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कमलनाथ सरकार ने नसबंदी पर फरमान जारी करने वाली अफ़सर को हटाया

मध्य प्रदेश में नसबंदी पर फरमान जारी करने वाली राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन यानी एनएचएम की राज्य में निदेशक छवि भारद्वाज को कमलनाथ सरकार ने हटा दिया है। उन्हें अब राज्य के सचिवालय में स्पेशल ड्यूटी ऑफ़िसर यानी ओएसडी नियुक्त किया गया है। इससे पहले ख़बर आई थी कि सरकार ने उस एनएचएम के उस आदेश को वापस ले लिया जिस पर बवाल मचा हुआ था। दरअसल, एनएचएम ने राज्य में नसबंदी को लेकर फरमान जारी किया था कि यदि स्वास्थ्य कार्यकर्ता कम से कम एक सदस्य की नसबंदी नहीं कराएँगे तो उनको वीआरएस दे दिया जाएगा यानी उन्हें जबरन सेवानिवृत्त कर दिया जाएगा। जब इस मामले में सरकार की किरकिरी हुई तो राज्य के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावत ने कहा कि सरकार ने यह आदेश वापस ले लिया है।

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आदेश 11 फ़रवरी को जारी किया गया था। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को पुरुष नसबंदी का टारगेट पूरा नहीं करने पर अलग-अलग तरह की चेतावनियाँ दी थीं। इसमें वेतन में कटौती और अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का आदेश भी शामिल था। इसमें ज़िले के अधिकारियों और मुख्य चिकित्सा अधिकारी से कहा गया था कि वे वैसे पुरुष कर्मियों की पहचान करें जिनका काम ज़ीरो रहा है और 'नो वर्क नो पे' का सिद्धांत लागू किया जाए। यदि यह टारगेट 2019-20 के बचे एक महीन में भी पूरे नहीं हों तो जबरन रिटायरमेंट के लिए सिफ़ारिश की जाए। 

मध्य प्रदेश की मिशन संचालक छवि भारद्वाज ने यह आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि पुरुष नसबंदी की प्रगति असंतोषजनक है। आदेश में पुरुष नसबंदी की गंभीरता से समीक्षा करने की अपील भी की गई थी। इस मामले के सामने आने के बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार की ज़बरदस्त आलोचना हुई। बीजेपी ने इसको लेकर निशाना साधा। 

बीजेपी ने 1975 के आपातकाल का हवाला देकर मुख्यमंत्री कमलनाथ पर निशाना साधा था। इसने कहा कि यह आदेश उस आपातकाल की याद दिलाता है जब लोगों को जबरन नसबंदी कराने का अभियान चलाया गया था। तब संजय गाँधी ने इस अभियान को चलाया था और कमलनाथ उनके काफ़ी क़रीबी थे। बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि क्या इस तरह का जबरन नसबंदी का अभियान चलाया जाएगा? उन्होंने कहा कि यह काफ़ी आपत्तिजनक है। 

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तब इन आरोपों पर कांग्रेस के प्रवक्ता सैयद जफर ने कहा था राज्य सरकार जनसंख्या नियंत्रण के राष्ट्रीय कार्यक्रम को लागू करने के लिए बाध्य है और इसीलिए ज़िले के सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को ऐसे टारगेट दिए गए थे। हालाँकि, जब इस मामले ने काफ़ी तूल पकड़ लिया तो सरकार ने इस आदेश को वापस लेने का मन बनाया। ख़ुद स्वास्थ्य मंत्री ने इस आदेश को वापस लेने की घोषणा की। इसके बाद उस अधिकारी को हटाने का देश भी जारी कर दिया गया। 
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क़मर वहीद नक़वी
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