मध्य प्रदेश के खंडवा को मिले राष्ट्रीय जल पुरस्कार को लेकर कांग्रेस का आरोप है कि AI से बनी तस्वीरों के ज़रिये पुरस्कार हासिल किया गया। जीतू पटवारी के आरोपों पर प्रशासन ने क्या सफाई दी? पढ़ें रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश के खंडवा जिले को जल संरक्षण के लिए मिले अवार्ड पर एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है कि खंडवा जिले ने एआई यानी आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस से बनी फर्जी तस्वीरें इस्तेमाल करके राष्ट्रीय जल संरक्षण पुरस्कार जीता है। कांग्रेस ने इसे ‘स्मार्ट भ्रष्टाचार’ का नाम दिया है। हालाँकि विवाद सामने आने पर खंडवा जिला प्रशासन ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है और कहा है कि पुरस्कार के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीरें असली और सत्यापित हैं।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब नवंबर 2025 में नई दिल्ली में हुए छठे राष्ट्रीय जल पुरस्कार समारोह में खंडवा जिले को केंद्र सरकार के ‘जल संचय, जन भागीदारी’ अभियान के तहत जल संरक्षण के लिए देश में पहला स्थान दिया गया। जिले को इस पुरस्कार के साथ 2 करोड़ रुपये की इनामी राशि भी दी गई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने खुद यह पुरस्कार खंडवा के कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ को सौंपा था। इसके अलावा जिले की कवेश्वर ग्राम पंचायत को सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत श्रेणी में दूसरा स्थान मिला।
कांग्रेस के आरोप क्या हैं?
मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में बीजेपी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा, 'बीजेपी सरकार को बच्चों को एआई का सही इस्तेमाल सिखाना चाहिए, लेकिन वह खुद एआई से भ्रष्टाचार कर रही है।'
पटवारी ने आरोप लगाया कि खंडवा में भाजपा सरकार के अधिकारियों ने जल संरक्षण के नाम पर सिर्फ दो फीट गहरे गड्ढों को एआई की मदद से कुएं बना दिखाया। पूरे इलाके में विकास कार्यों की एआई से बनी फर्जी तस्वीरें पोर्टल पर अपलोड की गईं। इन तस्वीरों के आधार पर ही राष्ट्रपति से पुरस्कार ले लिया गया।
उन्होंने आगे दावा किया, 'जब जमीनी हकीकत देखी गई तो वहां सिर्फ खाली मैदान और खेत मिले। यह जल संरक्षण नहीं, बल्कि तकनीक से बनी तस्वीरों का खेल है। बीजेपी के राज में भ्रष्टाचार भी स्मार्ट हो गया है।' कांग्रेस का कहना है कि यह फर्जीवाड़ा दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट से सामने आया, जिसमें कई जगहों पर दावा किए गए तालाब, कुएं जैसी जल संरचनाएं मौजूद नहीं मिलीं। रिपोर्ट में कुछ तस्वीरें एआई से बनी बताई गईं।
जिला प्रशासन का जवाब
विवाद बढ़ने पर खंडवा जिला प्रशासन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सभी आरोपों का खंडन किया। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नागार्जुन बी. गौड़ा ने कहा कि एआई से बनी तस्वीरों का राष्ट्रीय जल पुरस्कार से कोई लेना-देना नहीं है।
रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने बताया कि ‘जल संचय, जन भागीदारी’ अभियान के तहत जिले में 1 लाख 29 हजार से ज्यादा जल संरक्षण कार्य किए गए। इनकी तस्वीरें पूरी जांच के बाद आधिकारिक जल संचय जन भागीदादी यानी जेएसजेबी पोर्टल पर अपलोड की गईं। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने सभी की जांच की और कुल कार्यों के 1 प्रतिशत की रैंडम फील्ड जांच भी की।
दूसरे पोर्टल पर AI तस्वीरें मिलीं: अधिकारी
रिपोर्ट के अनुसार गौड़ा ने दावा किया कि जल संरक्षण की तस्वीरें एक अलग पोर्टल ‘कैच द रेन’ पर भी अपलोड की जाती हैं, लेकिन सिर्फ शिक्षा और प्रेरणा के लिए। इस पोर्टल पर एआई से बनीं 21 तस्वीरें मिली हैं, जो शायद किसी की शरारत से अपलोड की गईं। प्रशासन इन तस्वीरें अपलोड करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है।
उन्होंने कहा, 'कैच द रेन पोर्टल पूरी तरह अलग है। जल संचय, जन भागीदारी अभियान के पुरस्कार इस पोर्टल की तस्वीरों पर आधारित नहीं होते।' अधिकारी ने बताया कि खंडवा में देश में सबसे ज्यादा जल संरक्षण कार्य हुए हैं, जिसकी वजह से पुरस्कार मिला। कुछ सोशल मीडिया अकाउंट्स गलत जानकारी फैला रहे हैं।
यह मामला अब राजनीतिक लड़ाई का रूप ले चुका है। कांग्रेस उच्च स्तरीय जाँच और अधिकारियों के निलंबन की मांग कर रही है। वहीं, प्रशासन का कहना है कि सभी कार्य असली हैं और जांच में सब साफ हो जाएगा। जल संरक्षण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, लेकिन ऐसे आरोपों से लोगों का भरोसा कम हो सकता है।