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क्या छिंदवाड़ा बचा पाएँगे नकुलनाथ? जानें कैसे रिझा रहे हैं वोटरों को

मध्य प्रदेश में 29 लोकसभा सीटों में तीन हॉट सीटों पर देश भर की निगाह है। विदिशा में भाजपा की जीत सुनिश्चित मानी जा रही है, लेकिन छिन्दवाड़ा और गुना-शिवपुरी पर मुकाबला कांटे का होने की संभावनाएं प्रेक्षक जतला रहे हैं। कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में कांग्रेस उम्मीदवार नकुलनाथ को डुगडुगी बजाने के साथ कई ऐसे उपक्रम करने पड़ रहे हैं, जो छिन्दवाड़ा के वोटरों ने कांग्रेस उम्मीदवार या खेमे की ओर से पहले कभी नहीं देखे।

छिन्दवाड़ा में कांग्रेस ने कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ को पुनः टिकट दिया है। नकुलनाथ ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने पिता की इस अजेय सीट पर कांग्रेस की लाज बचाई थी। इस बार कांग्रेस के लिए मुकाबला आसान नहीं है, अभी से ही साफ़ दिखलाई पड़ रहा है।

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भाजपा ने कमलनाथ के मुकाबले के लिए युवा नेता विवेक बँटी साहू को उतारा है। बँटी साहू छिन्दवाड़ा विधानसभा का चुनाव दो मर्तबा कमलनाथ से हारे हैं। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कमलनाथ के मुख्यमंत्री निर्वाचित होने के बाद कांग्रेस विधायक दीपक सक्सेना द्वारा सीट छोड़ने के बाद छिन्दवाड़ा सीट पर उपचुनाव हुआ था। उपचुनाव में कमलनाथ ने बँटी को हराया था।

साल 2018 के बाद 2023 में कमलनाथ और बँटी साहू पुनः भिड़े। इस चुनाव में भी बंटी को हार का सामना करना पड़ा। बीजेपी ने अब लोकसभा चुनाव के लिए बंटी को नकुलनाथ के मुकाबले के लिए मैदान में उतारा है। बंटी साहू ने पसीना बहाना आरंभ कर दिया है। जमीन पर कम ही पैर रखने वाले नकुलनाथ को अपनी लाज बचाने के लिए चौक-चौराहे पर फंतासी करना पड़ रही है। सीधे हिमालय के पानी वाली बेहद महंगी बिसलरी सरीखा का पानी पीने और हाइजनिक खान-पान के आदि नकुलनाथ छिंदवाड़ा के नुक्कड़ पर पोहा खाते नजर आ रहे हैं। आदिवासी वोटरों के बीच पहुंचकर नकुलनाथ द्वारा डुगडुगी बजाने और थिरकने के वीडियो फुटेज भी वायरल हो रहे हैं।

चिलचिलाती धूप में सलवार सूट का दुपट्टा से माथे को ढंककर नकुलनाथ की धर्मपत्नी भी वोटरों से पति को वोट करने की अपील करने के लिए छिन्दवाड़ा संसदीय क्षेत्र को नापती नज़र आ रही हैं। नकुलनाथ की पत्नी द्वारा खेतों में ग्रामीण आदिवासी महिलाओं के बीच पहुंचकर गेहूं की फसल पर हसिया चलाने की रस्म अदायगी वाले फोटो एवं वीडियो भी जमकर वायरल हो रहे हैं।
कमलनाथ और नकुलनाथ के भाजपा में जाने की चर्चाएं बीते महीने गर्म रही थीं। छिन्दवाड़ा से लेकर दिल्ली तक जमकर ड्रामा चला था।

तब नकुलनाथ ने अपने ट्विटर हैंडल (अब एक्स) के अपने बायो से कांग्रेस का चुनाव चिन्ह हटा लिया था। कमलनाथ के कई समर्थकों ने अनुसरण करते हुए अपने बायो से भी कांग्रेस का चुनाव चिन्ह हटाया था। कमलनाथ दिल्ली में कहते नजर आये थे, ‘भाजपा में जायेंगे तो सबसे पहले मीडिया को बतायेंगे।’

तीन-चार दिनों तक चला ड्रामा बाद में नाथ समर्थक सज्जन सिंह वर्मा के इस बयान से थमा था, ‘सबकुछ मीडिया के दिमाग की उपज था। भाजपा की डर्टी पॉलीटिक्स थी। कमलनाथ-नकुलनाथ कहीं नहीं जा रहे थे। कांग्रेस में थे और रहेंगे।’

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खुद सज्जन-दीपक ने दिए थे बयान

कांग्रेस छोड़ने की अटकलों के बीच सज्जन वर्मा और दीपक सक्सेना ने ऑनकैमरा मीडिया में बयान दिए थे, कमलनाथ का अपमान हुआ है। अपमान से आहत हैं। जो कदम वे उठायेंगे (यदि भाजपा में जायेंगे) तो हम भी उसका अनुसरण करेंगे।

कमलनाथ-नकुलनाथ और उनके समर्थकों ने यदि पार्टी पर दबाब बनाने के लिए भाजपा में जाने का भ्रम फैलाने का काम किया था तो अब हम मानकर चल रहे हैं कि वही पूरा मसला नाथ परिवार के लिए गले की हड्डी बन रहा है। छिन्दवाड़ा के अभेद गढ़ में नाथ परिवार को स्ट्रगल करना पड़ रहा है।

सैयद जाफर भी टूट गए

कमलनाथ-नकुलनाथ कांग्रेस के टिकट पर छिन्दवाड़ा में भले ही ताल ठोक रहे हैं, लेकिन इस संसदीय क्षेत्र और नाथ समर्थकों का कांग्रेस से टूटने का क्रम जारी है। काफी संख्या में छिन्दवाड़ा से कांग्रेसी हाथ का साथ छोड़कर भाजपा में गए हैं। कमलनाथ के कट्टर समर्थकों में शुमार रहे सैयद जाफर ने भी सोमवार को कांग्रेस को अलविदा कहकर भाजपा का भगवा अपने गले में डाल लिया। कमलनाथ के पीसीसी चीफ रहने के दौरान जाफर की तूती बोला करती थी। उन्हें पीसीसी का प्रवक्ता पद मिला हुआ था।

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1997 दोहराने को आतुर है भाजपा

छिन्दवाड़ा सीट मध्यप्रदेश के गठन के बाद से ही कांग्रेस के पास रही है। कमलनाथ ने पहला चुनाव 1980 में इस सीट से लड़ा था। स्वर्गीय इंदिरा गांधी कमलनाथ को अपना तीसरा पुत्र मानती थीं। उन्होंने ही छिन्दवाड़ा में कमलनाथ को लांच किया था।

कमलनाथ ने 1980 के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे और उनके परिजन 1980 से लेकर 2019 तक इस सीट को जीतकर लोकसभा जाते रहे। कमलनाथ अनेक बार केन्द्र में मंत्री रहे। पार्टी में अहम पदों का निर्वहन किया। फिलहाल नाथ केवल और केवल छिन्दवाड़ा से पार्टी के विधायक हैं। छिन्दवाड़ा सीट को 1980 से 2019 के बीच एक ही बार भाजपा ने जीता था। साल 1996 के आम चुनाव में हवाला में नाम आने की वजह से कमलनाथ को टिकट नहीं मिल सका था। नाथ अपनी जगह पत्नी अलका नाथ को टिकट दिलाने में सफल रहे थे। वह जीत गई थीं।

हवाला से नाम हटने के बाद 1997 में नाथ ने अलका नाथ का इस्तीफा करवा लिया था। उपचुनाव हुए थे। इस उपचुनाव में कमलनाथ को हार का सामना करना पड़ा था। पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के नेता स्वर्गीय सुंदरलाल पटवा ने कमलनाथ को पराजय का स्वाद चखाया था।

इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा 1997 को दोहराने के लिए कमर कस मैदान में उतरी है। अपने पत्ते बिछाकर आगे बढ़ रही है। 

कांग्रेस के 18 टिकटों का इंतज़ार 

मध्य प्रदेश की सभी 29 सीटों के लिए भाजपा अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। कांग्रेस ने 10 प्रत्याशी घोषित किए हैं। एक सीट खजुराहो सपा को दी है। गुना-शिवपुरी और विदिशा सहित 18 उम्मीदवारों का एलान कांग्रेस को करना है।

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संजीव श्रीवास्तव
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