मध्य प्रदेश में अपने कथित चमत्कारों से जमकर भीड़ खींचने वाले दो कथावाचक बाबा अपने परिजनों की “रंगदारी” से मुश्किलों में घिर गए हैं। एक बाबा के भाई के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। जबकि दूसरे बाबा के भांजे को लेकर हुई शिकायत, जांच के दायरे में है। हालांकि चुनावी वर्ष में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ इनके दरबारों में “मत्था टेकने” से पीछे नहीं हट रहे हैं।
पिछले कुछ वक्त से मध्य प्रदेश का सीहोर और छतरपुर ज़िला ख़ासा सुर्ख़ियों में है। छतरपुर के “बागेश्वरधाम” में कथावाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने दरबार सजा रखा है। जबकि सीहोर के “कुबरेश्वरधाम” में पंडित प्रदीप मिश्रा के “करिश्माई रुद्राक्ष” को पाने के लिए जनसैलाब उमड़ा है।
दोनों ही बाबा के दरबारों में उमड़ रही भीड़, उनके कथित चमत्कारों और कथावाचन के अंदाज़ को चुनावी साल (नवंबर माह में मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनाव संभावित है) में राज्य की शिवराज सिंह चौहान सरकार और प्रतिपक्ष कांग्रेस का “भरपूर साथ” मिल रहा है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बागेश्वरधाम हो आये हैं। वे अपने गृह ज़िले में कथा और करिश्माई रुद्राक्ष वितरण की घोषणा के ज़रिए 15 लाख लोगों की भीड़ जुटाने वाले पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा में दौरा बनाकर भी नहीं पहुँच पाए। सीएम शिवराज तयशुदा कार्यक्रम के बावजूद केवल इसलिए नहीं पहुंच पाये थे, क्योंकि उम्मीद से कई गुना ज़्यादा जनसैलाब उमड़ने से अव्यवस्थाएं फैल गईं थीं। कार्यक्रम स्थल के निकट बने हेलीपैड से भी सुरक्षा कारणों से सीएम का कथा स्थल तक पहुंच पाना संभव नहीं हो पाया था।
विपक्ष भी बाबाओं के “शरण” में है। पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ ने भी बाबा के दरबारों में धोक दी है। बाबाओं की पोल खोलने वाले अपने ही दल के नेताओं को दोनों दलों ने ताक़ीद देकर खामोश कराया है।
धीरेंद्र शास्त्री के भाई पर दलितों को धमकाने की एफआईआर
कथावाचक और “बागेश्वरधाम” के मालिक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के छोटे भाई सौरभ गर्ग उर्फ़ शालिग्राम पर आरोप है कि उसने 11 फरवरी को एक दलित परिवार से मारपीट की। बंदूक लहराते हुए परिवार को धमकाया। इस घटनाक्रम से जुड़ा वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद से बवाल मचा हुआ है।
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण के भाई सौरभ गर्ग के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 294, 323, 506, 427 के साथ एसटी अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। आरोप है कि सौरभ ने एक दलित परिवार की शादी के समारोह में कथित तौर पर अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया।
बताया जा रहा है बरात लवकुशनगर के अटकोहां से गढ़ा गांव बागेश्वर धाम गई थी, जहां रात 12 बजे बुंदेलखंड का पारंपरिक राई गान को लेकर विवाद हुआ। दलित परिवार की दुल्हन के मामा, भाई के साथ मारपीट की गई है। वायरल वीडियो में सौरभ गर्ग मुंह में सिगरेट और एक हाथ में कट्टा लेकर दलित परिवार को धमकाता नजर आ रहा था और जब यह वाकया हुआ, उस समय कथित पीड़ित परिवार बेटी की शादी में व्यस्त था। सौरभ गर्ग ने कट्टा दिखाते हुए दलित परिवार के सदस्य को गालियां दी और जान से मारने की धमकी भी दी थी।
सीएम से मांगी 500 एकड़ ज़मीन
सीएम शिवराज सिंह विगत दिवस जब बागेश्वरधाम पहुंचे तो धीरेंद्र कृष्ण ने उनसे 500 एकड़ ज़मीन की डिमांड की। शास्त्री ने मुख्यमंत्री से कहा सरकार से ज़मीन मिलने पर वे गरीब-पीड़ितों के लिए भव्य और आधुनिकतावाद सुविधाओं वाला कैंसर हास्पिटल स्थापित करेंगे। सीएम ने मांग को लेकर कोई जवाब नहीं दिया था।भीम आर्मी की धमकी
छतरपुर मामले में भीम आर्मी मैदान में उतर आयी है। आर्मी चीफ़ चंद्रशेखर आज़ाद ने ऐलान किया है कि-“48 घंटे में पुलिस ने आरोपी सौरभ को गिरफ़्तार नहीं किया तो हम अपने अगले कदम की घोषणा कर देंगे।”आज़ाद ने एक ट्वीट के माध्यम से कहा है, “संविधान और क़ानून को किसी पाखंडी के दरवाज़े पर ठिठकना नहीं चाहिए। समाज के सम्मान और स्वाभिमान से कोई समझौता नहीं होगा”
एमपी में विपक्ष के नेता कमलनाथ बाबाओं के दरबार में जाने को तैयार रहते हैं।
प्रदीप मिश्रा के भांजे पर महिला के आरोप
उधर सीहोर में 15 लाख की भीड़ जुटाकर सभी राजनीतिक दलों के कान खड़े करने वाले कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा अपने भांजे की कथित करतूत से मीडिया के सवालों से घिरे हैं। नीमच से आयी एक महिला ने भांजे समीर शुक्ला को कठघरे में खड़ा कर आरोप लगाया है कि समीर ने कुबरेश्वरधाम में उसके साथ मारपीट की। बाबा के गुर्गों ने बदसलूकी के अलावा उसके गले की चेन भी झपट ली। महिला की शिकायत की जाँच पुलिस कर रही है।
पॉंच मौतें हो चुकीं हैं कुबरेश्वरधाम में!
कुबरेश्वरधाम में बीते गुरूवार से पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा आरंभ हुई है। कथा के एक दिन पहले से चमत्कारी रुद्राक्ष पाने वालों की भीड़ यहाँ जुटने लगी थी। गुरूवार को अटूट भीड़ उमड़ने की बात प्रशासन ने कही थी। व्यवस्थाएं ध्वस्त हो गईं थीं। भगदड़ में लोग अपनों से बिछड़ गए थे। भूख-प्यास और अन्य बदइंतज़ामी से मौतें दर्ज हुईं थीं। लगभग 100 लोग बीमार होकर अस्पताल पहुँचे थे। भोपाल-इंदौर हाइवे पर 27 किलोमीटर लंबा जाम लगा था। यह जाम आठ-दस घंटे चला था। भूख-प्यास से लोग बिलखते रहे थे। प्रशासन को जाम खुलवाने में पसीना आ गया था। सीहोर के कलेक्टर-एसपी ने ऑनकैमरा स्वीकारा था, “न तो कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा को इतनी भारी भीड़ की अपेक्षा थी और ना ही ख़ुफ़िया तंत्र कोई पूर्व जानकारी जुटा पाया था।
भीड़ को लौटाने के लिए प्रशासन ने रुद्राक्ष वितरण कार्यक्रम को रूकवा दिया था। पंडित शर्मा ने भी अपील जारी की थी कि-“रुद्राक्ष अब पूरे साल बाँटेंगे। हर उस राज्य में रुद्राक्ष वितरण केंद्र खोलेंगे जिन सूबों से इसे पाने के लिए भक्तजन सीहोर पहुंचे हैं।” पंडित शर्मा की सुस्पष्ट घोषणा के बाद भी दो लाख के लगभग भक्तों की भीड़ कथा में बनी हुई है। मध्य प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के साथ अन्य राज्यों के डेरा डाले भक्त उम्मीद में हैं कथा के समापन अवसर पर शायद उन्हें करिश्माई रुद्राक्ष नसीब हो जाये।
बाबा बोले साज़िश, भांजे की रंगदारी बरकरार
भांजे पर लगे आरोपों को लेकर पंडित प्रदीप मिश्रा ने मीडिया से बातचीत में कहा है, “उनकी कथा के बेहद सफल कार्यक्रम, प्रसिद्धि और सफलता को दाग़दार करने के लिए साज़िश रची जा रही है।” पंडित मिश्रा ने साज़िश की बात कही उधर जब मीडिया ने भांजे से सवाल किए तो वह प्रश्न का जवाब देने की जगह मीडिया को धमकाता नज़र आया। बदसलूकी करता दिखा।
कैलाश विजयवर्गीय का भरोसाः पंडित प्रदीप मिश्रा कार्यक्रम कीं बदइंतज़ामी से नाखुश हैं। उन्होंने कहा है, उम्मीद से ज़्यादा भक्तों के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं कर सके इसका उन्हें रंज है। आगे से बेहतर करने का प्रयास वे और उनकी मंडली/आयोजकगण करेंगे। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और मध्य प्रदेश के लीडर कैलाश विजयवर्गीय ने मंगलवार को पंडित मिश्रा को आश्वस्त करते हुए कहा, “आप आयोजन कीजिये व्यवस्थाओं की चिंता छोड़ दीजिए। चाक-चौबंद व्यवस्थाएं हम जुटाकर देंगे।
होड़ मची है कथा और आयोजन की
मध्य प्रदेश के राजनीतिज्ञों में कथाएं कराने की होड़ लगी हुई है। बागेश्वरधाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की सात दिवसीय कथा का भव्य आयोजन मध्य प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में करवाया। इस कथा के बाद धीरेंद्र शास्त्री और लाइम लाइट में आये। अन्य नेताओं और वीवीआईपी लोगों का जमावड़ा उनके दरबार में बढ़ा। अपने-अपने क्षेत्र में नेताओं द्वारा धीरेंद्र शास्त्री कथा की डिमांड तेज़ हुई।
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