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एमपी: कांग्रेस के एक विधायक का इस्तीफ़ा, तीन ‘लापता’,  मुश्किल में कमलनाथ

हार्स ट्रेडिंग के ‘खेल’ से परेशान मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। चार दिनों से ‘लापता’ कांग्रेस के एक विधायक ने गुरुवार शाम को इस्तीफ़ा दे दिया। शुक्रवार को भी कुछ और इस्तीफ़े हो सकते हैं। एक ‘लापता’ कांग्रेस विधायक के परिजनों ने भोपाल के एक थाने में उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई है।

मध्य प्रदेश की सत्ता ‘हथियाने और बचाने’ को लेकर पिछले चार-पांच दिनों से बीजेपी तथा कांग्रेस के बीच चल रहा पाॅलीटिकल ड्रामा चरम पर पहुंच गया है। तमाम उठापटक और सियासी दांव-पेंचों के बीच मंदसौर जिले के सुवासरा से कांग्रेस के विधायक हरदीप सिंह डंग ने गुरुवार शाम को विधानसभा स्पीकर नर्मदा प्रसाद प्रजापति को इस्तीफ़ा भेजकर कमलनाथ सरकार की मुश्किलें बढ़ा दीं।

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भ्रष्टाचार और दलाली के आरोप लगाये

हरदीप सिंह डंग ने इस्तीफ़े की काॅपी मुख्यमंत्री कमलनाथ को भी भेजी है। डंग ने 14 महीने पुरानी नाथ सरकार में भारी भ्रष्टाचार और दलाली के आरोप लगाये हैं। उन्होंने स्वयं के क्षेत्र की उपेक्षा के साथ मंत्रियों द्वारा काम ना करने के आरोप भी लगाये हैं। डंग के तेवर लंबे वक्त से तीखे बने हुए थे। जिले में 19 फ़रवरी को हुए कर्जमाफी सम्मेलन में उन्होंने प्रभारी मंत्री की मौजूदगी में कहा था कि किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है। डंग ने कश्मीर से धारा 370 हटाये जाने का समर्थन किया था।

डंग के इस्तीफ़े के बाद कमलनाथ ने कहा कि उन्हें इस्तीफ़े की सिर्फ़ खबर मिली है। लेकिन न तो विधिवत इस्तीफ़ा मिला है और ना ही प्रत्यक्ष मुलाक़ात हुई है। नाथ ने कहा कि डंग कांग्रेस के विधायक हैं। विधानसभा के स्पीकर प्रजापति ने कहा, ‘इस्तीफ़े की ख़बर भर मिली है। विधिवत पत्र नहीं मिला। प्रत्यक्ष तौर पर मिलकर जब डंग इस्तीफ़ा सौपेंगे, नियमानुसार विचार करके उस पर फ़ैसला लेंगे।’

कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि बीजेपी दस विधायकों को ‘बंधक’ बनाकर दिल्ली और हरियाणा ले गयी थी। हालांकि बीजेपी के कथित कब्जे से छुड़ाकर लाये गये कांग्रेस, बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों ने कहा था कि वे बीजेपी की कैद में नहीं थे और अपने-अपने कामों से दिल्ली और अन्य जगहों पर गये हुए थे।

तीन ‘लापता’ विधायकों बिसाहूलाल सिंह, रघुराज कंसाना तथा सरकार का समर्थन कर रहे निर्दलीय विधायक सुरेन्द्र सिंह शेरा को कांग्रेस अब तक नहीं ढूंढ सकी है।

सियासी उठापटक के बीच बिसाहूलाल सिंह के पुत्र ने गुरुवार देर शाम पिता की गुमशुदगी की रिपोर्ट भोपाल के टीटी नगर थाने में दर्ज कराई। बिसाहूलाल मंत्री न बनाये जाने से बेहद खफा हैं और उन्हें दिग्विजय सिंह का नजदीकी माना जाता है। 

भोपाल से लेकर दिल्ली तक गहमागहमी

कमलनाथ भोपाल में अपने निवास और मुख्यमंत्री सचिवालय में रहकर पल-पल की जानकारी ले रहे हैं। मंत्रियों के अलावा कांग्रेस के विधायकों व सरकार को समर्थन दे रहे अन्य दलों के विधायकों से उन्होंने मुलाक़ात की है। ऐसी ख़बरें हैं कि बीजेपी के विधायक और पुराने कांग्रेसी संजय पाठक, कांग्रेस से बीजेपी में जाकर विधायक बने नारायण त्रिपाठी और बीजेपी से खफ़ा चल रहे विधायक शरद कौल से भी कमलनाथ ने मुलाक़ात की है। 

कमलनाथ के विश्वासपात्र और सरकार में मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के एक ट्वीट ने संकेतों में कांग्रेस के ‘जवाबी पलटवार’ का खुलासा कर दिया। वर्मा ने ट्वीट कर कहा, ‘उन्होंने (बीजेपी ने) हमारे एक विधायक (हरदीप सिंह डंग) को तोड़ा है, हम उनके (बीजेपी के) तीन विकेट चटकायेंगे।’

शिवराज के घर मना जश्न

गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सरकारी निवास पर उनके जन्मदिन के मौक़े पर भारी भीड़ उमड़ी। इससे संकेत मिला कि मध्य प्रदेश में चल रही सियासी उठापटक से पार्टी के नेता खासे उत्साहित हैं। शिवराज को बधाई देने वालों में कमलनाथ के सांसद बेटे नकुल नाथ भी शामिल रहे। देर शाम बुलावा आया तो चौहान दिल्ली के लिए उड़ गये।

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कांग्रेस विधायक हरदीप सिंह डंग के त्यागपत्र के बाद कांग्रेस के पास 113 विधायक रह गये हैं। बीजेपी के पास 107 सीटें हैं। बसपा के दो और सपा का एक विधायक है। निर्दलीय विधायकों की संख्या चार है। दो सीटें अभी रिक्त हैं। डंग का इस्तीफ़ा स्वीकार नहीं हुआ है। इस हिसाब से कांग्रेस के पास तकनीकी तौर पर 121 विधायक हैं।

राज्यसभा चुनाव में ख़तरा

मध्य प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र 16 मार्च से शुरू हो रहा है। इसी महीने राज्यसभा सीटों के लिए भी चुनाव होना है। डंग कांग्रेस के पक्ष में वोट करेंगे, इसे लेकर शक है। दो अन्य कांग्रेसी और एक निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा अभी बीजेपी की ‘गोद’ में बैठे हुए हैं। ऐसे में ‘खतरा’ बढ़ गया है। नाथ सरकार में मंत्री (निर्दलीय विधायक) प्रदीप जायसवाल गुड्डा कह चुके हैं, ‘सरकार बदली तो वह पाला बदलने में गुरेज नहीं करेंगे।’

बसपा विधायक संजीव सिंह ने राज्यसभा की एक सीट बसपा को देने की मांग की है। वापस लौटे और कांग्रेस के अलग-अलग खेमों के विधायकों की नाराजगियां भी नाथ सरकार के लिये चिंता का सबब हैं। ऐसे में राज्यसभा चुनाव में वोटिंग के वक्त ‘खेल’ से इन्कार नहीं किया जा सकता।

राज्यसभा की कुल तीन सीटों में नंबर गेम के हिसाब से कांग्रेस के पास दो सीटें आने की संभावनाएं हैं। एक सीट के लिये 58 वोटों की ज़रूरत है। कांग्रेस के पास 114 विधायक (डंग को मिलाकर) हैं। इन नंबरों के हिसाब से एक सीट कांग्रेस को बिना किसी कठिनाई के मिल जायेगी। दूसरी सीट पर उसे मुश्किल हो सकती है। 

उधर बीजेपी के पास 107 विधायक हैं। उसे एक सीट मिलना मिलना तय है। दूसरी सीट पाने के लिए बीजेपी को 9 विधायक जुटाने होंगे। बीजेपी ने ‘दस का दम’ (कांग्रेस, बसपा-सपा और निर्दलियों को अपने साथ ले जाकर) दिखाया था। कांग्रेस ने फिलहाल तो ‘आपरेशन लोटस’ को पंक्चर कर दिया। अब आगे क्या होगा? यह वक्त तय करेगा।

आज हो सकते हैं कुछ और इस्तीफ़े

सुगबुगाहट है कि कांग्रेस के कुछ और विधायक शुक्रवार को इस्तीफ़ा दे सकते हैं। इनमें बिसाहूलाल सिंह, रघुराज सिंह कंसाना, ऐंदल सिंह कंसाना, रणवीर जाटव, कमलेश जाटव, गोपाल सिंह और विक्रम सिंह नातीराजा के नाम प्रमुखता से लिये जा रहे हैं।

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संजीव श्रीवास्तव
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