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खंडवा के इसी कॉलेज में हुई थी घटना। फाइल फोटो।

मध्य प्रदेश में शिक्षकों का अपमान करने वाले कौन हैं?

भोपाल। मध्य प्रदेश सहित भाजपा शासित राज्यों से बीजेपी के अनुषांगिक संगठनों के नेता-कार्यकर्ताओं द्वारा कानून को ‘अपने हाथों में लेने’ संबंधी आरोप एवं खबरें आये दिन सामने आती रहती हैं। सरकारी संरक्षण में इन संगठनों पर ‘मनमानी’ के आरोप लगते रहते हैं। लेकिन इन पर कानून के अनुसार एक्शन नहीं होता। लेकिन अब ऐसी खबरों के बीच खंडवा से प्रिंसिपल के चेहरे पर कालिख़ पोतने के आरोपी भाजपा विधायक और भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष को एक-एक साल की जेल की सजा सुनाई गई है।
खंडवा जिले की पंधाना विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक राम दांगोरे और भाजयुमो जिलाध्यक्ष अनूप पटेल को एक साल की सजा सुनाई गई है। करीब 11 साल पुराने बहुचर्चित कालिख कांड में एमपी-एमएल कोर्ट ने फैसला सुनाया है। हालांकि सजा सुनाने के कुछ ही देर बाद मामले में जमानत हो गई। 
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कोर्ट के फैसले के बाद पंधाना विधायक राम दांगोरे ने कहा, ‘वो न्यायपालिका का सम्मान करते हैं, इस मामले में वो स्टे लेकर आएंगे।’

क्या हुआ था

मामला 2011 का है। जब पंधाना विधायक राम दांगोरे एग्रीकल्चर कॉलेज में पढ़ाई करते थे। इस दौरान दोंगरे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के मेंबर थे। कॉलेज में इस दौरान विरोध प्रदर्शन हुआ था। इस दौरान छात्रों ने कॉलेज के डीन के चेहरे पर कालिख पोत दी थी।

राम दांगोरे और अनूप पटेल समेत कई छात्रों पर आरोप लगा था कि इन नेताओं ने एक विरोध प्रदर्शन के दौरान प्राचार्य अशोक चौधरी के चेहरे पर कालिख पोत दी थी। कालिख पोते जाने की घटना से डीन आहत हुए थे। इसके बाद उन्होंने खुदकुशी कर लिया था। डीन ने अपने सुसाइड नोट में एबीवीपी के नेताओं पर तमाम आरोप लगाया था।
इस पूरे मामले में पुलिस ने पंधाना से बीजेपी विधायक राम दांगोरे, बीजेपी जिलाध्यक्ष अनूप पटेल, अश्विनी साहू, राहुल डोडे, रोहित मिश्रा, अंकित अवस्थी, कैलाश साहू, ज्योति वालिजंकर, सोनाली, आशीष तायड़े को आरोपी बनाया था। लंबे समय तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने शनिवार को इस मामले में फैसला सुनाया है।

लंबी फेहरिस्त है ऐसे मामलों की

उज्जैन में भाजपा सरकार के समय में ऐसा मामला प्रोफेसर सभरवाल के साथ हुआ था। उनकी कॉलेज में पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी। इसमें एबीवीपी से जुड़े छात्र नेताओं के नाम आए, लेकिन बाद में अदालत ने उन आरोपियों को बरी कर दिया। अनेक ऐसे मामले हैं जिनमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से लेकर भारतीय जनता युवा मोर्चा और भाजपा पर मनमानी के आरोप लगे हैं। मध्य प्रदेश में बजरंग दल एवं विश्व हिन्दू परिषद पर भी मनमानी और कानून को अपने हाथों में ले लेने के आरोप जब-तब लगते हैं। आये दिन शिकायतें होती हैं। कई ऐसे मामले भी रहे हैं, जिनमें इन संगठनों के नेता-कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुलिस में मामले-मुकदमे दर्ज हुए हैं। बावजूद इसके ऐसे मामले थमने का नाम नहीं लेते हैं।

मध्य प्रदेश से बाहर दिल्ली यूनिवर्सिटी और जेएनयू में भी ऐसी घटनाएं हुईं, जिनमें एबीवीपी का नाम आया। दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज में भी एक टीचर को इसी तरह पीटा गया था। जेएनयू कैंपस में मारपीट की कई घटनाएं हुईं। छात्र नजीब आज तक गायब है। 
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