मध्य प्रदेश के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (PHE) विभाग ने अपनी ही मंत्री संपतिया उइके के खिलाफ जल जीवन मिशन के केंद्रीय फंड में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के आदेश दिए हैं। यह कार्रवाई पूर्व विधायक किशोर समरीते की शिकायत के बाद की गई है, जिसमें उन्होंने दावा किया कि जल जीवन मिशन के तहत भारत सरकार द्वारा दिए गए 30 हजार करोड़ रुपये का दुरुपयोग मंत्रियों, अधिकारियों और ठेकेदारों द्वारा किया गया है। इसकी सूचना प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक पहुंची तो वहां से भी सात दिनों में एमपी सरकार से सारी सूचना मांगी गई है। हैरानी की बात यह है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव की नाक के नीचे यह सब हो रहा है और उन्होंने चुप्पी साध ली है।
पूर्व विधायक समरीते ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि मंत्री उइके ने इस योजना में कमीशन लिया और मंडला के एक कार्यकारी अभियंता के माध्यम से बड़ी राशि एकत्र की गई। उन्होंने यह भी दावा किया कि योजना के तहत 3,000 फर्जी काम पूरा होने और उपयोगिता प्रमाणपत्र केंद्र सरकार को भेजे गए हैं। उन प्रमाणपत्रों को फौरन जब्त किया जाना चाहिए। इस शिकायत के बाद, PHE विभाग के मुख्य अभियंता (ENC) संजय अंधवान ने 21 जून को एक पत्र जारी कर सभी क्षेत्रों के मुख्य अभियंताओं और मध्य प्रदेश जल निगम लिमिटेड, भोपाल के परियोजना निदेशक को सात दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
हालांकि, PHE विभाग ने बाद में इन आरोपों को "निराधार" करार दिया, लेकिन समरीते ने दावा किया कि विभाग की प्रतिक्रिया केवल बालाघाट जिले तक सीमित थी, जबकि जांच का आदेश पूरे राज्य के लिए था। उन्होंने इस मामले में व्यापक जांच के लिए कोर्ट में याचिका दायर करने की योजना बनाई है। यह मामला मध्य प्रदेश में सियासी हलचल पैदा कर रहा है, और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच की मांग जोर पकड़ रही है।
ताज़ा ख़बरें

डिप्टी सीएम बचाव में उतरे

हालांकि राज्य के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने मंत्री का बचाव किया। शुक्ल ने कहा कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की मंत्री सम्पतिया उइके पर लगे आरोप गलत हैं। उन्होंने कहा कि यदि पीएचई विभाग के इंजीनियर-इन-चीफ ने सम्पतिया उइके के खिलाफ जांच का आदेश देकर कोई प्रक्रियागत चूक की है, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
उइके के खिलाफ प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को शिकायत भेजने वाले पूर्व विधायक किशोर समरीते का नाम लिए बिना शुक्ला ने कहा कि यह देखना जरूरी है कि आरोप कौन लगा रहा है। उन्होंने संकेत दिया कि शिकायत के पीछे व्यक्ति की विश्वसनीयता पर भी विचार किया जाना चाहिए।
सूत्रों ने बताया कि मंत्री सम्पतिया उइके ने हाल ही में कैबिनेट की बैठक में भाग लिया और आरोपों के बारे में अपनी सफाई दी। उन्होंने कथित तौर पर कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं।
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें
यह मुद्दा अब राजनीतिक तूल पकड़ रहा है। खासकर उच्च पदस्थ नेताओं ने उइके का बचाव किया है। हालांकि, आंतरिक प्रशासनिक प्रक्रियाओं पर भी सवाल उठे हैं। कहा जा रहा है कि इतना बड़ा स्कैम कोई मंत्री अकेले कर ही नहीं सकता। विभाग ने जांच का आदेश अपने स्तर पर दिया था। ऊपर से आदेश नहीं आया था। जब इंजीनियर-इन-चीफ ने जांच का आदेश कर दिया तो अब तमाम मंत्री जांच का आदेश देने वाले अधिकारी के पीछे लग गए है।