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फाइल फोटो

एमपी चुनाव में भाजपा के लिए असंतुष्ट पार्टी कार्यकर्ताओं को मनाना बड़ी चुनौती

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि 28 अक्टूबर से शुरू हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मध्य प्रदेश के तीन दिवसीय दौरे का फोकस असंतुष्ट पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत और आगामी चुनावों में भाजपा के अभियान को आगे बढ़ाना था।
अमित शाह के लिए एमपी में चुनौती वर्षों की सत्ता विरोधी लहर को खत्म करना और भाजपा के लिए शिवराज सिंह चौहान के सामाजिक कल्याणवाद का लाभ उठाना है। 
इस मकसद के लिए उन्होंने जमीनी स्तर पर कई बागी और असंतुष्ट पार्टी नेताओं के साथ मुलाकात कर उन्हें मनाया है। 
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने उनके इस दौरे को लेकर कहा कि वह हर पहलू में हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं।उनका प्राथमिक ध्यान भाजपा के पक्ष में मतदान को  सुनिश्चित करना है। 
उन्होंने इसके लिए जुन्नारदेव (छिंदवाड़ा) और उज्जैन में रैलियों के अलावा उज्जैन, रीवा, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में कार्यकर्ताओं के साथ बंद कमरे में बैठकें की हैं। 
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है कि शाह का दौरा21 अक्टूबर को भाजपा द्वारा 92 उम्मीदवारों की अपनी पांचवीं सूची जारी करने के बाद शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के बाद हुआ है। 
इस सूची के आने के बाद कई उम्मीदवारों ने टिकट नहीं मिलने पर पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। भाजपा अपने इन असंतुष्टों को हर हाल में मनाने की कोशिश कर रही है। इसके लिए वह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को उन्हें मनाने के भेज चुकी है। अमित शाह इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं।
इस शांति-प्रयास की शुरुआत जबलपुर में हुए विरोध के बाद हुई‌। यहां टिकट के दावेदारों ने अभिलाष पांडे को मैदान में उतारने के पार्टी के फैसले को लेकर केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव, जो भाजपा के मध्य प्रदेश चुनाव प्रभारी हैं, पर निशाना साधा था।
भूपेंद्र यादव की पार्टी कार्यकर्ताओं से संयम बनाए रखने की अपील को नेताओं ने नजरअंदाज कर दिया। नाराज़ असंतुष्टों ने एक सुरक्षाकर्मी के साथ भी मारपीट कर दी है। 
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है कि शाह ने कई असंतुष्टों के साथ अलग-अलग बैठकें की है। जिसमें  भूपेंद्र यादव और भाजपा के मध्य प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी मौजूद थे। उन्होंने भोपाल और ग्वालियर में भी ऐसी ही बैठकें कीं है। 
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शाह की असंतुष्टों से अपील, पार्टी हित में करे काम

अमित शाह ने असंतुष्ट नेताओं से सीधे बात कर उन्हें पार्टी में उचित सम्मान का आश्वासन देते हुए, पार्टी के हितों के लिए काम करने के लिए कहा है। अमित शाह ने कहा कि हमें सभी नेताओं की पहचान करनी चाहिए, चाहे वे कितने भी छोटे हों। 
रिपोर्ट बताती है कि अमितशाह ने जिन असंतुष्टों से बात की उनमें से एक धीरज पटेरिया भी थे, जिन्हें पहले 2018 में जबलपुर उत्तर सीट से चुनाव लड़ने के लिए भाजपा के टिकट से वंचित कर दिया गया था।
उन्होंने तब निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा था और 29,479 वोट प्राप्त किए थे, जिससे भाजपा उम्मीदवार शरद जैन को हार का सामना करना पड़ा था। पटेरिया ने अब घोषणा की है कि वह इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे।
सूत्रों के मुताबिक अमित शाह तमाम कोशिशों के बाद भी सभी असंतुष्टों को मना नहीं सके हैं। प्रभात साहू ने भाजपा के जबलपुर शहर प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया।पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि साहू जबलपुर पश्चिम या जबलपुर उत्तर मध्य विधानसभा क्षेत्रों से टिकट नहीं मिलने से निराश थे।
वहीं धार जिले में, शाह ने पूर्व मंत्री रंजना बघेल से मुलाकात की है जिन्होंने मनावर क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया था। 
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कार्यकर्ताओं को मजबूत और सशक्त बनाने पर जोर दिया 

वे अक्टूबर के अंत से भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ बोल रहे हैं।इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है कि भाजपा के एक नेता ने कहा है कि, ग्वालियर में शाह ने असंतुष्टों से एक घंटे से अधिक समय तक मुलाकात की। 
उन्होंने जमीनी स्तर पर छोटी-छोटी जानकारियों का जायजा लेते हुए चुनावी तैयारियों पर भी चर्चा की। उन्होंने बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को मजबूत और सशक्त बनाने पर जोर दिया है। शाह ने नेताओं से फोकस न खोने को कहा है। 
शाह ने पार्टी कार्यकर्ताओं से यह भी कहा कि वे असंतुष्टों के बारे में ज्यादा चिंता न करें और चुनाव जीतने पर ध्यान केंद्रित करते हुए उनके आने का इंतजार करें। 
पार्टी के एक नेता ने कहा कि शाह ने भाजपा नेताओं से उन सीटों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया जहां त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद है। खासतौर से उन सीटों पर जहां सपा और बसपा ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं। उन्होंने कहा कि हमसे असंतुष्ट भाजपा नेताओं पर बहुत अधिक समय खर्च करने के बजाय कांग्रेस की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाने के लिए उन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा है। 
मध्य प्रदेश भाजपा के सचिव रजनीश अग्रवाल ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि अमित शाह ने न केवल विद्रोहियों को शांत किया, बल्कि संगठन का जायजा भी लिया है।  
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क़मर वहीद नक़वी
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