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'उपचुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग'

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विधानसभा के उपचुनाव में सरकारी मशीनरी के भारी दुरुपयोग का आरोप लगाया है। कमलनाथ ने अधिकारियों की नामजद शिकायतें करते हुए सत्तारूढ़ दल बीजेपी एवं उसके उम्मीदवारों को अफसरों द्वारा सीधी मदद करने और कांग्रेस प्रत्याशियों को अनावश्यक रूप से परेशान करने का आरोप भी लगाया है। 

कमलनाथ ने मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की व्यवस्था की मांग चुनाव आयोग से की है।

मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने चार पेज का लंबा खत सोमवार को मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को लिखा है। पत्र की प्रति मीडिया को भी जारी की गई है। 

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मध्य प्रदेश के चुनावी इतिहास में यह पहला अवसर है जब किसी पूर्व मुख्यमंत्री ने भारत के चुनाव आयोग को इस तरह से अधिकारियों की नामजद लंबी शिकायत की है। कमलनाथ ने खत में विधानसभा क्षेत्रवार उन अधिकारियों के नाम दिये हैं जो कथित तौर पर पार्टी बनकर बीजेपी और उसके प्रत्याशियों के लिए काम कर रहे हैं।

बता दें, राज्य की 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। करीब-करीब हरेक सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशियों और कार्यकर्ताओं को मशीनरी द्वारा अनावश्यक तौर पर प्रताड़ित एवं परेशान करने के आरोप कांग्रेस द्वारा लगाये गये हैं। 

कमलनाथ ने क्षेत्रवार ब्यौरा दिया है कि कहां-कहां कांग्रेस के उम्मीदवारों और उनके समर्थकों के ख़िलाफ़ सरकार एवं बीजेपी के कथित इशारे पर झूठे मुकदमे तक अधिकारियों ने लाद दिए हैं।

शिकायतों पर नहीं की कार्रवाई

कमलनाथ ने मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय को भी निशाने पर लिया है। कांग्रेस की तमाम शिकायतों के लंबित होने का जिक्र करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया है कि चुनाव आयोग से अनुमति ना मिलने की दुहाई देकर उपचुनाव में धांधलियों से जुड़ी कांग्रेस की अनेक जायज शिकायतों पर मध्य प्रदेश के सीईओ ने कार्रवाई नहीं की है और तमाम शिकायतों को लंबित कर रखा है। 

कमलनाथ ने अपने पत्र में चुन-चुनकर बीजेपी की मदद करने वाले अफसरों को नियम विरूद्ध और चुनाव आयोग की अनुमति के बिना उपचुनाव वाले क्षेत्रों में उनकी पदस्थापना का आरोप भी लगाया है। उन्होंने बताया है कि चुनाव आयोग के निर्देश पर 12 डिप्टी कलेक्टरों के तबादले की एक सूची को निरस्त किया गया था। लेकिन बाद में नौ अफसरों को उन जिलों में पदस्थ करने संबंधी आदेश जारी हो गये, जहां उपचुनाव हो रहे हैं। 

कमलनाथ ने संकेतों में कहा है, ‘मध्य प्रदेश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होने की संभावनाएं पूरी तरह से धूमिल हो गई हैं। सरकार के इशारे पर हो रहे पक्षपात ने समूचे चुनाव की गरिमा को तार-तार कर दिया है।’

कमलनाथ ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए हस्तक्षेप और ठोस व्यवस्थाएं करने की मांग भी अपने पत्र में मुख्य चुनाव आयुक्त अरोड़ा से की है।

‘सीधा धावा’ बोला

मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र के अलावा कमलनाथ ने शिवराज सरकार और बीजेपी पर सीधा राजनीतिक हमला भी बोला है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘उपचुनाव में आसन्न नजर आ रही करारी हार और सरकार जाने के भय से बीजेपी फिर कांग्रेस के विधायकों की खरीद-फरोख़्त पर आमादा हो गई है।’

कमलनाथ ने दावा किया है कि कांग्रेस के विधायकों को बीजेपी के लोग फोन कर रहे हैं और बीजेपी ने खरीद बाजार सजा डाला है। कांग्रेस छोड़ने के लिए बड़े-बड़े अमाउंट के आफर दिये जा रहे हैं। 

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘इस साल मार्च के महीने में भी इस तरह की सौदेबाजी हुई थी, मैं भी सौदेबाजी कर सकता था लेकिन मैं यह नहीं करूंगा और न एमपी में होने दूंगा। एमपी को पूरे देश में कलंकित किया जा रहा है।’

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कमलनाथ ने कहा कि 10 नवंबर के बाद 11 नवंबर की तारीख भी आएगी और सभी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम उदाहरण देना चाहते हैं कि प्रदेश में कांग्रेस बिकाऊ राजनीति नहीं करती है। 

पार्टी विधायक राहुल लोधी के कांग्रेस छोड़ने पर पूर्व सीएम ने कहा कि तीन दिन पहले तक वह मुझसे बात कर रहे थे। पार्टी के पक्ष में चुनावी सभाएं कर रहे थे, लेकिन बीजेपी नेताओं के प्रलोभन में आ गए। यहां बता दें कि मार्च से लेकर अब तक कांग्रेस छोड़ने वाले विधायकों की संख्या 27 हो चुकी है। 

हार से बौखला गये हैं कमलनाथ: बीजेपी

मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा कि उपचुनाव में सूपड़ा साफ होता दिखाई पड़ने पर कमलनाथ बौखला गये हैं। चुनाव आयोग के अधीन नियम और कायदों के तहत काम कर रहे अफसरों पर पार्टी बनने का आरोप लगाया जाना कमलनाथ और कांग्रेस की खीझ का परिचायक है। चूंकि सरकारी मशीनरी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के षड्यंत्रों के तहत काम नहीं कर रही है, लिहाजा कांग्रेस और कमलनाथ ज्यादा बौखलाये हुए हैं।

कांग्रेस के विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़े प्रश्न के जवाब में अग्रवाल ने कहा, ‘बड़े-बड़े लोग, बड़ी-बड़ी बात कर रहे हैं। खरीदी-बिक्री करते रहने वाले लोग बीजेपी को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं।’ 

अग्रवाल ने कहा, ‘कांग्रेस में लड़ाई राहुल और कमलनाथ के बीच की है। चूंकि कमलनाथ को उपचुनाव के नतीजों के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद अपने हाथों से जाता साफ नज़र आ रहा है, लिहाजा विधायकों के टूटने का ठीकरा वे बीजेपी के सिर फोड़ने लग गये हैं। सच यह है कि क्षेत्र के विकास के लिए कांग्रेस के विधायक स्वेच्छा से बीजेपी में आ रहे हैं।’

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संजीव श्रीवास्तव
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