नी एवं दो बेटे, गिरीश, पत्नी एवं दो बच्चे (हेमंत सहित परिवार के कुल आठ सदस्य) परेशान हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की मोदी काल की परिभाषा, भाजपा-संघ के लोगों, पुलिस और प्रशासन के रवैये से दो-दो हाथ कर रहे हैं। कोर्ट-कचहरी में उलझे हुए हैं।’ गिरीश यह कह रहे हैं, ‘उनके भाई हर जुल्म-ज्यादती से लड़ने को तैयार हैं। वे, भयभीत नहीं हैं। हथियार नहीं डालेंगे। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की लड़ाई पूरी ताकत से लड़ रहे थे, लड़ रहे हैं और आगे भी लड़ते रहेंगे।’